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Neha Swaika

क, ख, ग,घ।

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कयामत सी रात गुजारी 
खुदगर्ज़ हुए ये दिन 
गीतों की सनसनाहट और 
घोर दुबिधाओ से घिरा ये दिल क, ख, ग,घ।

Awadhesh Kumar

घ ब न् य शास्त्रविधिम् #Society

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Nature

उत्तम प्रकृति जल घ #जल #nojato #short #nojotoshorts #लव

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Anonymous Avery

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पहलू सिक्के के होते है दो 
तो दोनो पे नजरों तो डालो 
कह कर बाते अपनी 
दूसरो को भी तो समझो। 
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Author Harsh Ranjan

फल व जल

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प्यार!
अबोध अनाम बालक ने।
अपनी ही धुन में निकल पड़े
ज्ञान-पिपासु सन्यासी धावक ने।
शेर के जबड़े में इतिहास लिखते
योद्धा ने, उसके शावक ने।
पदार्थों पर आसक्त किसी वणिक ने।
श्रम से टूट चुके अंगों से विरक्त दलित ने।
पाषाण पचाते, कालकूट पीते,
एक-एक क्षण अंदरूनी विस्फोट सहते,
इन्होंने स्त्री की तरफ देखा।
पेड़ खुद के फल नहीं खाते हैं,
कुआं अपना जल नहीं पीता है,
पर आज जगत जननी को 
जगत की कामना है, क्योंकि वो
इस युग की परिचिता है!
विचारक भीतर से ध्वस्त हो बैठे हैं,
जिनके आँचल में स्वर्ग था वो
किन स्वर्गलोकों के पीछे हैं।
पेड़ों में भूख व कुओं में प्यास है
मुझे लगा ये बात निरा बकवास है।
आज हर दाता को देवनहारे की तलाश है
तो सर्वत्र भय, असंतोष, भूख व प्यास है।
खैर, कुओं में खुद सूखता पानी,
तरुओं से गायब होते फल आपका कल हैं।
नहीं ये कोई जादुई या भूतिया कारिस्तानी नहीं
ये आपके घर के आंगन की कहानी है। फल व जल

Author Harsh Ranjan

फल व जल

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प्यार!
अबोध अनाम बालक ने।
अपनी ही धुन में निकल पड़े
ज्ञान-पिपासु सन्यासी धावक ने।
शेर के जबड़े में इतिहास लिखते
योद्धा ने, उसके शावक ने।
पदार्थों पर आसक्त किसी वणिक ने।
श्रम से टूट चुके अंगों से विरक्त दलित ने।
पाषाण पचाते, कालकूट पीते,
एक-एक क्षण अंदरूनी विस्फोट सहते,
इन्होंने स्त्री की तरफ देखा।
पेड़ खुद के फल नहीं खाते हैं,
कुआं अपना जल नहीं पीता है,
पर आज जगत जननी को 
जगत की कामना है, क्योंकि वो
इस युग की परिचिता है!
विचारक भीतर से ध्वस्त हो बैठे हैं,
जिनके आँचल में स्वर्ग था वो
किन स्वर्गलोकों के पीछे हैं।
पेड़ों में भूख व कुओं में प्यास है
मुझे लगा ये बात निरा बकवास है।
आज हर दाता को देवनहारे की तलाश है
तो सर्वत्र भय, असंतोष, भूख व प्यास है।
खैर, कुओं में खुद सूखता पानी,
तरुओं से गायब होते फल आपका कल हैं।
नहीं ये कोई जादुई या भूतिया कारिस्तानी नहीं
ये आपके घर के आंगन की कहानी है। फल व जल
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