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बासुदेव अग्रवाल नमन

बृहत्य छंद आधारित

“सावन का सोमवार गीतिका”

मधुर मास सावन लगा है,
दिवस सोम पावन पड़ा है।

महादेव को सब रिझाएँ,
उसीका सभी आसरा है।

तेरा रूप सबसे निराला,
गले सर्प माथे जटा है।

सजे माथ चंदा ओ गंगा,
सवारी में नंदी सजा है।

कुसुम बिल्व चन्दन चढ़ाएँ,
ये शुभ फल का अवसर बना है।

शिवाले में अभिषेक जल से,
करें भक्त मोहक छटा है।

करें कावड़ें तुझको अर्पित,
सभी पुण्य पाते महा है।

करो पूर्ण आशा सभी शिव,
'नमन' हाथ जोड़े खड़ा है।

©Basudeo Agarwal #बृहत्य_छंद

#नमन_छंद

Mohan raj

Life lessons motivational my voice सफलतां प्राप्तुं भवतः बृहत्तमं लक्ष्यं भवेत् #Motivational

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सफलता प्राप्त करना आप का सबसे बड़ा  लक्ष्य होना चाहिए
Achieving success should be your biggest goal
Dhnyvaad Har Har Mahadev

©Mohan raj #Life lessons motivational my voice सफलतां प्राप्तुं भवतः बृहत्तमं लक्ष्यं भवेत्

Abhijeet Yadav

इस भूलभूलैया दुनिया में मुखौटा ही सही पर चेहरा हूँ मैं ऐ बृहत् समंदर यूँ न देख छोटा ही सही पर गहरा हूँ मैं #nojotohindi #TheBluntPoet po #Poetry #thouhgt

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इस भूलभूलैया दुनिया में 
मुखौटा ही सही पर चेहरा हूँ मैं
ऐ बृहत् समंदर यूँ न देख
छोटा ही सही पर गहरा हूँ मैं इस भूलभूलैया दुनिया में 
मुखौटा ही सही पर चेहरा हूँ मैं
ऐ बृहत् समंदर यूँ न देख
छोटा ही सही पर गहरा हूँ मैं


#nojotohindi #thebluntpoet #po

Divyanshu Pathak

😂😃🍓पंछी🍓पाठक😰😁🍓😭😂व्याकरण🍹🎂😙वैदिक शिक्षा😄😀😁भारत दर्शन😭😃😂😙 6.भागुरि--- बृहत्संहिता (47-2) के अनुसार भागुरि ब्रह्दगर्ग के शिष्य थे । इनके

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"व्याकरण"
क्रमशः 02
प्राचीन ग्रंथों में 15 पूर्वपाणिनि
आचार्यों के बारे में जो थोड़ी बहुत
जानकारी है संक्षिप्त में आपको बताता हूं !
1.शिव (महेश्वर)---महाभारत में शिव को वेदांगों का प्रवर्तक कहा गया है ।
महाभारत में ही शिव को सांख्ययोग का प्रवर्तक बताया है!
गीत और वाद्य का तत्वज्ञ शिल्पीयों में श्रेष्ठ बताया गया है !
समस्त शिल्प विद्या का प्रवर्तक शिव को ही कहा है !
शिव ने ही 14 माहेश्वर सूत्रों की रचना की 
जिन्हें (अ इ उ ण आदि ) के रूप में पहचाना जाता है !
शिव के व्याकरण को "ईशान व्याकरण" कहा जाता है !
2. बृहस्पति, 3, इंद्र दोनों का वर्णन पिछली पोस्ट में हमने बताया है !
4. वायु---तैत्तिरीय संहिता में उल्लेख है कि
इंद्र ने व्याकरण की रचना में
आचार्य वायु का सहयोग लिया था !
5. भारद्वाज---भारद्वाज बृहस्पति के पुत्र हैं
 ऋकतन्त्र (1-4) के अनुसार
भारद्वाज ने इंद्र से व्याकरण सीखा ! 😂😃🍓#पंछी🍓#पाठक😰😁🍓😭😂#व्याकरण🍹🎂😙#वैदिक शिक्षा😄😀😁#भारत दर्शन😭😃😂😙
6.भागुरि--- बृहत्संहिता (47-2) के अनुसार भागुरि ब्रह्दगर्ग के शिष्य थे ।
इनके

Vikas Sharma Shivaaya'

ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश को ही सर्वोत्तम और स्वयंभू मान जाता है। क्या ब्रह्मा, विष्णु और महेश का कोई पिता नहीं है? वेदों में लिखा है कि जो ज #समाज

