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kanta kumawat
जय श्री कृष्णा जय श्री राधे कृष्णा ©kanta kumawat जय श्री कृष्णा जय श्री राधे कृष्णा
Rabindra Kumar Nayak
जय श्री कृष्णा जय श्री कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे
Satish Ghorela
एक बार एक सुनार की आकस्मिक मृत्यु के बाद उसका ख़ानदान मुसीबत में पड़ गया औऱ उसके पूरे परिवार को भोजन के भी लाले पड़ गए। एक दिन मृत सुनार की पत्नी ने अपने बेटे को नीलम का एक हार देकर कहा बेटा! इसे अपने चाचा की दुकान पर ले जाओ, कहना ये बेच कर कुछ पैसे दे दें । बेटा वो हार लेकर अपने चाचा के पास गया । चाचा ने हार को अच्छी तरह देख और परख कर कहा बेटा! माँ से कहना कि अभी मार्केट बहुत मंदा है। थोड़ा रुक कर फ़रोख़त करना, अच्छे दाम मिलेंगे।फ़िर उसे थोड़े से रुपये देकर कहा कि तुम कल से मेरे दुकान पर आकर बैठना। अगले दिन से वो लड़का रोज़ दुकान पर जाने लगा और वहाँ हीरों-जवाहरात की परख का काम सीखने लगा ।कुछ ही दिनों में वो बड़ा माहिर बन गया, लोग दूर दूर से अपने हीरे व जेवरात की परख कराने उसके पास आने लगे। एक दिन उसके चाचा ने कहा: बेटा अपनी माँ से वो हार लेकर आना और कहना कि अब मार्केट में बहुत तेज़ी है, उसके अच्छे दाम मिल जाऐंगे । दूसरे दिन माँ से हार लेकर जब लड़के ने उसे परखा तो पाया कि वो तो नक़ली है।फिर उसने कुछ सोचकर उस हार को घर पर ही छोड़ दिया और दुकान लौट आया । चाचा ने पूछा: हार नहीं लाए? उसने कहा: वो तो नक़ली था । तब चाचा ने कहा "जब तुम पहली बार उस हार को लेकर आए थे, उस वक़्त अगर मैंने उसे नक़ली बता दिया होता तो तुम सोचते कि आज हम पर बुरा वक़्त आया तो चाचा हमारी चीज़ को भी जाली बताने लगे, आज जब तुम्हें खुद ज्ञात हो गया तो पता चल गया कि हार नक़ली है। सच तो यही है कि इल्म के बग़ैर इस दुनिया में ऐसे ही ग़लतफ़हमी का शिकार होकर पारिवारिक औऱ बेहद क़रीबी रिश्ते बिगड़ते हैं। ©Satish Ghorela जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण जय श्री कृष्ण
Kevesh Kumar Bhati
जय श्री कृष्णा हरे कृष्णा हरे हरे हरे मुरारी हरे कृष्णा हे नाथ नारायण वासुदेवा आप सभी को श्री कृष्ण भगवान जन्म दिवस शुभकामनाएं ©Kevesh Kumar Bhati श्री कृष्णा श्री कृष्णा जय द्वारकाधीश
Anand Nishad Barhaz Deoria Up
kanta kumawat
एक बार फिर से मुरली बजाओं ना कान्हा अपनी मुरली की मधुर सी ध्वनि से गोपियों को नचाओ ना कान्हा। तुम यशोदा के हो या देवकी के लाल माख्नन के प्यारे मेरे गिरधर गोपाल तुम वासुदेव के हो या नन्दजी लाल एक फिर से बताओं ना कान्हा एक बार फिर से मुरली बजाओ ना कान्हा अपनी मुरली की मधुर ध्वनि से गोपियों को नचाओ ना कान्हा तुम राधे के मनमोहन या मीरा के गिरधर गोपाल माख्नन से भरी मटकी मेरी मेरे कृष्ण कन्हैया लाल एक बार फिर से पिछे-पिछे आओ ना कान्हा। तुम दुनिया के रखवाले हो या गायों के गवाल एक बार फिर से माख्नन चोर - चोर कर खाओ ना कान्हा हम गुलशन के गुलाब लेकर पूकार करें मेरे श्याम गोविन्द कहें या गोपाल एक बार फिर से बताओं ना कान्हा। दुनियाँ में तुम्हारे प्रेम की कहानी सीता- राम की और राधा-श्याम की दिवानी एक बार फिर से प्रेम लीला समझाओ ना कान्हा। हम सब इन्तज़ार में एक बार फिर जल्दी से आऔ ना कान्हा। एक बार फिर से अपनी मधुर सी मुरली बजाओं ना कान्हा। कान्ता कुमावत ©kanta kumawat जय श्री कृष्णा जय श्री राधे