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MD Mastufa Ahmed
Result आए मटक मटक, पापा मारे पटक पटक, सांसे जाए अटक अटक, मां का दिमाग सटक सटक. 😆 दिल मेरा गोते खाए, कमर पे मेरे Belt fly, Body मेरी सुजी सुजी, खाने मे बस चप्पल खाए. 😂😂 ©MD Mastufa Ahmed Result आए मटक मटक.. funny song #funnymemes #funnysong
सुसि ग़ाफ़िल
खुली जुल्फें तेरी छाया बादलों का पहरा , आंखें तेरी कातिल और मुख तेरा सुनहरा! लाल लाल होंठ तेरे जैसे कलियां हो गुलाब की, चल रही मटक मटक के जैसे शहजादी किसी नवाब की! खुली जुल्फें तेरी छाया बादलों का पहरा , आंखें तेरी कातिल और मुख तेरा सुनहरा! लाल लाल होंठ तेरे जैसे कलियां हो गुलाब की, चल रही मटक
Mudit sand
दुपट्टे का अटक जाना उसको ये खटक जाना मेरी एक गुजारिश पर उसका यूँ मटक जाना। @rytwriter (on Insta) #Bloom दुपट्टे का अटक जाना उसको ये खटक जाना मेरी एक गुजारिश पर उसका यूँ मटक जाना।
Hemant Rai
#Pehlealfaaz ये गांव की गलियां, वो चोहराहे की सड़क। लहराती फसल का शोर, रेल पटरी की खटक-खटक, भूखे बच्चे की किलकारी, रोटी सेकते चूल्हे की चिंगारी, वो पानी भरती यौवन की चाल और मटक। ~हेमंत राय। ये गांव की गलियां, वो चोहराहे की सड़क। लहराती फसल का शोर, रेल पटरी की खटक-खटक, भूखे बच्चे की किलकारी, रोटी सेकते चूल्हे की चिंगारी, वो पा
Vartikaofpoeticera
कृष्ण छटा श्यामल तन संग श्याम सलोने किलकय कान्ह अंगन के कोने। कानन कुण्डल, कटि करधन डारी सकल प्रेम नंद यशोमति वारी। नंद का लल्ला, बड़ा खिझावे, मटक मटक मोहन, मोहि रिझावे। ज्यों नीर भरण यमुना तट जाऊं, बीच राह श्याम संग ऊधौ पाऊं। कंकड़ मार, सखी गगरी तोड़े, चुरावै माखन, मोरी मटकी फोड़े। यशोमती ज्यों क्रोधित हो आवे, बांध ओखली कान्ह को डरावे। मैया अब ना शरारत करूं कोई, खोलो बंधन पीर सही ना जावे। वर्तिका ©Preeti Vishwakarma Vartika कृष्ण छटा श्यामल तन संग श्याम सलोने किलकय कान्ह अंगन के कोने। कानन कुण्डल, कटि करधन डारी सकल प्रेम नंद यशोमति वारी।
सुसि ग़ाफ़िल
आंखें खुल ही नहीं रही, दर्द की चादर बुन रही ! रसायन से मोहब्बत हो गई, दवा की खुराक हर रोज हो गई ! बिस्तर की सिलवटों में उबासी पड़ी है, खुशियां सिहराने के सहारे नीचे पड़ी है ! नशों में बहते दर्द से हड्डियाँ मटक रही है, छत और जमीं के बीच मेरी खाट लटक रही है ! आंखें खुल ही नहीं रही, दर्द की चादर बुन रही ! रसायन से मोहब्बत हो गई, दवा की खुराक हर रोज हो गई !
Dear diary
दिन बीता,रैना बीती, बीता सावन भादो । बाट निहारे कब तक बैठूं हो गई में साधो ।। मुख दर्पण में देख मुझे सजना मेरा मुसकाता है । नैनन मिलाने को मन उसका, हृदय कितना मचलाता है । सांझ हुए तुम बाट निहारो , रैना बीती जाए । निंदिया आँखों में लिए ,द्वार पर ही सो जाए ।। चुनरी सर सर करती मेरी, लहर लहर उड़ जाए । साजन मेरा दौड़ दौड़ , कोसों दूर भागा जाए ।। कहे साजन मोरा मुझसे..... आहे भर भर के सजनी तुम जब रोती बिलखती हो । बिखरे खुले बालों में कितनी व्यथित तुम दिखती हो ।। मटक-मटक कर चलती, घुंघरू तब खनकते है । देख तेरी ये दशा पर कितने ह्रदय पिघलते है ।। फूल तोड़ फुलवारी से जब तुम धूप में नहाती हो । हाय हाय दैया करती तुम कितने गीत गाती हो ।। कहे सजनी अब साजन से । मुझे टूक टूक देख तुम अपना समय क्यों गवांते हो । भीतर पड़ी खटिया पर काहे ना सो जाते हो । बहुत हुई अब ताका झांकी , बंद करो अब ये काम । खाली बैठे हो तो दरो म्हारी चना की दाल ।। #lockdown3 दिन बीता,रैना बीती, बीता सावन भादो । बाट निहारे कब तक बैठूं हो गई में साधो ।। मुख दर्पण में देख मुझे सजना मेरा मुसकाता है । नैनन