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somnath gawade
खेकडे उगाच बदनाम होतात.. एकमेकांचे पाय ओढण्याची आमची खेकडावृत्ती माणसाने सहज अंगीकारली. संवेदनाहीन व्यवस्थेच्या अनास्थेने आधीच पोखरलेली पोकळ धरणे मात्र आम्हाला आरोपीच्या पिंजऱ्यात उभी करून गेली. आमचा दोष एवढाच मोडकळीस आलेली धरणे आम्ही निवारा म्हणून निवडली. परंतु हीच आश्रयस्थाने आमच्या कुळास कलंक लावून गेली. धरणं पोखरणाऱ्या प्रवृत्ती माणसाच्या वेशात अवतीभवती फिरताना नक्कीच दिसतील तुम्हाला. परंतु निरपराध मानवी हत्येचे आरोप मुळीच मान्य नाही आम्हाला. तुमच्या कोर्ट कचेरीच्या भानगडीत आम्हाला उगाच ओढू नका. आधीच जगणं मुश्किल केलंय भक्षकांनी त्यात हा ससेमिरा पाठी लावू नका. - तिवरे धरणावरील निरपराध खेकडा खेकडे उगाच बदनाम होतात.
Prerana Jalgaonkar
कोकणातली गंमत...(लेख👇)— % & दहावीची परीक्षा संपल्यावर मी माझ्या कुटुंबासोबत आजोबांच्या गावी कोकणात म्हणजेच अंजनवेलला गेले होते.मामांनी नवीन घर बांधलं होतं त्याची पूजा ह
Prerana Jalgaonkar
कोकणातली गंमत...(लेख👇)— % & दहावीची परीक्षा संपल्यावर मी माझ्या कुटुंबासोबत आजोबांच्या गावी कोकणात म्हणजेच अंजनवेलला गेले होते.मामांनी नवीन घर बांधलं होतं त्याची पूजा ह
Avinash Lad
Red sands and spectacular sandstone rock formations गावं खेडे... ------------------ अवती भवती फिरता चाहूल लागे येण्याची, कानी पडे साद हळवी प्रेमळ माझ्या आईची... सळ सळ सळ सळ वारा येई गात गाणी, अंगण दिसे रंगीबेरंगी कोमेजल्या पाना फुलांनी... दूर दूरच्या पायवाटा ओढ लाविते गावाकडची, डोंगर दरी कपारी सांगे गम्मत जिवलग मित्रांची... मन सैर भैर क्षणात होता तेथे मैफिल असे पक्षांची, दाहीदिशा हिंडत गेलो तरी मौजमस्ती बालपणाची... नातीगोती बांधून सारी शोभा वाढे आयुष्याची, निवांत बसता क्षणभर खळी खुले गालावरची... झाडं वेली गवतफुलांनी रांगोळी घालती चहुकडे, दुरूनही आरोळी देतो सुंदर हसोळ गावं खेडे... ---------------------------------- कवी- लेखक: अविनाश लाड, राजापूर- हसोळ ©Avinash Lad गाव खेडे
atrisheartfeelings
चालाक बगुला Please read in captions; ©atrisheartfeelings discllamer ; this story is not written by me. बगुला भगत (शिक्षास्पद कहानी) एक वन प्रदेश में एक बहुत बडा तालाब था। हर प्रकार के जीवों के लिए
Vikas Sharma Shivaaya'
✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 एक वन प्रदेश में एक बहुत बडा तालाब था। हर प्रकार के जीवों के लिए उसमें भोजन सामग्री होने के कारण वहां नाना प्रकार के जीव, पक्षी, मछलियां, कछुए और केकडे आदि वास करते थे। पास में ही बगुला रहता था, जिसे परिश्रम करना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था। उसकी आंखें भी कुछ कमज़ोर थीं। मछलियां पकडने के लिए तो मेहनत करनी पडती हैं, जो उसे खलती थी। इसलिए आलस्य के मारे वह प्रायः भूखा ही रहता। एक टांग पर खडा यही सोचता रहता कि क्या उपाय किया जाए कि बिना हाथ-पैर हिलाए रोज भोजन मिले। एक दिन उसे एक उपाय सूझा तो वह उसे आजमाने बैठ गया..., बगुला तालाब के किनारे खडा हो गया और लगा आंखों से आंसू बहाने। एक केकडे ने उसे आंसू बहाते देखा तो वह उसके निकट आया और पूछने लगा 'मामा, क्या बात है भोजन के लिए मछलियों का शिकार करने की बजाय खडे आंसू बहा रहे हो?' बगुले ने ज़ोर की हिचकी ली और भर्राए गले से बोला- 'बेटे, बहुत कर लिया मछलियों का शिकार। अब मैं यह पाप कार्य और नहीं करुंगा। मेरी आत्मा जाग उठी हैं। इसलिए मैं निकट आई मछलियों को भी नहीं पकड रहा हूं। तुम तो देख ही रहे हो।'