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Parasram Arora

आखिर कौन है  . जिम्मेदार  
मेरी नैतिक  विकृतियों क़े नैपथ्य मे?  
क्यों है   सम्वेदनशून्यताये  मेरे जीवन मे?  
क्यों है  आकुलताये  इतनी  और  ये हताशा मे रंगी 
हुई व्यकुलताये 
क्यों है  मेरी  लंगड़ी  वासनाओ क़े लिए    इतनी सारी 
वैसाखिया?   
क्या ये  विचार  सत्य की  दिशा मे  किसी ठोस 
अनुसंधान को  जन्म  दे सकती है,?  
अथवा मै   कही  झूठ  क़े  आध्यात्मिक  पहलू. पर 
कोई  विश्लेषण   करने.  का  विचार  तो   नहीं कर  रहा हूँ? #विश्लेषण....

Pawan Yadav

यदि आप social media user है तो हर विशेष खबर की पुष्टि स्वयं के विवेक से करना, आपका व्यक्तिगत दायित्व बनता है अन्यथा आप में और एक अशिक्षित व्यक्ति में कोई विशेष फर्क नहीं रह जाता है। #NojotoQuote #विश्लेषण

Dileep Bhope

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Pawan Yadav

प्रेम के इजहार का या प्रेम करने का, क्या कोई एक निश्चित दिन हो सकता है?

"प्रेम प्रदर्शन का विषय नहीं बल्कि दर्शन का विषय है।" #NojotoQuote #विश्लेषण

Pratibha Mishra

विश्लेषण #HeartfeltMessage #Motivational

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Phool Singh

रिश्ते-नाते: एक विश्लेषण #समाज

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Ehsaasnama(Shivam Singh)

#2liner #kavishala #Nojoto #Love #nojotokhabri सौंदर्य विश्लेषण #Poetry

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ये ओस की चादर कुछ यूं कमसिन हुई, 
कि आफताब भी शर्मा गया हुस्न देखकर #2liner #kavishala #nojoto #love #nojotokhabri
सौंदर्य विश्लेषण

Ek villain

#Marriage #तार्किक विश्लेषण हिमाचल चुनाव के ऊपर #Society

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हिमाचल गठन के बाद वहां के मतदाता बारी-बारी से भाजपा और कांग्रेस को सत्ता में बैठा कर रहे हैं लेकिन इस बार लग रहा है हिमाचल का इतिहास बदलने वाला है प्रधानमंत्री मोदी का चेहरा उनका तूफानी चुनाव प्रचार एवं डबल इंजन के नारे के साथ हिमाचल के विकास के ऐसे बिंदु है जो हिमाचल के मतदाताओं को प्रभावित कर रहे हैं बहुत से मतदाता ऐसे भी हैं जो पीएम मोदी की साफ-सुथरी छवि को ही वोट दिया है गुजरात में भी जनता का जोड़ा भाजपा के मुकाबले मोदी की छवि से अधिक है

©Ek villain #Marriage #तार्किक विश्लेषण हिमाचल चुनाव के ऊपर

Sushil Patial

रविवार, 13 मार्च 2022 चुनावी नतीजों का संक्षिप्त विश्लेषण। #जानकारी

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चुनावी नतीजों का संक्षिप्त विश्लेषण।

पंजाब के चुनावी नतीजों से यह समझा जा सकता है कि पंजाब के लोगों ने जात पात और धर्म आधारित राजनीति को नकार दिया है। पंजाब के लोगों ने जनमानस से जुड़ी मूलभूत सुविधाओं जैसे कि शिक्षा स्वास्थ्य बिजली पानी सड़क भ्रष्टाचार आदि मुद्दों को ध्यान में रखकर इस बार अपने मताधिकार का प्रयोग किया है।
वहीं पंजाब के लोग किसान आंदोलन में सरकार द्वारा की गई क्रूरता को भूली नहीं थी। 

वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश गोवा मणिपुर और उत्तराखंड में लोगों ने शिक्षा के अभाव में धर्मांध होकर अपना वोट दिया। 

मुझे तो ये सोच के ताज्जुब होता है कि कैसे भारतीय जनता पार्टी ने जनता का ध्यान मूलभूत मुद्दों से हटाकर धार्मिक कट्टरता की ओर मोड़ दिया और यह पार्टी चार राज्यों में चुनाव बड़े मार्जिन जीत गई।
लोग बेजेपी की जीत के मुख्य निम्नलिखित कारण बता रहे हैं 
1. राम मंदिर का निर्माण और धर्मांधता
2. बड़े-बड़े नेताओं का लोगों से संवाद करना
3. सरकार का झूठा प्रचार करना कि 400000 लोगों को रोजगार दिया
4. सरकार का यह झूठा प्रचार करना कि भारत का रूतवा दुनिया में बढ़ गया है।
5. कानून व्यवस्था का सुधारना
6. फ्री राशन की सुविधा देना
7. विपक्ष का सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ सही तरीके आवाज न उठाना।

