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अशेष_शून्य

अयि गिरि नन्दिनी नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते। गिरिवर विन्ध्यशिरोधिनिवासिनी विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते। भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भ #yqquotes #अशेष_शून्य

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..... अयि गिरि नन्दिनी नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते।
गिरिवर विन्ध्यशिरोधिनिवासिनी विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते।
भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भ

pankaj giri

पंकज गिरि

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शुभप्रभात पंकज गिरि

Amit

अमित गिरि #nojotophoto

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 अमित गिरि

Amit

अमित गिरि #nojotophoto

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 अमित गिरि

Binod Kumar Giri

विनोद कुमार गिरि

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भीड़ भरी रास्ता कुछ पल की मंजिल देती हैं क्यों कि हर भीड़ में दिखने वाला हमेशा अकेला ही चला था। विनोद कुमार गिरि

Binod Kumar Giri

विनोद कुमार गिरि

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Safar  माना कि जिंदगी के रास्ते अपने वास्ते नहीं चलते लेकिन मेरे जीने का अंदाज़ भी तेरे वास्ते नहीं बदलते कुछ राज है तेरे आज भी जो तेरे जाने की बाद भी नहीं सुलझे। विनोद कुमार गिरि

Binod Kumar Giri

विनोद कुमार गिरि

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ख़ूबसूरत 



 रामदरश मिश्र »
  
बनाया है मैंने ये घर धीरे-धीरे,
खुले मेरे ख़्वाबों के पर धीरे-धीरे।

किसी को गिराया न ख़ुद को उछाला,
कटा ज़िंदगी का सफ़्रर धीरे-धीरे।

जहाँ आप पहुँचे छ्लांगे लगाकर,
वहाँ मैं भी आया मगर धीरे-धीरे।

पहाड़ों की कोई चुनौती नहीं थी,
उठाता गया यूँ ही सर धीरे-धीरे।

न हँस कर न रोकर किसी में उडे़ला,
पिया खुद ही अपना ज़हर धीरे-धीरे।

गिरा मैं कहीं तो अकेले में रोया,
गया दर्द से घाव भर धीरे-धीरे।

ज़मीं खेत की साथ लेकर चला था,
उगा उसमें कोई शहर धीरे-धीरे।

मिला क्या न मुझको ए दुनिया तुम्हारी,
मोहब्बत मिली, मगर धीरे-धीरे। विनोद कुमार गिरि

Binod Kumar Giri

विनोद कुमार गिरि

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आँखों से ओझल हो गया  टूटा हुआ कोई तारा था,  उम्मीद तो बहुत थीं तुझसे लेकिन तू तो समंदर सा किनारा था दो पल ही जी सकता हूं तेरे संग क्यू कि हर नदियों को मिलना किसको गवारा था। विनोद कुमार गिरि

Binod Kumar Giri

विनोद कुमार गिरि

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जब दिल को पता हैं हर दौर गुजरता हुआ चला जायेगा फ़िर आशियाना हर दौर में बनाएं चलेजाते जाते  हैं। विनोद कुमार गिरि
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