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Shubhendra Jaiswal
रुग्णता! प्रतिरोधक क्षमता के ह्रास से उपजी स्वनिर्मित अवस्था है.. प्रतिरोध के अणुओं को शिथिल करने की कला में पारंगत विषाणु विरोध की मौलिक व्यवस्था में भेद उत्पन्न कर, पारस्परिक संरचनात्मक गठन को प्रभावित करने की वैशिष्ट्यता का दक्षता से प्रयोग, विरोधी गुणधर्म को विखण्डन प्रक्रिया में ढकेल देती है.. तदन्तर.. साम-दाम और दण्डानुरागी, चैत्यनता के बोध से प्राप्त उदण्डात्मक फल निर्विरोध हो जाता है| फलत: रूग्णता की व्यापकता विरोध -प्रतिरोध को आत्मसात कर निर्वीर्य कर देती है| ©Shubhendra Jaiswal #शुभाक्षरी #विरोध #प्रतिरोध #भेद #गुणधर्म
Prateek Chouhan
केवल स्वप्नों के अवशेष शेष हैं क्यों न आँखों को मरुभूमि कह दूँ सपनों का गुणधर्म है केवल कतरा बन अँखियों से बहना ...prateek singh chouhan
Prerana Jalgaonkar
आभाळाने पुकारले चिऊताई चिऊताई परत ये... रुसूबाई रुसूबाई रुसलीस का... चिव चिव करायला परत ये... --प्रेरणा शुभ प्रभात लेखक मित्र आणि मैत्रिणींनो आज जागतिक चिमणी दिन... वाढलेले तापमान, शहरातली मोठे उद्योग, कारखाने, वायू प्रदूषण, मोबाईल टॉवर मधून नि
Prerana Jalgaonkar
आभाळाने पुकारले चिऊताई चिऊताई परत ये... रुसूबाई रुसूबाई रुसलीस का... चिव चिव करायला परत ये... --प्रेरणा शुभ प्रभात लेखक मित्र आणि मैत्रिणींनो आज जागतिक चिमणी दिन... वाढलेले तापमान, शहरातली मोठे उद्योग, कारखाने, वायू प्रदूषण, मोबाईल टॉवर मधून नि
yogesh atmaram ambawale
ढवळाढवळ चालते सर्वत्र,फक्त आणि फक्त कारकुनांची, कारकूनच पाहतात कामे सारी,भेट होत नाही साहेबांची. मुख्य काम करणारे हे कारकूनच असतात, साहेब खूप व्यस्त आहेत,ते त्यांचे वाक्य ठरलेले असतात. टेंशन नका घेऊ तुम्ही,दोन दिवसात तुमचे काम करतो, थोडं चहा पाण्याचे बघा मी साहेबांच्या कानावर टाकतो. खरेच आहे हे,ढवळाढवळ करणारे भेटल्यावरच कामे होत आहे, नाहीतर नुसत्याच फेऱ्या होतात,साहेबांना कुठे वेळ आहे. सरकारी कार्यालय असो,किंवा असो खाजगी कार्यालय, साहेबांपेक्षा,ढवळाढवळ करणाऱ्या कारकुनांचाच भाव लय. चारोळी ऐवजी कविता लिहा व संपन्न झाल्याचे लिहायला विसरू नका 🙏🙏 #बाराखडीव्यंजनकोट #आजचे_अक्षर_ढ #मराठीकोट्स #collab #yqkavyanand #YourQuoteAn
अज्ञात
नारी तेरी करुण कहानी.. भर आवे अंखियन में पानी.. कोउ नहि महि तुम्ह सम बलिदानी.. तुम करुणा का हो भंडार.. धन्य धन्य भारत नार... कहीं पिता की आन बचाये.. कहीं पति घर बार सजाये.. ममता का सागर छलकाये.. सब पर तेरा प्यार दुलार.. धन्य धन्य भारत की नार.. सबकी खुशियों का धर ध्यान.. संस्कृति के गुणधर्म निभान.. संयम शील के चरित महान.. बांधे बंधन नार अपार.. धन्य धन्य भारत की नार.. मर्यादा से पाँव बधें हैं.. तनिक भूल भई रार मचे हैं.. तानों के अम्बार लगे हैं.. राहों पर तेरी अंगार.. धन्य धन्य भारत की नार.. कितना करती सब कुछ सहती कंठ भरे पर कुछ ना कहती पावन गंगधार सी बहती नैनों से असुवन जलधार.. धन्य धन्य भारत की नार.. नीलकंठ सा जीवन लीन्हा विष धर कंठ सुधा तज दीन्हा पीर नार की कोउ ना चीन्हा तुम्हें नमन है बारम्बार.. धन्य धन्य भारत की नार.. ©Rakesh Kumar Soni #नारी नारी तेरी करुण कहानी.. भर आवे अंखियन में पानी.. कोउ नहि महि तुम्ह सम बलिदानी.. तुम करुणा का हो भंडार.. धन्य धन्य भारत नार... कह
अल्पु
एक स्त्री की अस्मिता आगे पढ़ें नीचे जब भगवान ने बनाई स्त्री। जब भगवान स्त्री की रचना कर रहे थे तब उन्हें काफी समय लग गया। छठा दिन था और स्त्री की रचना अभी अधूरी थी। इसलिए देव
Ratan Singh Champawat
सत्य के साथ प्रयोग ✍️✍️✍️✍️✍️ शेष अनु शीर्षक में पढ़े ♦️♦️अनुभूति के आंगन से♦️♦️ 💓 कुछ स्पंदन 💓 जागा था भाव एक दिन मुझ में भी कि जीवन ऊर्जा का उपयोग करूं और मैं भी सत्य के साथ कुछ प्रयोग
AJAY NAYAK
मदिरा हम भी उस महफ़िल में होंगे, जहां चांदनी रात के साये में, मस्ती होगी, गीत होंगे, संगीत होंगे, दोस्तों के बीच अच्छे तराने होंगे। एक हाथ में कांच का गिलास होगा, एक हाथ में साथी का हाथ होगा, सामने खड़ा एक साकी होगा, जो गिलास को समय पर रंगता होगा। कुछ अच्छी बातें होंगी, तो थोड़ी बहुत नोकझोक होगी, निकलेंगे हम वहां से गरम मिजाज़ में, अगले दिन फिर एक टेबल पर होंगे । कुछ तो बात है इस मदिरा में, जो छलकते ही पूरा पूरा बिखर जाता है पर कभी अपना गुणधर्म नही है छोड़ता तीस मिली में भी कमाल दिखा जाता है । जो जो जाता है इसके साए में वह उसका होकर रह जाता है बस एक घूंट कंठ से उतरते ही दुश्मन भी दोस्त बन जाता है । मैं भी अब सोच रहा हूं थोड़ा लेकर इसे अंदाजू साकी से कहकर भर लूं अपना गिलास। चख लूं दोस्तों के साथ इसका स्वाद देख लूं क्यों है यह दुनिया में विशेष जो भी जाता है इसके आगोश में, वह कैसे? ऊंच नीच, अमीर गरीब का, भूल जाता है भेद । –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #Wine #मदिरा मदिरा हम भी उस महफ़िल में होंगे, जहां चांदनी रात के साये में, मस्ती होगी, गीत होंगे, संगीत होंगे, दोस्तों के बीच अच्छे तरा
PRATIK BHALA (pratik writes)