जैसे की हम सब जानते ही हैं कि यूपी एक गरीब प्रदेश है जिस की साक्षरता दर भी बहुत ज्यादा कम है, यह बात मुझे अचंभित नहीं करती कि वहां के लोग मूलभूत मुद्दों को भूल कर धर्म और जाति के आधार पर वोट करते हैं।

यूपी सरकार के अपने आंकड़े कहते हैं कि वहां के 15 करोड़ गरीब परिवारों को उन्होंने मुफ्त राशन की सुविधा दी। मगर सोचने की बात यह है कि अगर वहां राम राज्य आ गया था तो यह 150000000 गरीब परिवार कहां से आ गए। भाजपा का इतने बड़े मार्जन से चुनाव जीत जाना भाजपा के सांप्रदायिक मुद्दों की जीत है क्योंकि वहां के लोगों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी और रोजगार आदि मुद्दे ही नहीं है।

बीजेपी का इन चार राज्यों में सरकार बना लेना यह साबित करता है कि लोगों को निम्नलिखित मुद्दों से कोई सरोकार नहीं था या है -

1. धारा 370 का अलोकतांत्रिक रूप से हटाना और वहां के स्थानीय नेताओं को गृह बंदी बना देना। 
2. राम मंदिर निर्माण के चंदे में घोटाला होना और राम मंदिर के नाम पर भूमि घोटाला होना।
3. राफेल घोटाला होना और उसकी जांच के आदेश भी ना होना
4. पेगासस जैसे सॉफ्टवेयर से लोगों की निजता पर हमला करना।
5. करोना का भारत पहुंचना
6. करोना काल के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं का चर्मरा जाना
7. लाशों का नदियों में तैरना
8. नदी किनारे दफनाए गए शवों के ऊपर से सरकार द्वारा कफन हटवा लेना।
9. बीजेपी नेताओं या फिर उनके समर्थकों द्वारा समय-समय पर घटिया बयान देना।
10. उन्नाव में हुई हिंसक घटना भुला देना
11. हाथरस में आधी रात को एक रेप पीड़िता का शव जला देना
12. समय समय पर ईमानदार पत्रकारों या लोगों द्वारा सरकार से सवाल पूछने पर उन्हें UAPA लगाकर जेल के अंदर डाल देना।
13. देशभर में मॉब लिंचिंग की दर्जनों घटनाओं पे सरकार का मौन
14. अदालत की बिल्डिंग पे तिरंगा हटाकर भगवा फहरा देना
15. कई गौशालाओं में गायों का भूख से तड़प तड़प कर मर जाना
16. पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दामों में बेतहाशा वृद्धि होना
17. देशभर में महंगाई दर का दिन प्रतिदिन बढ़ते जाना
18. बड़े बड़े कारोबारियों के कर्ज को एनपीए खाते में डलवा देना और उन कारोबारियों को देश से भगा देना।
19. 99% मीडिया का सरकार के कदमों में लोट जाना
20. चुनाव के दौरान बीजेपी नेताओं का चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन करना और चुनाव आयोग का मौन रह जाना।
21. नोटबंदी के घटिया फैसले से देश की अर्थव्यवस्था को कुचल देना
22. बिना किसी तैयारी के सारे देश को तालाबंदी की आग में झोंक देना
23. भारत की तुलना विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाओं से ना होकर पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश की अर्थव्यवस्थाओं से होना 
24. रोजगार के मुद्दों को उठाने वाले छात्रों पर लाठीचार्ज होना
25. CAA, NRC के खिलाफ़ बोलने वालों को देशद्रोदी बता देना और पाकिस्तान चले जाने को कहना। 
26. देश के बुद्धिजीवी वर्ग को आतंकवादी और देशद्रोही बता देना
27. किसान आंदोलन के दौरान हुई थी ज्यातियों और मंत्री के बेटे द्वारा किसानों पर गाड़ियां चढ़ा देना।
28. विकास दुबे, चिन्मयानंद और कुलदीप सिंह सिंगर जैसे अपराधियों को सरकार की शह होना
29. गांधीजी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का महिमामंडन करने वाले लोगों का सरकार की तरफ से मौन समर्थन होना।
30. दर्जनों सरकारी बैंकों और कंपनियों का निजीकरण कर देना। 
31. मोदी जी का अमेरिका में जाकर के लिए वोट मांगना जो की विदेश नीति का सबसे बड़ी असफलता थी।
32. मोदी जी का हर जगह से या हर चीज से अपना एक नाता बता देना
33. बिना किसी पूर्व तैयारी के जीएसटी लागू कर देना जिसके कारण लाखों व्यापारी बुरी तरह से प्रभावित हुए
34. मोदी जी का 7 सालों से कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करना और मीडिया के सवालों से भागना
35. भारत चीन सीमा विवाद पर लोगों को झूठ पर उसने और झूठा गुजरात विकास मॉडल दिखाकर जनता को बेवकूफ बनाना

