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Arzoo
बस इतना ही सपना है तेरे हाथ में मेरा हाथ हो और एक दूजे का जीवनभर साथ हो... ©Arzoo जीवन भर शाथ निभाना है तेरा हाथ को मेरे हाथ से तेरे दिल को मेरे दिल जोड़ना है... i love you miss you kabul he....
Kulbhushan Arora
मायूस नहीं होते, किसी बात से ऐ दोस्त, ज़िंदगी दिलवालों के ही, इम्तिहान लिया करती है😊 मुझे थोड़ा सा दुख होता है, जब देखता हूं अधिकतर, निराशा दर्द की बातें लिखते सबको, निराशा आए तो खुद को समझाना, निराशा की *नि* को, तुम्हें तो
Kulbhushan Arora
मन अर्जुन से थे हमने दुर्योधन कर दिए विवेक कृष्ण थे वहां धृतराष्ट्र खड़े इस व्यूह को तोड़ना है अपने मन अर्जुन कर विवेक *कृष्ण* से जोड़
alpprashant
हर लम्हा संग तेरे जीना है फ़िर से हमें तुटे हुए संबंध तो जोड़ना है फ़िर से हमें ©"अल्प" प्रशांत Prashant Panchal #alp #gujarati #shayri #s
DrUsha Kushwaha
किसी से जोड़ना है रिश्ता, हमको किसी किसी से रिश्ता , तोड़ देना है | किसी का थामना है हाथ, हमको किसी का तो हाथ , छोड़ देना है | घटाने है मैने कुछ पुराने रिश्ते मैने कुछ नए रिश्ते , जोड़ लेना है | मैंने नहीं समझना तेरी मजबूरीयों को चाहे तूने अब माथा , फोड़ लेना है | मिलाना ना अब कभी हाथ हमसे मैंने अब तेरा हाथ, मरोड़ देना है | किसने तोड़ा दिल तेरा मालुम नहीं हालाँकि मैंने दुआएं उसे, करोड देना है | ©DrUsha Kushwaha किसी से जोड़ना है रिश्ता, हमको किसी किसी से रिश्ता , तोड़ देना है | किसी का थामना है हाथ, हमको किसी का तो हाथ , छोड़ देना है | घटाने है
Shivangi
मिलो एक बार जो तुम, तुम्हें अपने दिल का हाल बताना हैं, ये दिल तुझे कितना चाहता है ये जताना हैं, तुम्हारे संग कुछ खुशियों को, कुछ गमों को बांटना हैं, तेरी हर शिकायत, हर गिले-शिकवे को दूर करना हैं, तेरी मौजूदगी मेरी जिंदगी में क्या अहमियत रखती हैं ये बताना हैं, मिलो एक बार तुम तुम्हें इस तरह से खुद से जोड़ना हैं कि तुम फिर कभी भी मुझसे दूर ना जा पाओ।।।। मिलो एक बार जो तुम, तुम्हें अपने दिल का हाल बताना हैं, ये दिल तुझे कितना चाहता है ये जताना हैं, तुम्हारे संग कुछ खुशियों को, कुछ गमों को बां
Aanchal Gour
करना है , लड़ना है , जीतना है , मै बेटी हूं जनाब , अपनी किस्मत को खुद लिखना है । सोचना है , देखना है ,भेदना है , मै बेटी हूं जनाब , अपनी राह के कांटों को खुद हटाना है । बुनना है , जोड़ना है , बढ़ाना है मै बेटी हूं जनाब , अपनी संपत्ति को खुद बनाना हैं । चलना है , गिरना है , उठना है मै बेटी हूं जनाब , अपने आप ही मुझे संभलना है । बनाना हैं , पाना है , दिखाना है, मै बेटी हूं जनाब , बेटी धन क्या है , दुनिया को समझना है । लक्ष्मी है बेटी , घर की रौनक हैं बेटी , एक नहीं , दो घरों की लाज है बेटी , केवल भाग्य नहीं , सौभाग्य है बेटी , गौर करो , नौ देवी का रूप है बेटी, हर रूप में पूजनीय है बेटी । @aanchalgour_poems ©Aanchal Gour करना है , लड़ना है , जीतना है , मै बेटी हूं जनाब , अपनी किस्मत को खुद लिखना है । सोचना है , देखना है ,भेदना है , मै बेटी हूं जनाब , अपनी
Divyanshu Pathak
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख “बान की मून” ने योग को सबके लिए जरूरी बताया है। वह कहते हैं-“योग का ताल्लुक धर्म से नहीं है। यह निष्पक्ष है। धर्मो के बीच भेदभाव नहीं करता। जो योग करेगा, उसे इसका फायदा होगा। ” स्वामी विवेकानन्द तो यहां तक कह गए थे कि जाति, धर्म, राष्ट्र, भाषा, परम्परा आदि सब देश-काल के साथ बदल जाते हैं। इनमें समन्वय के लिए परिपूरकता लानी पड़ेगी। “शरीर इस्लाम का हो, आत्मा वेदान्त की।” :💕🐒👨Good morning ji☕☕☕☕☕🍫🍫🍫🍨🍨☕🍧🍉🍉🍉☘ : पतंजलि ने योगसूत्र में कहा है-योगश्चित्तवृत्तिनिरोध:। अर्थात् योग सांसारिक जीवन का मार्ग नहीं है। जहां
R.S. Meena
अपनापन नजदकियाँ ज्यादा हो तो, ना समझे उसे अपनापन। दूरियाँ कम ना कर पाएँ, किसी भी तिजोरी का धन।। पल-पल बदलती दिख रही है प्रवृत्ति यहाँ लोगों की, आदर मिले उसी को यहाँ, जो ढेर लगा सके भोगो की। भोग ना मिले समय पर तो बढ़ जाएँ आँखो का अँधापन, अपने फिर नजर ना आएँ, कानो मे भी बढ़ जाएँ बहरापन। पास रहने वालों में बढ़ती देखी है मीलों की दूरियाँ, रहे मिलकर तो चला ना पाएँ, कोई अपनों पर छुरियाँ। अपनो के हाथो अपनो में ही बढ़ता जाएँ सुनापन, भूल सुधारने में कोई नहीं दिखाये अपना बड़प्पन। बुराई जहाँ-जहाँ पले, वो अच्छाई भी अंकुरित होती है, बुराई अपने विनाश के बीज अपने हाथो से बोती है। बिना बीज सिंचित खेतों में बढ़ जाता है बंजरपन, रसायनों के सतत् प्रयोग से बढ़ता जाएँ पागलपन। दूर रहकर भी दूरियाँ मिटाने की कोशिश हो जाती है, तन दिखता है सबको, पर आत्मा कहाँ खो जाती है। तन को मन से जोड़ना है तो पास ना आएँ केवल धन, धन को माने गौण, तो मन से मिल जाएँ सबका मन। नजदकियाँ ज्यादा हो तो, ना समझे उसे अपनापन। दूरियाँ कम ना कर पाएँ, किसी भी तिजोरी का धन।। अपनापन नजदकियाँ ज्यादा हो तो, ना समझे उसे अपनापन। दूरियाँ कम ना कर पाएँ, किसी भी तिजोरी का धन।। पल-पल बदलती दिख रही है प्रवृत्ति यहाँ लोगों