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साहिल गोस्वामी
वक़्त वक़्त की बात है। जब तक जरुरत है उनको। तब तक सब साथ है। यह कोई और नहीं कम्बख्त। इन्सानों की ही जात़ है। साहिल गोस्वामी #NojotoQuote दो-मुहे सांप #2line #nojoto
@2.0___lofi
@lofi__2.0 जिस दिन मुझे खो दोगे ❤🍁 मुस्कुराते हुए रो दोगे @dm_story_prmition ©ARIF Ali #Likhजिस दिन मुहे को दोगे #टैग your लोव o
Himanshu Prajapati
अइबा रगे हमके त, रंग के बानर बना देब, आंखी मुहें मे डाल के रंग, आनर-फानर बना देब..! 😂😂😂😂 ©Himanshu Prajapati अइबा रगे हमके त, रंग के बानर बना देब, आंखी मुहें मे डाल के रंग, आनर-फानर बना देब..! 😂😂😂😂 #Funny #36gyan_2 #hpstrange
Shankki Sharma
ਜਿਹੜੇ ਤੁਹਾਡੇ ਕੋਲ ਤੁਹਾਡੇ ਤੇ ਤੁਹਾਡੇ ਦੁਸ਼ਮਣਾਂ ਕੋਲ ਜਾਕੇ ਤੁਹਾਡੇ ਖ਼ਿਲਾਫ਼ ਹੁੰਦੇ ਨੇ ਇਹੋ ਜੇ ਲੋਕੀ ਸ਼ੈਂਕੀ ਦੋ ਮੁਹੇ ਸਪਾ ਤੋਂ ਵੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਖ਼ਤਰਨਾਕ ਹੁੰਦੇ ਨੇ। 🐍🐍 Hindi जो आपके पास आपके और आपके दुश्मनों के पास जाकर आपके खिलाफ होते है ऐसे लोग शैंकी दो मुहे साँपो से भी ज्यादा खतरनाक होते है। #yqbaba #y
Shankki Sharma
ਜਿਹੜੇ ਤੁਹਾਡੇ ਕੋਲ ਤੁਹਾਡੇ ਤੇ ਤੁਹਾਡੇ ਦੁਸ਼ਮਣਾਂ ਕੋਲ ਜਾਕੇ ਤੁਹਾਡੇ ਖ਼ਿਲਾਫ਼ ਹੁੰਦੇ ਨੇ ਇਹੋ ਜੇ ਲੋਕੀ ਸ਼ੈਂਕੀ ਦੋ ਮੁਹੇ ਸਪਾ ਤੋਂ ਵੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਖ਼ਤਰਨਾਕ ਹੁੰਦੇ ਨੇ। 🐍🐍 Hindi जो आपके पास आपके और आपके दुश्मनों के पास जाकर आपके खिलाफ होते है ऐसे लोग शैंकी दो मुहे साँपो से भी ज्यादा खतरनाक होते है। #yqbaba #y
Umang Parmar
"एक पल आके तु अधुरी बात पूरी कर दे, मुझे मेरी ही जिंदगी से तु अलविदा कह दे।।" (Read full poem in caption) जहा छोड़ दिया था तुन्हें बीच रास्ते पर, आज अंजानो की भीड़ लगी है उसी मोड़ पर।। बस आखरी सांसो की गिनती हो रही है नाम पता रिस्तेदारों की खोज हो र
Vandna Sood Topa
#गूदड़ (7) जिस पेड़ की छाया में ,मैं हमेशा सुरक्षित रही उस पेड़ को कैसे काट देती। मेरे लिए मेरी गरीब माँ सब कुछ थी। अपनी माँ को हर परीक्षा म
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
आँखें तो ख़्वाब देखती है, पर उसे मुकम्मल नही करा पाता है, सब रह जाते है अधूरे — अधूरे, फ़िर भी ये सपने सजाता है। है मुझे भी ज़माने से मोहब्बत, पर मिल रही मुझको बेबसी है, वफ़ा की बात तो सब करते है, पर उसे नही कोई निभाता है।। है सब यहाँ पर भटके, पर ना कोई किसी को राह दिखाता है, दिलों में रखकर नफ़रत, उसको ही अपनी पहचान बताता है। ये है आज के जमाने की फितरत, ढल लो तुम भी इसी ही रंग