केकडा बोला 'मामा, शिकार नहीं करोगे, कुछ खाओगे नहीं तो मर नहीं जाओगे? बगुले ने एक और हिचकी ली 'ऐसे जीवन का नष्ट होना ही अच्छा है बेटे, वैसे भी हम सबको जल्दी मरना ही है। मुझे ज्ञात हुआ है कि शीघ्र ही यहां बारह वर्ष लंबा सूखा पडेगा।'बगुले ने केकडे को बताया कि यह बात उसे एक त्रिकालदर्शी महात्मा ने बताई हैं, जिसकी भविष्यवाणी कभी ग़लत नहीं होती। केकडे ने जाकर सबको बताया कि कैसे बगुले ने बलिदान व भक्ति का मार्ग अपना लिया हैं और सूखा पडने वाला हैं।उस तालाब के सारे जीव मछलियां, कछुए, केकडे, बत्तखें व सारस आदि दौडे-दौडे बगुले के पास आए और बोले 'भगत मामा, अब तुम ही हमें कोई बचाव का रास्ता बताओ। अपनी अक्ल लडाओ तुम तो महाज्ञानी बन ही गए हो।'बगुले ने कुछ सोचकर बताया कि वहां से कुछ कोस दूर एक जलाशय हैं जिसमें पहाडी झरना बहकर गिरता हैं। वह कभी नहीं सूखता। यदि जलाशय के सब जीव वहां चले जाएं तो बचाव हो सकता हैं। अब समस्या यह थी कि वहां तक जाया कैसे जाएं? बगुले भगत ने यह समस्या भी सुलझा दी 'मैं तुम्हें एक-एक करके अपनी पीठ पर बिठाकर वहां तक पहुंचाऊंगा क्योंकि अब मेरा सारा शेष जीवन दूसरों की सेवा करने में गुजरेगा।'सभी जीवों ने गद्-गद् होकर ‘बगुला भगतजी की जै’ के नारे लगाए..., अब बगुला भगत के पौ-बारह हो गई। वह रोज एक जीव को अपनी पीठ पर बिठाकर ले जाता और कुछ दूर ले जाकर एक चट्टान के पास जाकर उसे उस पर पटककर मार डालता और खा जाता। कभी मूड हुआ तो भगतजी दो फेरे भी लगाते और दो जीवों को चट कर जाते तालाब में जानवरों की संख्या घटने लगी। चट्टान के पास मरे जीवों की हड्डियों का ढेर बढने लगा और भगत जी की सेहत बनने लगी। खा-खाकर वह खूब मोटे हो गए। मुख पर लाली आ गई और पंख चर्बी के तेज से चमकने लगे। उन्हें देखकर दूसरे जीव कहते 'देखो, दूसरों की सेवा का फल और पुण्य भगतजी के शरीर को लग रहा है।'बगुला भगत मन ही मन खूब हंसता। वह सोचता कि देखो दुनिया में कैसे-कैसे मूर्ख जीव भरे पडे हैं, जो सबका विश्वास कर लेते हैं। ऐसे मूर्खों की दुनिया में थोडी चालाकी से काम लिया जाए तो मजे ही मजे हैं। बिना हाथ-पैर हिलाए खूब दावत उडाई जा सकती है संसार से मूर्ख प्राणी कम करने का मौक़ा मिलता है बैठे-बिठाए पेट भरने का जुगाड हो जाए तो सोचने का बहुत समय मिल जाता हैं..., बहुत दिन यही क्रम चला। एक दिन केकडे ने बगुले से कहा 'मामा, तुमने इतने सारे जानवर यहां से वहां पहुंचा दिए, लेकिन मेरी बारी अभी तक नहीं आई।'भगत जी बोले 'बेटा, आज तेरा ही नंबर लगाते हैं, आजा मेरी पीठ पर बैठ जा।'केकडा खुश होकर बगुले की पीठ पर बैठ गया। जब वह चट्टान के निकट पहुंचा तो वहां हड्डियों का पहाड देखकर केकडे का माथा ठनका। वह हकलाया 'यह हड्डियों का ढेर कैसा है? वह जलाशय कितनी दूर है, मामा?' बगुला भगत हा-हा करके खूब हंसा और बोला 'मूर्ख, वहां कोई जलाशय नहीं है। मैं एक- एक को पीठ पर बिठाकर यहां लाकर खाता रहता हूं। आज तू मरेगा..., केकडा सारी बात समझ गया। वह सिहर उठा परन्तु उसने हिम्मत न हारी और तुरंत अपने जंबूर जैसे पंजों को आगे बढाकर उनसे दुष्ट बगुले की गर्दन दबा दी और तब तक दबाए रखी, जब तक उसके प्राण पखेरु न उड गए। फिर केकडा बगुले भगत का कटा सिर लेकर तालाब पर लौटा और सारे जीवों को सच्चाई बता दी कि कैसे दुष्ट बगुला भगत उन्हें धोखा देता रहा..., शिक्षा:- दूसरों की बातों पर आंखें मूंदकर विश्वास नहीं करना चाहिए, वास्तविक परिस्थिति के बारे में पहले पता लगा लेना चाहिए, हो सकता है सामने वाला मनगढंत कहानियाँ बना रहा हो और आपको लुभाने की कोशिश कर रहा हो..., कठिन से कठिन परिस्थिति और मुसीबत के समय में भी अपना आपा नहीं खोना चाहिए और धीरज व बुद्धिमानी से कार्य करना चाहिए....! 