Find the Latest Status about फेवीकोल from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, फेवीकोल.
Adarsh Mishra
चाचा का प्रेम... आओ यारो तुम्हे सुनाऊ , अद्भुत प्रेम कहानी आज जीवन के बीते हुए क्षण को, ज्योतिष बन बतलाऊ आज आते जाते एक दिन यारो , वो पावन क्षण भी आया जब मैने यूनिवर्सिटी में इक, सूखा कमल खिला पाया आज लिखूंगा खोल के दिल मैं प्रेम कहानी चाचा की आज कलम फिर लिखेगी यारो, वृद्ध जवानी चाचा की इन्द्रसभा की एक परी, जब यूनिवर्सिटी में आयी थी चारो ओर अंधकार में, दीपकिरण सी छायी थी देख के उनको सैतालिस के , चाचा का दिल भी डोला सुन्दर काया देख के वो , चाचा से चिल्ला बोला मेल करा दो मेरा उससे , बिना किसी संकोच के चिपका दो मैडम के दिल से , बिन प्रयोग फेवीकोल के आज लिखो इतिहास पुन:तुम , प्रेम की पावन स्याही से जोड़ मिला दो हे स्वामी तुम, उमर अठारह वाली से चाचा बात करें कैसे , वो चिन्ता में थे पड़े बड़ी सोच सोच के उलझन में , वो भूल चुके अपनी ड्यूटी घर वाली के बेलन का भी , चाचा को डर सताता था। चाची का थप्पड़ चाचा को, सपने में रोज सताता था सोच समझ कर उमर का अंतर, चाचा का दिल बोला होगा उमर है इनकी बिटिया जितनी , मुझसे ये सब अब न होगा सम्मान प्रतिष्ठा ध्यान में रखकर , चाचा दिल से रोया होगा टूटे मन से फिर चाचा ने, प्रेम का कत्ल किया होगा -Adarsh Mishra आओ यारो तुम्हे सुनाऊ , अद्भुत प्रेम कहानी आज जीवन के बीते हुए क्षण को, ज्योतिष बन बतलाऊ आज आते जाते एक दिन यारो ,
JALAJ KUMAR RATHOUR
कहानियाँ और किस्से, (भाग -१) मई और जून के गर्मियों से भरी छुट्टियों में जब भी शाम होती थी। तो हम निकल जाते घर से बल्ले और गेंद को उठा कर, मुझे नही पता आपके यहाँ बल्ला कैसा होता है पर हमारे यहाँ तो बल्ले पर रेशम के धागे और फेवीकोल को लगाकर उसपर ट्यूब चढ़ा देते थे और रनर साइड वाले खिलाड़ी पर कपड़े धोने वाली पटुकुन्नीयाँ होती थी। ईंटो को कमर तक एक के उपर एक रख हम सिविल इंजीनीयर समझते थे। खुद को, मोहल्ले के हर घर की छत के चक्कर काटे थे हमने,ऐसे ही एक रोज तो हम हिट विकेट हुए थे, उसके इंनस्विंग जैसा गाना "क्या करते थे साजना तुम हमसे दूर रहके"पर,हमारी गेंद से फुटबॉल खेलती , कानों में हेडफोन लगाए वो और उसकी अदाओ पर मंत्रमुग्ध मैं, तभी नीचे से आवाज आई, रवि,गेंद मिली, मैंने कहा हाँ,उस दिन मेरी हालत उस मानव जैसी थी, जो जीवन के यथार्थ को खोजने इस धरा पर जन्म लेता है परंतु इस जग की मोह माया उसे स्वयं में लिप्त कर लेती है। मैं उसके पास गया और मैंने गेंद को वापस देने का इशारा किया, उसने गेंद को पैर मारते हुए मेरी और कर दिया गेंद पर उसके पैर की चोट मुझे ऐसी प्रतीत हो रही थी जैसे उसने मेरे उसके प्रति प्रेम जो कुछ वक्त पहले ही पनपा था का प्रतिकार किया हो, लेकिन हम प्रतिकार में भी प्रेम ढूंढने वाले थे और मैं उसका अब दीवाना हो चुका था। अब बस एक ही मिशन था। मोहल्ले और मेरे दिल में आयी, इस नई लड़की के विषय में जानकारी जुटाने का....... .... #जलज राठौर #Love कहानियाँ और किस्से, मई और जून के गर्मियों से भरी छुट्टियों में जब भी शाम होती थी। तो हम निकल जाते बल्ले और गेंद को उठा कर, मुझे नही