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Samar Rao
मैं अपने देश की सेवा करते हुए शहीद हुआ हूँ मगर मेरे रब की कसम मै अपनी जगह से एक इन्च भी नहीं हिला हू जय हिंद सच्ची घटना
Imran Shekhani (Yours Buddy)
Writer Veeru Avtar
युक्रेन और रसिया के बीच हो रहे युद्ध से सभी लोग भली भाँति परिचित हैं.और इस समय भारत की स्थिति किसी के भी पक्ष में नहीं है.. याद करो, भारत-पाक 1971 का युद्ध, उस समय पाकिस्तान के साथ अमेरिका, श्रीलंका और भी कई देश खड़े थे, और भारत अकेला ही था और पराजय की कगार पर खड़ा था, ऐसे में रूस ने ही अमेरिका जैसे कई देशों से दुश्मनी लेकर भारत का साथ दिया (सैन्य ताक़त और हथियारों से) ,,, रूस ने अपनी सच्ची मित्रता का परिचय दिया था... सोचिये जरा, अगर चीन ने पाकिस्तान को उक्साकर(जैसे अमेरिका ने युक्रेन को उक्साया है),भारत से फिर से युद्ध कराने के लिये खड़ा कर दिया(इतिहास दोहराने के लिये) और पाकिस्तान को सैन्य और हथियारों की भी सहायता कर दी,, और सिर्फ इतना ही नहीं ईरान, तुर्की जैसे कई देश भी पाक के साथ खड़े हो गए तो क्या होगा,, क्या रूस से भारत मदद ले सकेगा और अगर भारत विनती भी करता है रूस से तो क्या रूस साथ देने आयेगा.. भारत सरकार को इस विषय पर भी सोचना चाहिये.. ©Writer Veeru Avtar सच्ची घटना
motivational writter Surendra kumar bharti
सच्ची घटना की कहानी हमारे जीवन के रास्ते का वो इक मंजर जो आज भी याद आता रहता है एक बार की बात है । कि मैं अपनी गाड़ी लोडर से लखनऊ से आगे महमूदा बाद जा रहा था । रात लगभग 2 बजे का टाइम था । मैं गाड़ी में सिर्फ अकेले म्यूजिक लगा कर गाने सुनते गुनगुनाते हुवे चला जा रहा था । महमूदा बाद लगभग 25 किलो मीटर बचा होगा रास्ता बिल्कुल वीरान था चारो तरफ बस काली रात का भयानक सन्नाटा और जानवरों की वो ख़ौफ़नाक आवाजें दूर दूर तक कोई नजर नही आ रहा था । मैं अपनी धुन में गाने गुनगुनाते हुवे चला जा रहा था । तभी अचानक दूर सड़क धुंधली लाइट में दो काली परछाईं सी नजर आती है । कोई दूर हांथ हिलाकर कर हमें रोकने की कोशिश कर रहा था । मैं काफी डर गया की इतनी रात को कौन होगा । धीरे धीरे वो वो काली परछाईं इंसान के रूप में नजर आने लगी तभी देखता हूँ की इक औरत अपनी गोद में इक बच्चा लिए हांथ हिलाकर मुझे रोक रही मैं डरा सहमा सा धीरे से अपनी गाड़ी रोता हूं । तभी वो औरत मेरे पास आकर रोती हुवी बोलती है । भईया मेरे बच्चे का एक्सीडेंट हो गया है मैंने देखा उस औरत की गोद में इक बच्चा था जिसके सर में चोट लगी थी । फिर हमने उस औरत से कहा हम इस रास्ते पर नए है । हमें नही मालूम की यहां खान डॉ. मिलेंगे तभी वो औरत बोली यहाँ से थोड़ी दूर पर ही एक डॉ. हैं उन्हीं के पास जल्दी चलिए हमनें भी देर ना करते हुवे गाड़ी को जल्दी से वहां से बढ़ा लिया । लगभग 5 किलो मीटर चलने के बाद एक अंधेरा मोड़ आता है औरत बोलती है हमसे की भईया बस मोड़ से मोड़ लीजिये बस 100 मीटर पर डॉ. का घर है । हमने भी गाड़ी मोड़ी और