🌅🔱🔥🚩📙✒️ 🧘🌲🏔️🌈💫🪐🪔 ✍🏻किसी बच्चे का जन्म "गंड मूल नक्षत्र" में होता है तो क्या वाकई गंड मूल नक्षत्र में जन्मे बच्चे स्वयं या परिवार के लिए परेशानी लाते हैं? इस स्थिति में शांति पाठ कराना कितना फलदायी है? इन तमाम सवालों पर विचार करने से पहले जानते हैं कि गंड मूल नक्षत्र है क्या? धर्मशास्त्रों में कुल 27 नक्षत्रों का वर्णन मिलता है, जिनमें से कुछ नक्षत्र शुभ, तो कुछ अशुभ माने जाते हैं. कुछ नक्षत्रों को ही गंड मूल नक्षत्र कहा जाता है, वैदिक ज्योतिष के अनुसार, इस श्रेणी में आने वाले नक्षत्र हैं अश्विनी, आश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा, मूल और रेवती। इन नक्षत्रों का जातक पर शुभ और अशुभ, दोनों प्रभाव होता है और इसका विचार कुंडली में इन छह नक्षत्रों में किसी एक में चंद्रमा की स्थिति, और नक्षत्र किस भाव में है, को देख कर किया जाता है। ठीक 27 दिन के बाद यह नक्षत्र पुन: आता है, इन सभी नक्षत्रों के कुल चार चरण होते हैं, और इसी चरण के हिसाब से जातक पर इसके प्रभाव की गणना की जाती है। उदाहरण के लिए, अश्वनी के पहले चरण में पैदा होने पर पिता को कष्ट जरूर होता है, बाकी तीन चरणों में जन्म होने पर सुख-संपत्ति, राजनीति में सफलता और राजकीय पुरस्कार आदि मिलता है। इसी तरह अश्लेषा के पहले चरण में जन्म लेने वाले बच्चे के लिए अगर शांति की पूजा करा ली जाए, तो बच्चे को शुभ फल मिलते हैं, लेकिन बाकी तीन चरणों में जन्म लेने पर धन की हानि, माता और पिता को तकलीफ पहुंचती है। मघा नक्षत्र के पहले दो चरण में ही माता और पिता को कष्ट होता है, बाकी के दो चरणों में बच्चे को अच्छा-खासा धन और उच्चशिक्षा प्राप्त होती है। वहीं ज्येष्ठा के चारों चरण कष्टकारी हैं। जबकि मूल नक्षत्र के पहले तीन चरणों में माता-पिता को हानि होती है,लेकिन चौथे चरण में शांति कराने के बाद फायदा होता है। और आखिर में रेवती नक्षत्र! इसमें केवल अंतिम चरण में बच्चे को तरह-तरह के कष्ट मिलते हैं, लेकिन पहले तीन चरणों में जन्म होने पर राजकीय सम्मान, धन-दौलत की वृद्धि और व्यापार में फायदा होता है। ऐसे में शांति नहीं करवाने पर इन गंड मूल नक्षत्रों में जन्मा बच्चा माता-पिता, अपने कुल या अपने ही शरीर को क्षति पहुंचाता है। इस स्थिति में ज्योतिष के कहे अनुसार शांति की पूजा करा लेनी चाहिए। पूजा कराने के बाद ही पिता को अपने बच्चे को देखना चाहिए। अपनी दुआओं में हमें याद रखें बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! 🙏सुप्रभात 🌹 आपका दिन शुभ हो विकास शर्मा'"शिवाया" सर्वधर्म समाधान ©Vikas Sharma Shivaaya' ✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 एक वन प्रदेश में एक बहुत बडा तालाब था। हर प्रकार के जीवों के लिए
Geet
........ आजादी का दिन..... 👇 आजादी का दिन है आया,आजादी का दिन है आया । सबके मुस्कराने का दिन है आया ।। भूल के अपने सारे दुख और गम, हो जाओ आजादी के दिन में मग्न । सबके ख
sandy
*-:पूर्ण वाचा छान आहे:-* एकदा एक खेकडा समुद्राच्या किनार्यावर खेळत होता.... ! ! त्याच्या तीरप्या चालीने वाळू वर काही रेखाटत होता.. समुद्राच्
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