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AB
रोज़ नहीं कभी -कभी,! कभी- कभी टूट जाता मन और ह्रदय पर होता कठोर आघात, प्रतीत होता जैसे मेरे मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाएं अवरुद्ध हो पड़ी हों, और ह्रदय से पूरी दे
Peeyush Umarav
-: युद्ध :- अंग से मृदंग का, तंत्र से तरंग का थक्क की ये थाप है, विश्व विजय का ये प्रलाप है, चला शस्त्र युद्ध में,गाया गया प्रलय का गान है
Ankit Srivastava
ओये .... मेरी Lifeline ❤️, गुलाबो तुम्हारी ख़ामोशीयाँ, सबसे ज़्यादा कोलाहल करती है मेरे मन में, (Read in caption) ओये ... मेरी Lifeline ❤️, गुलाबो तुम्हारी ख़ामोशीयाँ, सबसे ज़्यादा कोलाहल करती है मेरे मन में, मैं ख़ाली हो जाता हूँ, मेरी सांसे मुझमें गूं
OMG INDIA WORLD
गलती कहां हो रही है? बीमारी को पहचानने में देरी। बीमारी को स्वीकार करने में देरी। इलाज शुरू करने में देरी। कोरोना (RTPCR) टेस्ट कराने में देरी। लक्षण होने के बावजूद टेस्ट रिपोर्ट का इंतजार करना और तुरंत इलाज शुरू नही करना। बीमारी की गंभीरता को समझने में देरी। दवाइयों से डर के कारण सारी दवाइयां खाने के बजाय आधी अधूरी दवाइयां खाना। पांचवे या छठे दिन तबियत ज्यादा खराब होने पर भी CT और ब्लड टेस्ट नहीं कराना। दूसरे स्टेज का ट्रीटमेंट (स्टीरॉयड) छठे दिन से शुरू नही करना और इसमें देरी करना। Steroid की अपर्याप्त डोज लेना। साथ में anticoagulent (खून पतला करने और खून में थक्का बनाने से रोकने की दवा) न लेना। ऑक्सीजन लेवल नापने में लापरवाही के कारण ऑक्सीजन लेवल गिरने (Hypoxia) को समय से पकड़ न पाना। ऑक्सीजन गिरने पर अस्पताल पहुंचने में देरी। छठे दिन HRCT टेस्ट में 15/25 या उससे ऊपर का स्कोर आने पर भी घर में इलाज और तुरंत अस्पताल में भर्ती हों कर intravenous (इंजेक्शन से) ट्रीटमेंट न लेना। ध्यान रखें, पहला हफ्ता आपके हाथ में। दूसरा हफ्ता आपके डॉक्टर के हाथ में और तीसरा हफ्ता भगवान के हाथ में। आप निर्णय लें कि आप अपनी जिंदगी की बागडोर किसके हाथ में देना चाहते है... ©OMG INDIA WORLD गलती कहां हो रही है? बीमारी को पहचानने में देरी। बीमारी को स्वीकार करने में देरी। इलाज शुरू करने में देरी। कोरोना (RTPCR) टेस्ट कराने में द
Anuradha Sharma
ऐसा क्यूं होता, औरों का पेट भरने वाला । यूं ख़ाली पेट, कचोट के साथ है सोता । (Read in caption) 👇 ©Anuradha Sharma #kisaangatha ऐसा क्यूं होता, आेरों का पेट भरने वाला । यूं ख़ाली पेट, कचोट के साथ है सोता । उनके उपजे अनाज, बेच लोग होते मालामाल । पर वो नही
mukesh verma
AB
.... शुरुआत पतों से होती है और इस तरह फिर धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे-धीरे सूखा शज़र करते हैं. ग़र ये कहूँ के मेरे हिस्से कभी कुछ नहीं आया तो ये
Vandana
कभी-कभी समझदार बनते बनते थक जाते हैं और बच्चा बनने को मन करता है कभी-कभी लगता है कि हम बड़े हो गए हमें क्या जरूरत अटेंशन की ध्यान की नजर की प्रेम की हम adjust कर लेंगे कभी-कभी लगता है कि हमारी जरूरतें इतन
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बचपन और शैतानी वो रातें अब कहा गई, जब पल भर में सो जाते थे। फिल्मे-शीलमे चलती थी, हम गाने-शाने गाते थे, वो रातें अब कहा गई, जब पल भर में सो जाते थे। Reed in captions .... वो रातें अब कहा गई, जब पल भर में सो जाते थे। फिल्मे-शीलमे चलती थी, हम गाने-शाने गाते थे, वो रातें अब कहा गई, जब पल भर में सो जाते थे।
sandy
#लाडकी तसे तिचे अन सासुचे नाते नॉर्मलच होते.जगरहाटी असते तसेच...थोडे आंबट थोडे गोड ..... म्हणजे सासू कौतुक करत असे तिचं,लाड ही भरपुर पण तिल