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ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश को ही सर्वोत्तम और स्वयंभू मान जाता है। क्या ब्रह्मा, विष्णु और महेश का कोई पिता नहीं है? वेदों में लिखा है कि जो जन्मा या प्रकट है वह ईश्‍वर नहीं हो सकता। ईश्‍वर अजन्मा, अप्रकट और निराकार है।
शिवपुराण के अनुसार उस अविनाशी परब्रह्म (काल) ने कुछ काल के बाद द्वितीय की इच्छा प्रकट की। उसके भीतर एक से अनेक होने का संकल्प उदित हुआ। तब उस निराकार परमात्मा ने अपनी लीला शक्ति से आकार की कल्पना की, जो मूर्तिरहित परम ब्रह्म है। परम ब्रह्म अर्थात एकाक्षर ब्रह्म। परम अक्षर ब्रह्म। वह परम ब्रह्म भगवान सदाशिव है। एकांकी रहकर स्वेच्छा से सभी ओर विहार करने वाले उस सदाशिव ने अपने विग्रह (शरीर) से शक्ति की सृष्टि की, जो उनके अपने श्रीअंग से कभी अलग होने वाली नहीं थी। सदाशिव की उस पराशक्ति को प्रधान प्रकृति, गुणवती माया, बुद्धि तत्व की जननी तथा विकाररहित बताया गया है।
 
वह शक्ति अम्बिका (पार्वती या सती नहीं) कही गई है। उसको प्रकृति, सर्वेश्वरी, त्रिदेव जननी (ब्रह्मा, विष्णु और महेश की माता), नित्या और मूल कारण भी कहते हैं। सदाशिव द्वारा प्रकट की गई उस शक्ति की 8 भुजाएं हैं।

पराशक्ति जगतजननी वह देवी नाना प्रकार की गतियों से संपन्न है और अनेक प्रकार के अस्त्र शक्ति धारण करती है। एकांकिनी होने पर भी वह माया शक्ति संयोगवशात अनेक हो जाती है। उस कालरूप सदाशिव की अर्द्धांगिनी हैं जिसे जगदम्बा भी कहते हैं। 

विष्णु सहस्रनाम (एक हजार नाम) आज 323 से 334 नाम 
 
323 अपां-निधिः जिसमे अप (जल) एकत्रित रहता है वो सागर हैं
324 अधिष्ठानम् जिनमे सब भूत स्थित हैं
325 अप्रमत्तः कर्मानुसार फल देते हुए कभी चूकते नहीं हैं
326 प्रतिष्ठितः जो अपनी महिमा में स्थित हैं
327 स्कन्दः स्कंदन करने वाले हैं
328 स्कन्दधरः स्कन्द अर्थात धर्ममार्ग को धारण करने वाले हैं
329 धूर्यः समस्त भूतों के जन्मादिरूप धुर (बोझे) को धारण करने वाले हैं
330 वरदः इच्छित वर देने वाले हैं
331 वायुवाहनः आवह आदि सात वायुओं को चलाने वाले हैं
332 वासुदेवः जो वासु हैं और देव भी हैं
333 बृहद्भानुः अति बृहत् किरणों से संसार को प्रकाशित करने वाले
334 आदिदेवः सबके आदि हैं और देव भी हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश को ही सर्वोत्तम और स्वयंभू मान जाता है। क्या ब्रह्मा, विष्णु और महेश का कोई पिता नहीं है? वेदों में लिखा है कि जो ज

Vikas Sharma Shivaaya'

सूर्य देव :-पुराणों के अनुसार सूर्य देवता के पिता का नाम महर्षि कश्यप व माता का नाम अदिति है-अदिति के पुत्रों को आदित्य कहा गया है-33 देवताओ #समाज

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सूर्य देव :-पुराणों के अनुसार सूर्य देवता के पिता का नाम महर्षि कश्यप व माता का नाम अदिति है-अदिति के पुत्रों को आदित्य कहा गया है-33 देवताओं में अदिति के 12 पुत्र शामिल हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं- विवस्वान् (सूर्य), अर्यमा, पूषा, त्वष्टा, सविता, भग, धाता, विधाता, वरुण, मित्र, इंद्र और त्रिविक्रम (भगवान वामन)।

सूर्य देव का परिवार काफी बड़ा है- उनकी संज्ञा और छाया नाम की दो पत्‍नियां और 10 संतानें हैं जिसमें से यमराज और शनिदेव जैसे पुत्र और यमुना जैसी बेटियां शामिल हैं। मनु स्‍मृति के रचयिता वैवस्वत मनु भी सूर्यपुत्र ही हैं।

सृष्टि के प्रारम्भ में ब्रह्मा जी के मुख से 'ऊँ' प्रकट हुआ था, वही सूर्य का प्रारम्भिक सूक्ष्म स्वरूप था। इसके बाद भूः भुव तथा स्व शब्द उत्पन्न हुए। ये तीनों शब्द पिंड रूप में 'ऊँ' में विलीन हए तो सूर्य को स्थूल रूप मिला। सृष्टि के प्रारम्भ में उत्पन्न होने से इसका नाम आदित्य पड़ा।

भैरव और कालभैरव:-यह एक ऐतिहासिक सत्य है कि भैरव उग्र कापालिक सम्प्रदाय के देवता हैं और तंत्रशास्त्र में उनकी आराधना को ही प्राधान्य प्राप्त है। तंत्र साधक का मुख्य लक्ष्य भैरव भाव से अपने को आत्मसात करना होता है। काल भैरव शिव का ही स्वरूप हैं। इसलिए शिव की आराधना से पहले भैरव उपासना का विधान बताया गया है।

