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punm
दर्द भरी अपनी दास्ता हम भी सुनाते, कोई प्यार से हाल पूंछा तो होता। हाल ए दिल हम भी बताते, किसी ने अपना हमे समझा तो होता । बहुत कुछ था बताने को,है कहानियां अपनी भी, कोई थोड़ा खामोश रह कर हमे सुना तो होता। मिल जाती है हमे फुर्सत भी की साथ बैठ कुछ सुने और कुछ सुनाए, लेकिन फुर्सत में साथ बैठने वाला कोई मिला तो होता। दिल करता है की बताऊं अपने हँसते चेहरे का राज, किसी ने ये महसूस किया तो होता। न रखूं कुछ मन में सब खुल के कहूँ , काश सुनने का सब्र थोड़ा किसी में तो होता। चेहरे की उदासी की वजह मैं भी बताऊं, काश इतना खुशनसीब बनाया तो होता। ©punm कोई अपना तो होता।
punm
दर्द भरी अपनी दास्ता हम भी सुनाते, कोई प्यार से हाल पूंछा तो होता। हाल ए दिल हम भी बताते, किसी ने अपना हमे समझा तो होता । बहुत कुछ था बताने को,है कहानियां अपनी भी, कोई थोड़ा खामोश रह कर हमे सुना तो होता। मिल जाती है हमे फुर्सत भी की साथ बैठ कुछ सुने और कुछ सुनाए, लेकिन फुर्सत में साथ बैठने वाला कोई मिला तो होता। दिल करता है की बताऊं अपने हँसते चेहरे का राज, किसी ने ये महसूस किया तो होता। न रखूं कुछ मन में सब खुल के कहूँ , काश सुनने का सब्र थोड़ा किसी में तो होता। चेहरे की उदासी की वजह मैं भी बताऊं, काश इतना खुशनसीब बनाया तो होता। ©punm कोई अपना तो होता।
Dr. AJATSHATRU MANIK BHAGAT
World Ozone Day दंग हूँ मैं इन दंगो से रक्त ही रंग है इन दंगो से मानवता का मानव से विच्छेद मानव मानव में कैसा यह भेद? होती है खून में खून से होली कहती है ये मानवता हीन की बोली मरे दंगों में कोई अपना तो होता दर्द का एहसास न हो अपना तो करो मानवता का ह्रास, दर्द से कराहती रहती है आँख जहाँ देखो वहाँ फैली है सख राख देखकर इन खंडहरो को, होगा आने वाली नस्लो को ज्ञान यहाँ पर रहता होगा कैसा सभ्य इंसान|| ©Dr. AJATSHATRU MANIK BHAGAT दंग हूँ मैं इन दंगो से रक्त ही रंग है इन दंगो से मानवता का मानव से विच्छेद मानव मानव में कैसा यह भेद? होती है खून में खून से होली कहती ह
Satya Prakash Upadhyay
घर से चल दी घर की बेटी ... अच्छा मम्मी मैं चलती हूँ पहुँच कर पापा पर कॉल करती हूँ अभी चली थी पाँच कदम हीं घूरते नज़रों से खुद को छिपाती हूँ नुक्कड़ के चाय की टपरी पर मनचलो से भी निपटा करती हूँ कहीं बात आगे न बढ़ जाए बिन गलती के भी डरती हूँ अभी थोड़ी देर है बस को आने में चलो अखबार हीं पढ़ लेतीं हूँ मन घबरा जाता है जब हर समाचार में खुद जैसी को हीं पाती हूँ बस आ गई सवार हो गई पर यहाँ भी उन्हीं संस्कारों को पाती हूँ क्या किसी को अब भान न रहा मैं भी जगदम्बा की हीं थाती हूँ चलो भाई स्टॉप आ गया अब कैब /ऑटो बुक कर लेती हूँ पर एक ऐसा ना मिला जिसके शीशे में चुभती निगाहें न पाती हूँ मालिक हो या किरायेदार सब की नजरों में एक सी पलती हूँ ऐसे समाज को देख देख अब भीतर हीं भीतर जलती हूँ भरे बाजार निहार रहे मैं ख़ुद ख़ुद में सिमट जाती हूँ तुम तो बस समाचार पढ़ रहे,मैं प्रतिदिन ये सब झेला करती हूं जब स्त्री भी स्त्री का साथ न देती अपनी नजरो में खुद गिर जाती हूँ कोई एक अपना तो होता जो कहता मैं उसकी बहन बेटी हूँ ख़बरों में ज़िक्र हो एसिड अटैक तब भीतर से हिल जाती हूँ मार्किट हो या वर्क प्लेस घर से बाहर बस गिद्धों को हीं पाती हूँ लोगों की चुपड़ी बातों से मैं हर पल छली जाती हूँ किसी के संग दो बातें कर ली तो क्या क्या समझी जाती हूँ घर से निकल कर घर तक पहुंचने में कितना शर्मशार मैं होती हूँ क्या बन जाएगी मानसिकता मेरी मैं खुद ये समझ नही पाती हूँ किसी दिन खबर न बन जाऊं मैं ये सोच सोच घबराती हूँ न जाने जतन कर कितने किसी तरह लाज घर की बचाती हूँ disclaimer:- This poem does not belong to all. यह कविता सभी के लिए नहीं है। #घर_से_चल_दी_घर_की_बेटी ... अच्छा मम्मी मैं चलती हूँ पहुँच कर
Amit Sir KUMAR
कोई तो अपना होता , सबने लगा रखी है चेहरे पर कई परते काश लोगो के चेहरे पर यह मुखौटा न होता, करते थे जो दोस्ती का दावा, दिखाया जो उन्हें अपने दिल के ज़ख्मों को , करते हैं वो नुमाइश मेरे जख्मों का भरी महफिलो में,काश कमजर्फी का यह आलम न होता। ©Amit Sir KUMAR #dilkibaat कोई तो अपना होता....
vishwadeepak
गरीब ना होता तो, तेरा अपना होता, गर होती हैसियत तो, तेरा सपना होता ..... ©Deepak Chaurasia #गरीब ना होता तो, तेरा अपना होता,
Manojkumar Kumar
अगर अपना होता तो जाता ही नहीं
Atul painter
techno Gamerz
अपना अपना होता है ©Abhijeet Entertainment अपना अपना होता है