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Bharat Kumar
नितिन कुमार 'हरित'
कभी शुभ्र तुम, कभी यामिनी, कभी उग्र तुम, कभी दामिनी। तुम चंद्रिका, तुम चंचला, तुम चंडिका, तुम स्वामिनी ।। कभी मुग्ध तुम, कभी क्रुद्ध तुम, क
Nitin Kr Harit
कभी शुभ्र तुम, कभी यामिनी, कभी उग्र तुम, कभी दामिनी। तुम चंद्रिका, तुम चंचला, तुम चंडिका, तुम स्वामिनी ।। कभी मुग्ध तुम, कभी क्रुद्ध तुम, कभी हो दया, कभी युद्ध तुम । कभी निर्झरा, कात्यायनी, हर रूप में अति शुद्ध तुम ।। पूर्ण रचना Caption में पढ़ें। जय माता दी । कभी शुभ्र तुम, कभी यामिनी, कभी उग्र तुम, कभी दामिनी। तुम चंद्रिका, तुम चंचला, तुम चंडिका, तुम स्वामिनी ।। कभी मुग्ध तुम, कभी क्रुद्ध तुम, क
Madhusudan Shrivastava
Shambhavi shivom Mishra
Aparna Shambhawi
किशोरवा रे! (read in caption) #paki #kishor #ram #rama #siya #sita #siyaram #mithila #maithili #ramvivah किशोरवा रे मोरा चित्त चुराए, नवलवा रे अमि रस बरिसाए। कमल नयन माथ
Aparna Shambhawi
सज़ा #paki #gazal #nojotohindi #hindipoet #रचना अख़्तर-शुमारी = counting stars अंजुम= star अर्क= juice आतिश-ए-तार = lips of beloved बादाह= win
Aparna Shambhawi
अवसरवादी अवसरवादी क्या कहा? कवि हो तुम!! वो भी आशावादी कवि?? माफ करना भ्रमित राही, अवसरवादी हो तुम! क्या! जादूगर हो तुम? वो भी शब्दों के?? सुनो! खुद
अज्ञात
पेज-4 उनको सलाम कर कथाकार आगे चला तो संदीप जी के निवास पर ध्यान जा पहुंचा.. जहाँ संदीप जी सूर्यनमस्कार की प्रतीक्षा में आसमान की ओर निहार रहे थे हाथ में कागज़ कलम शोभायमान थी, मानो कोई रचना की प्रेरणा हो रही हो... आगे बढ़ते हुये कथाकार ने देखा जे पी साहब जो अपनी प्रकृतिवादी कविताओं के लिये नोजोटो में ख़ासी पहचान रखते हैं वो प्रकृतिप्रेम में निमग्न अपने आँगन की फुलवारी में लगे पुष्पगुच्छों को संवार रहे हैं, कथाकार आगे चला तो चंद्रवती जी सुबह सुबह देव आराधना में निमग्न "राम रक्षा स्त्रोत" का पाठ कर रहे थे जो बरबस ही कथाकार के पैरों को बढ़ने नहीं दे रहा था, किन्तु समयाभाव के कारण कथाकार ने दूर से ही प्रभु वंदना कर आगे बढ़ चला.. वहीं साधना जी अपने टेबल पर शैक्षणिक गतिविधियों में रत दीख पड़ीं.. अब कथाकार अपने राजदुलारे मानक के घर तक आ पहुंचा.. मानक जो गऊ सेवा में तत्लीन रहता है, जिसे अपने घर में ही वैकुण्ठ नज़र आता है सुबह उठते ही अपने घर को चमकाते हुये बार बार अपना चन्द्रमुख शीशे में देख रहा है.. कहीं कोई पिम्पल तो नहीं आ गया, शायद वैवाहिक स्वप्न अब मानक को सताने लगे हों...! कथाकार जोर से हंस पड़ा और आगे बढ़ता चला..एक के बाद एक अपने सभी अपनों हिमांशु ,आनंद,संदीप जी शब्बीर,शाम्भवी,अर्श जी, रूह जी, प्रिया गौर, प्रिया दुबेके साथ नवागंतुक रचनाकार जिन्होंने भी इस कॉलोनी में अपना निवास चयन किया उन तमाम रचनाकारों के फ्लेट से विचरण/ निरीक्षण कर अंततः कथाकार अपनी कालोनी का दिव्य आनंद लेते हुये अपने निवास तक आ पहुंचा। अब आगे-5 ©R. Kumar #रत्नाकर कालोनी पेज-4 उनको सलाम कर कथाकार आगे चला तो संदीप जी के निवास पर ध्यान जा पहुंचा.. जहाँ संदीप जी सूर्यनमस्कार की प्रतीक्षा में आसम
Aparna Shambhawi
#paki #nojotohindi #poem #hindipoet #रचना हुलस हुलस मैं, प्रेम विवश, मुरली बजाऊँ, मैं रैन दिवस । नहीं सरस-सरस,