भैरव भगवान महादेव का अत्यंत ही रौद्र, भयाक्रांत, वीभत्स, विकराल प्रचंड स्वरूप है। 1- कालभैरव भगवान शिव के अवतार हैं और ये कुत्ते की सवारी करते है। 2- भगवान कालभैरव को रात्रि का देवता माना गया है। 3- कालभैरव को काशी का कोतवाल माना जाता है।

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 266 से 276 नाम 
266 दुर्धरः जो मुमुक्षुओं के ह्रदय में अति कठिनता से धारण किये जाते हैं
267 वाग्मी जिनसे वेदमयी वाणी का प्रादुर्भाव हुआ है
268 महेन्द्रः ईश्वरों के भी इश्वर
269 वसुदः वसु अर्थात धन देते हैं
270 वसुः दिया जाने वाला वसु (धन) भी वही हैं
271 नैकरूपः जिनके अनेक रूप हों
272 बृहद्रूपः जिनके वराह आदि बृहत् (बड़े-बड़े) रूप हैं
273 शिपिविष्टः जो शिपि (पशु) में यञरूप में स्थित होते हैं
274 प्रकाशनः सबको प्रकाशित करने वाले
275 ओजस्तेजोद्युतिधरः ओज, प्राण और बल को धारण करने वाले
276 प्रकाशात्मा जिनकी आत्मा प्रकाश स्वरुप है
🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' सूर्य देव :-पुराणों के अनुसार सूर्य देवता के पिता का नाम महर्षि कश्यप व माता का नाम अदिति है-अदिति के पुत्रों को आदित्य कहा गया है-33 देवताओ

Vikas Sharma Shivaaya'

*TWO DIAMONDS* *A Merchant wanted to purchase a gorgeous camel in the market and after spotting one began to settle for it with the seller #समाज

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*TWO DIAMONDS* 

*A Merchant wanted to purchase a gorgeous camel in the market and after spotting one began to settle for it with the seller!*

There was a long bargaining between the merchant and the camel seller, and finally the merchant bought the camel and took it home!

On reaching home, the merchant called his servant to take out the camel's saddle..!

Under the saddle, the servant found a small velvet bag which upon opening revealed him to be full of precious diamond gems ..!

The servant shouted, "Boss, you bought a camel, but look what came with it for free!"

The Merchant was also surprised, he saw diamonds in his servant's hands which were shining and twinkling even more in the sunlight!

The Merchant said: "I have bought a camel and not the diamonds, I should return it immediately!"

The servant was thinking in his mind "how stupid my boss is ...!"

He Said: "Nobody will know who the owner is!" However, the merchant did not listen to him and immediately reached the market and returned the velvet bag to the shopkeeper.

The camel seller was very happy and said, "I had forgotten that I had hidden my precious stones under the saddle".

Now you choose any one diamond as a reward!

The Merchant said, "I have paid the right price for the camel so I do not need any gift and prizes!"

The more the merchant was refusing, the more the camel seller was insisting!

Finally, the merchant smiled and said: In fact, when I decided to bring back the bag, I had already kept two of the most precious diamonds with me!

After this confession, the camel seller was infuriated and he quickly emptied the bag and began to count his diamond gems!

But after he counted with a heavy sigh of relief, he said "These are all my diamonds, so what were the two most precious ones that you kept?"

The Merchant said: ... "My honesty and my self-respect."

The seller was dumb-struck!

_*We have to look within ourselves to find out if we possess any of these two diamonds.*_

Do you have these two precious diamonds Anymore?

_Anyone who has these two diamonds, *HONESTY AND SELF-RESPECT*, is the richest person in the world._

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 836 से 847 नाम 
836 बृहत् जो महान से भी अत्यंत महान हैं
837 कृशः जो अस्थूल हैं
838 स्थूलः जो सर्वात्मक हैं
839 गुणभृत् जो सत्व, रज और तम गुणों के अधिष्ठाता हैं
840 निर्गुणः जिनमे गुणों का अभाव है
841 महान् जो अंग, शब्द, शरीर और स्पर्श से रहित हैं और महान हैं
842 अधृतः जो किसी से भी धारण नहीं किये जाते
843 स्वधृतः जो स्वयं अपने आपसे ही धारण किये जाते हैं
844 स्वास्यः जिनका ताम्रवर्ण मुख अत्यंत सुन्दर है
845 प्राग्वंशः जिनका वंश सबसे पहले हुआ है
846 वंशवर्धनः अपने वंशरूप प्रपंच को बढ़ाने अथवा नष्ट करने वाले हैं
847 भारभृत् अनंतादिरूप से पृथ्वी का भार उठाने वाले हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' *TWO DIAMONDS* 

*A Merchant wanted to purchase a gorgeous camel in the market and after spotting one began to settle for it with the seller
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