में, ना होती मोहब्बत किसी से, सब पर अपना अधिकार जताता है। चल करके गुनाहों के रास्तों पे, सबको फिर ये दस्तूर सिखाता है। पहन कर मुखौटा अच्छाई का, ख़ुद को सबसे ये अच्छा बताता है। बड़ी ज़ालिम है ये दुनिया साहिब, ना आना कभी भी इसकी बातों में, छल, कपट और दगाबाजी यहाँ फ़ैला, झूठ की ये जाल बिछाता है।। दिखावे की तो है ये दुनियाँ, हर कोई अपनी सच्चाई छिपाता है, करके मीठी मीठी बातें, अपने पीठ पीछे ये तो खंजर छुपाता है। ना आना कभी तुम भी, इस दो मुहें लोगों की बातों में साहिब, वक्त के साथ साथ, ये अपना वास्तविक स्वरूप दिखाता है।। है मुझे नफ़रत, माटी के बने इस पुतले के इतने अभिमान पर, आँखें रो लेती है मेरी भी, अंधभक्तों के इस कुटयोजना चाल पर। पर क्या करे जीना इस समाज में, आँख मूँद, हाथ बाँध रहना है, धिक्कार सौ सौ बार तुम्हें, जो लिप्त है, इसमें इस व्यवहार पर।।। *आज की दुनिया* आँखें तो ख़्वाब देखती है, पर उसे मुकम्मल नही करा पाता है, सब रह जाते है अधूरे — अधूरे, फ़िर भी ये सपने सजाता ह
नेहा उदय भान गुप्ता
आँखें तो ख़्वाब देखती है, पर उसे मुकम्मल नही करा पाता है, सब रह जाते है अधूरे — अधूरे, फ़िर भी ये सपने सजाता है। है मुझे भी ज़माने से मोहब्बत, पर मिल रही मुझको बेबसी है, वफ़ा की बात तो सब करते है, पर उसे नही कोई निभाता है।। है सब यहाँ पर भटके, पर ना कोई किसी को राह दिखाता है, दिलों में रखकर नफ़रत, उसको ही अपनी पहचान बताता है। ये है आज के जमाने की फितरत, ढल लो तुम भी इसी ही रंग में, ना होती मोहब्बत किसी से, सब पर अपना अधिकार जताता है। चल करके गुनाहों के रास्तों पे, सबको फिर ये दस्तूर सिखाता है। पहन कर मुखौटा अच्छाई का, ख़ुद को सबसे ये अच्छा बताता है। बड़ी ज़ालिम है ये दुनिया साहिब, ना आना कभी भी इसकी बातों में, छल, कपट और दगाबाजी यहाँ फ़ैला, झूठ की ये जाल बिछाता है।। दिखावे की तो है ये दुनियाँ, हर कोई अपनी सच्चाई छिपाता है, करके मीठी मीठी बातें, अपने पीठ पीछे ये तो खंजर छुपाता है। ना आना कभी तुम भी, इस दो मुहें लोगों की बातों में साहिब, वक्त के साथ साथ, ये अपना वास्तविक स्वरूप दिखाता है।। है मुझे नफ़रत, माटी के बने इस पुतले के इतने अभिमान पर, आँखें रो लेती है मेरी भी, अंधभक्तों के इस कुटयोजना चाल पर। पर क्या करे जीना इस समाज में, आँख मूँद, हाथ बाँध रहना है, धिक्कार सौ सौ बार तुम्हें, जो लिप्त है, इसमें इस व्यवहार पर।।। *आज की दुनिया* आँखें तो ख़्वाब देखती है, पर उसे मुकम्मल नही करा पाता है, सब रह जाते है अधूरे — अधूरे, फ़िर भी ये सपने सजाता ह