उपरोक्त मुद्दों के अलावा मोदी जी और उनकी सरकार में बैठे हुए लोगों ने बहुत सारे झूठ भी बोले जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं

1. सिकंदर को गंगा तट पर बिहारियों ने हराया था
2. मोदी जी ने बिहार के गौरवशाली इतिहास को बताते हुए कह दिया था कि प्रसिद्ध तक्षशिला विश्वविद्यालय बिहार में है।
3. NDA के कार्यकाल में जीडीपी 8.4% थी जबकि यह 6% थी
4. गुजरात में सबसे अधिक विदेशी पूंजी का निवेश होता है
5. नर्मदा नदी पर बांध बनने पर लोगों को मुफ्त बिजली मिलेगी जो अब तक नहीं मिली
6. अमित शाह द्वारा मोदी जी की पढ़ाई की फर्जी डिग्री दिखाना
7. संत कबीर, गुरु नानक देव और बाबा गोरखनाथ एक साथ आध्यात्मिक चर्चा की थी यह भी मोदी जी ने बताया।
8. बालाजी एयर स्ट्राइक पर मोदी जी ने कहा था कि आज बादल हैं और बारिश भी हो रही है तो एक फायदा है कि हम पाकिस्तान के रडार से बच सकते हैं।
9. 1988 में पहली बार मोदी जी ने डिजिटल कैमरा से फोटो खींचकर आडवाणी जी को ईमेल कर दी थी।
10. गटर की गैस से चाय बनाने का फार्मूला भी मोदी जी ने ही दिया था । यह अलग बात है कि अभी तक सरकार गटर से गैस निकाल नहीं पाई ।
11. बलवान घाटी में चीन के साथ विवाद मैं मोदी जी ने कहा था कि "ना कोई हमारी सीमा में घुसा है ना ही कोई हमारी पोस्ट किसी के कब्जे में है", जबकि चीनी सेना ने हमारे 20 सैनिकों को हमारी सीमा के अंदर घुस कर मार दिया था

अतःमैं अंत में यह कहना चाहूंगा की उपरोक्त जानकारियां और मोदी जी के झूठ शायद जनता तक विपक्ष पहुंचाने में नाकामयाब रहा और मीडिया तो पहले ही सरकार के तलवे चाट रहा है तो उनसे तो कोई उम्मीद थी ही नहीं या फिर जनता इतनी धर्मांध हो चुकी है कि उसे रोजगार, भुखमरी, महंगाई जैसे मुद्दों से कोई फर्क नहीं पड़ता ।

एक बात और ये जोड़ना चाहूंगा की गुलामी करना हमारे डीएनए में है । प्राचीन काल में उन्होंने उच्च वर्गों के लोगों की गुलामी की, राजाओं की गुलामी की,  मुगलों की गुलामी की, फिर अंग्रेजों की गुलामी की और आज हम लोकतांत्रिक व्यवस्था में होते हुए भी अपने चुने हुए नुमाइंदों की ही गुलामी कर रहे हैं। 

अक्सर यह सोचता हूं कि अपने चुने हुए नुमाइंदों से प्रश्न पूछना देशद्रोह कब से हो गया। अगर हम चाहते हैं कि हमारे चुनी हुई सरकार हैं देश हित में काम करें तो हमें एक जागरूक नागरिक बनना पड़ेगा जोकि सिविल सर्विसेज की परीक्षाओं से भी कठिन काम है और शायद भारत की ज्यादातर आबादी को कठिन परिश्रम करने की आदत नहीं है क्योंकि हम हर चीज आसानी से पाना चाहते हैं। 

बाकी देश की मानसिक रूप से गुलाम हो चुकी जनता को बधाई जिन्होंने सांप्रदायिक ताकतों को सरकार चलाने के लिए एक बार फिर से चुना ।

जय हिंद जय भार

©Sushil Patial रविवार, 13 मार्च 2022

चुनावी नतीजों का संक्षिप्त विश्लेषण।
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