थोड़ी देर चलने के बाद देखा की दूर इक घर दिखाई दे रहा था । लेकिन वहां दूर दूर तक बस पेड़ ही पेड़ थे किसी दूसरे घर का नामोनिशान नही था मैं काफी डरा और उस औरत से पूछने के लिए जैसे ही सर घुमा कर देखता हूँ तो वो औरत और बच्चा दोनों गाड़ी में नही थे । मैं बहोत डर गया और फिर आगे की तरफ देखाता हूँ तो वहां वो जो घर दिख रहा था वो घर भी नही था । मैं और भी डर गया । मैंने डरते डरते गाड़ी घुमाई और वहां से वहां से गाड़ी भगाते हुवे महमूदा बाद ना जाकर सीधे घर चला आया । लेकिन वो मंजर आज भी अगर याद आ जाता है दिल दहल सा जाता है । दोबारा अगर उस तरफ जाना होता है तो मैं दिन दिन ही अपना काम खत्म करके चला आता हूँ । लेकिन वो मंजर आज भी आंखों के सामने घूमता रहता है । ©Surendra kumar bharti सच्ची घटना
motivational writter Surendra kumar bharti
सच्ची घटना की कहानी हमारे जीवन के रास्ते का वो इक मंजर जो आज भी याद आता रहता है एक बार की बात है । कि मैं अपनी गाड़ी लोडर से लखनऊ से आगे महमूदा बाद जा रहा था । रात लगभग 2 बजे का टाइम था । मैं गाड़ी में सिर्फ अकेले म्यूजिक लगा कर गाने सुनते गुनगुनाते हुवे चला जा रहा था । महमूदा बाद लगभग 25 किलो मीटर बचा होगा रास्ता बिल्कुल वीरान था चारो तरफ बस काली रात का भयानक सन्नाटा और जानवरों की वो ख़ौफ़नाक आवाजें दूर दूर तक कोई नजर नही आ रहा था । मैं अपनी धुन में गाने गुनगुनाते हुवे चला जा रहा था । तभी अचानक दूर सड़क धुंधली लाइट में दो काली परछाईं सी नजर आती है । कोई दूर हांथ हिलाकर कर हमें रोकने की कोशिश कर रहा था । मैं काफी डर गया की इतनी रात को कौन होगा । धीरे धीरे वो वो काली परछाईं इंसान के रूप में नजर आने लगी तभी देखता हूँ की इक औरत अपनी गोद में इक बच्चा लिए हांथ हिलाकर मुझे रोक रही मैं डरा सहमा सा धीरे से अपनी गाड़ी रोकता हूं । तभी वो औरत मेरे पास आकर रोती हुवी बोलती है । भईया मेरे बच्चे का एक्सीडेंट हो गया है मैंने देखा उस औरत की गोद में इक बच्चा था जिसके सर में चोट लगी थी । फिर हमने उस औरत से कहा हम इस रास्ते पर नए है । हमें नही मालूम की यहां खान डॉ. मिलेंगे तभी वो औरत बोली यहाँ से थोड़ी दूर पर ही एक डॉ. हैं उन्हीं के पास जल्दी चलिए हमनें भी देर ना करते हुवे गाड़ी को जल्दी से वहां से बढ़ा लिया । लगभग 5 किलो मीटर चलने के बाद एक अंधेरा मोड़ आता है औरत बोलती है हमसे की भईया बस मोड़ से मोड़ लीजिये बस 100 मीटर पर डॉ. का घर है । हमने भी गाड़ी मोड़ी और थोड़ी देर चलने के बाद देखा की दूर इक घर दिखाई दे रहा था । लेकिन वहां दूर दूर तक बस पेड़ ही पेड़ थे किसी दूसरे घर का नामोनिशान नही था मैं काफी डरा और उस औरत से पूछने के लिए जैसे ही सर घुमा कर देखता हूँ तो वो औरत और बच्चा दोनों गाड़ी में नही थे । मैं बहोत डर गया और फिर आगे की तरफ देखाता हूँ तो वहां वो जो घर दिख रहा था वो घर भी नही था । मैं और भी डर गया । मैंने डरते डरते गाड़ी घुमाई और वहां से वहां से गाड़ी भगाते हुवे महमूदा बाद ना जाकर सीधे घर चला आया । लेकिन वो मंजर आज भी अगर याद आ जाता है दिल दहल सा जाता है । दोबारा अगर उस तरफ जाना होता है तो मैं दिन दिन ही अपना काम खत्म करके चला आता हूँ । लेकिन वो मंजर आज भी आंखों के सामने घूमता रहता है । ©Surendra kumar bharti सच्ची घटना
