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Sanjay Sahu
आस लगाए बैठा हूँ तुमसे, बरसाेगे कब, बताएँ रे बदरा। सावन बीता सूखा-सूखा पर, भादाे आस जगाए रे बदरा। जाे था पास मेरे वाे खेतों पर, बैठा हूँ सब लगाए रे बदरा। अंतिम आस तुम्ही हो पर, दिल भी अब घबराए रे बदरा। कहलाता हूँ अन्नदाता पर, फसल अब रूलाए रे बदरा। भूख सभी की मिटाता हूँ पर, फसलों की प्यास काैन बुझाए रे बदरा। आस लगाए बैठा हूँ तुमसे, बरसाेगे कब, बताएँ रे बदरा। सावन बीता सूखा-सूखा पर, भादाे आस जगाए रे बदरा। अब न बरसे जाे तुम पौधों पर, तड़प-तड़प मर जाए रे बदरा। जब न रहे फसल मेरी ताे, अन्नदाता कैसे कहलाएँ रे बदरा। आस लगाए बैठा हूँ तुमसे, बरसाेगे कब बताएँ रे बदरा। सावन बीता सूखा-सूखा पर, भादाे आस जगाए रे बदरा। ©Sanjay Sahu वर्षा ऋतु का आगमन पर वर्षा न होने से किसान अपनी फसलों के लिए चिंतित है। #OneSeason
KrishnaSharma
कविता का शीर्षक:- बसंत ऋतु का आगमन लेखक:- कृष्णा शर्मा स्वरचित पेड़ों पर कलियाँ फूट पड़ी मन सरसों सा लहराया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत यह आया है फूलों में रंग लगा भरने कोयल की कूक सुनाई दे वह पवन बसंती है देखो मनवा को जो पुरवाई दे हरियाली खेतों में है आमों पर बौर लगा आने देखो पलाश के फूलों को आकर्षित हैं करने वाले मन बना बसंती झूम रहा क्या मस्त बहारें लाया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत ये आया है हो गर बसंत जीवन में तो हर मौसम में खुशहाली हो पतझड़ चाहे जीवन हो पर अंतर्मन में हरियाली हो भंवरा बन कर के फूलों पर जीवन को यूं महका जाऊं फिर बना बसंती खुद को मैं सारे जग को बहका जाऊं एक बसंती पवन ने ही मेरे मन को महकाया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत यह आया है इस फगवा और बसंती का जग में है मेल निराला सा मदमस्त सभी को करता है मुझको कर दिया शिवाला सा सबके मन को ही भाता है देखो बसंत जब आता है जीवन को रंग बिरंगा कर यह नई बहारें लाता है इस एक अनोखी ऋतु ने ही सारे जग को महकाया है मेरे जीवन में एक बार फिर से बसंत यह आया है जय शारदे मां ©KrishnaSharma कविता का शीर्षक बसंत ऋतु का आगमन #Morning
Anubhav Dwivedi
पावन अमृत वृष्टि हेतु , फिर वर्षा ऋतु आई है। धरती ने इस निठुर तपन से , अब जाकर मुक्ति पाई है। पुष्प खिल उठे, जीव जागृत , मौसम ने ली अंगड़ाई है। पृथ्वी को हरित वसन ओढ़ाने , फिर वर्षा ऋतु आई है। उमड़-घुमड़ वर्षा ऋतु आई।😇 #rain #baarish #fun #enjoy #kavita #beyourself #livelifetothefullest #yqdidi
Anubhav Dwivedi
पावन अमृत वृष्टि हेतु , फिर वर्षा ऋतु आई है। धरती ने इस निठुर तपन से , अब जाकर मुक्ति पाई है। पुष्प खिल उठे, जीव जागृत , मौसम ने ली अंगड़ाई है। पृथ्वी को हरित वसन ओढ़ाने , फिर वर्षा ऋतु आई है। उमड़-घुमड़ वर्षा ऋतु आई।😇 #rain #baarish #fun #enjoy #kavita #beyourself #livelifetothefullest #yqdidi
Harlal Mahato
मेघा गरजा बारिश हुई देखो बुंदें छबीली नच गई सुप्त-सयाना दादुर भैया टर्र-टर्र कर कर ली सगाई चटाई बिछाई तरणी ने तट पर पुलकित पुष्प रंग लगाए पट पर जुगनुओं की अगुवाई में बारात आई रस्में होने लगी झटपट पनघट पर पाहुन-पग धुलाए तरुण ताल आसन परोसा स्वच्छ शैवाल मीन रोहू लगी खातिरदारी में दृष्टि दिए रखा सब पर हरलाल शस्य सजाए माड़ुआ सप्तरंग मुदित मन से घोंघा बजाए मृदंग मंत्र उच्चारण किए केकड़े ने दूल्हन आई सज-धज रौशनी संग ©Harlal Mahato वर्षा ऋतु और दादुर #वर्षा_ऋतु #rainydays #Marriage Shalini Pandit prajakta indira Priya Gour Pushpvritiya
SURAJ आफताबी
बलखाती सी प्रेम डगरिया बनकर सहारा चलती वो तिरिया नव प्रस्फुटित मंजरी सी उसकी तरूणाई शायद इस पावस जमके बरसी है तरूण बदरिया ! बड़ी गहरी लागी तलब.. देख दो नैन तलैया युक्ति कोई सुझाये.. कैसे ये सोम पिया जाये इस पुरवा से अनभिज्ञ ठहरा.. ये बाबू शहरिया !! तिरिया- नारी तरूणाई- यौवन, जवानी पावस- वर्षा ऋतु #love #prem #surajaaftabi #zindagi #yqdidi #mohabbat #life #lovequotes