motivational writter Surendra kumar bharti
सच्ची घटना की कहानी हमारे जीवन के रास्ते का वो इक मंजर जो आज भी याद आता रहता है एक बार की बात है । कि मैं अपनी गाड़ी लोडर से लखनऊ से आगे महमूदा बाद जा रहा था । रात लगभग 2 बजे का टाइम था । मैं गाड़ी में सिर्फ अकेले म्यूजिक लगा कर गाने सुनते गुनगुनाते हुवे चला जा रहा था । महमूदा बाद लगभग 25 किलो मीटर बचा होगा रास्ता बिल्कुल वीरान था चारो तरफ बस काली रात का भयानक सन्नाटा और जानवरों की वो ख़ौफ़नाक आवाजें दूर दूर तक कोई नजर नही आ रहा था । मैं अपनी धुन में गाने गुनगुनाते हुवे चला जा रहा था । तभी अचानक दूर सड़क धुंधली लाइट में दो काली परछाईं सी नजर आती है । कोई दूर हांथ हिलाकर कर हमें रोकने की कोशिश कर रहा था । मैं काफी डर गया की इतनी रात को कौन होगा । धीरे धीरे वो वो काली परछाईं इंसान के रूप में नजर आने लगी तभी देखता हूँ की इक औरत अपनी गोद में इक बच्चा लिए हांथ हिलाकर मुझे रोक रही मैं डरा सहमा सा धीरे से अपनी गाड़ी रोता हूं । तभी वो औरत मेरे पास आकर रोती हुवी बोलती है । भईया मेरे बच्चे का एक्सीडेंट हो गया है मैंने देखा उस औरत की गोद में इक बच्चा था जिसके सर में चोट लगी थी । फिर हमने उस औरत से कहा हम इस रास्ते पर नए है । हमें नही मालूम की यहां कहाँ डॉ. मिलेंगे तभी वो औरत बोली यहाँ से थोड़ी दूर पर ही एक डॉ. हैं उन्हीं के पास जल्दी चलिए हमनें भी देर ना करते हुवे गाड़ी को जल्दी से वहां से बढ़ा लिया । लगभग 5 किलो मीटर चलने के बाद एक अंधेरा मोड़ आता है औरत बोलती है हमसे की भईया बस मोड़ से मोड़ लीजिये बस 100 मीटर पर डॉ. का घर है । हमने भी गाड़ी मोड़ी और थोड़ी देर चलने के बाद देखा की दूर इक घर दिखाई दे रहा था । लेकिन वहां दूर दूर तक बस पेड़ ही पेड़ थे किसी दूसरे घर का नामोनिशान नही था मैं काफी डरा और उस औरत से पूछने के लिए जैसे ही सर घुमा कर देखता हूँ तो वो औरत और बच्चा दोनों गाड़ी में नही थे । मैं बहोत डर गया और फिर आगे की तरफ देखाता हूँ तो वहां वो जो घर दिख रहा था वो घर भी नही था । मैं और भी डर गया । मैंने डरते डरते गाड़ी घुमाई और वहां से वहां से गाड़ी भगाते हुवे महमूदा बाद ना जाकर सीधे घर चला आया । लेकिन वो मंजर आज भी अगर याद आ जाता है दिल दहल सा जाता है । दोबारा अगर उस तरफ जाना होता है तो मैं दिन दिन ही अपना काम खत्म करके चला आता हूँ । लेकिन वो मंजर आज भी आंखों के सामने घूमता रहता है । ©Surendra kumar bharti सच्ची घटना
Vaishnavi chaubey
हाँ किसी अपने ने ही उतारा था खंजर मेरे सीने में, पर देखा था हमने खंजर मारते समय उसके भी आँखों से आशु निकल आये थे....... ©Vaishnavi chaubey किसी की ज़िन्दगी की सच्ची घटना है #leaf