Nojoto: Largest Storytelling Platform

New व्यथा का वाक्य Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about व्यथा का वाक्य from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, व्यथा का वाक्य.

    PopularLatestVideo

mangalviras

व्यथा का निवारण #जानकारी

read more
mute video

Parasram Arora

व्यथा का आध्यात्म #विचार

read more
व्यथा का  आध्यात्म समझना  हो तो पहले
व्यथित होना सीखना पड़ेगा या  उस व्यथा क़ो  लानेके लिये
संवेदनक्षमता क़ो बढ़ाना पड़ेगा  
कितनी बार  होती है कोशिश  व्यथा क़ो बाहर  लाकर
उसे खुली   हवा में सांस लेने दिया जाय  और
सहानुभूति  के  उपहारों  से नवाज़ा  जाय  ताकि उसके दंश
क़ो थोड़ा  कम कर दिया जाय...
किसी के कंधो का सहारा लेकर उसका दामन आंसुन से भिगो दिया जाय
लेकिन एक कठोर ह्रदय अपनी व्यथा की कथा क़ो कह पाने में असमर्थ रहता है या  अपने भीतर की बात क़ो कह कर खुद क़ो. छोटा साबित नही करना चाहता

©Parasram Arora व्यथा का  आध्यात्म

Pashupati nath prasad

सीता का मन व्यथा

read more
mute video

NEHA SHAAH

नमस्कार मित्रहो आताचा विषय आहे व्यथा माझी... #व्यथा #व्यथा1 #Collab #yqtaai #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Taai

read more
काय सांगू मी या जगाला
आपले आपले रडगाणे सगळ्यांचेच इथे 
पर्वा आहे का कोणाला ? नमस्कार मित्रहो
आताचा विषय आहे
व्यथा माझी...
#व्यथा #व्यथा1
#collab #yqtaai 
#YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Taai

Namrata Srivastava

"अजन्मी बच्ची का अपनी मां को व्यथा" #कविता

read more
mute video

सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "

#रावण का रुदन(व्यथा) #nojotoapp #nojotohindi #nojotonews

read more
कल देखा रावण कौ ऐसे हाथों जलतेे,
जो श्री राम,
के मर्यादा का करते है ना जो अनुसरण,
था रखा उसने पहन चौला राम का 
लेकिन था ना वो अभिमानी लंकेश के संयम से अवगत,
देख अमर्यादित हाथों में राम का धनुष दशानन भी बोल पड़ा,
किस निर्लज्जता से तुम मुझे जलाने आये हो, 
मैने बैशक सीता हरण का कर्म कु था किया,
लेकिन उसकी सजा तो मैनें लाखो बर्ष पहले 
अपने प्रियजनो महल अट्टालिका खोकर सीताप्रिय
के हाथों था पाया, 
तुम जिस विजय के बदले ये आडम्बर रचाते हो, 
तुम्हें पता भी वो रास्ता मैनें क्यों था अपनाया, 
कटी नाक लिए खड़ी थी भगिनी (बहन) भरी सभा में मेरी, 
सूर्पनखा ने वृतांत विस्तार से था मुझे बताया, 
मैं दानव हठी था तो क्या? लेने भगिनी के अपमान का प्रतिशोध था मुझे अधिकार नहीं,
था मुझे ज्ञात की अवतार है श्री राम भगवान का,
था ना जीत मैं सकता जिससे, 
फिर भी मैनें अपने भगिनी के अपमान का प्रतिशोध लेने का था ठाना,
बेशक हरण सीता का था किया, लेकिन मर्यादा मैनें भी था दिखलाया, 
संयमित होकर ही  पास था उसके आया,
तो सुनो ऐ पाखंडीयो,
वेदना मेरी इससे कुछ और हो नहीं सकता,
जो पाया था मोक्ष लाखो बर्ष पहले मरकर श्री राम के हाथों सत्ययुग में,
उसे जलना पड़ता है हर साल अमर्यादित हाथों कलयुग में। 
पतित पावन राम ना बन सको तो रावण बनकर हि आना,
नारी के सम्मान में संयम तनिक मुझसा तो दिखाना, 
फिर चाहो तो हर साल दशहरे में ही क्यों हर रोज ये आडम्बर रचाना, 
और तील-तील मुझे जलाना, 
मुझे पीड़ा नहीं जलने मे मुझे तुम बेसक जलाऔ, 
लेकिन राम ना सही रावण तो बन आऔ, 
फिर भी लगता है तुम बेहतर हो मुझसे तो, वो पड़ी अगनी वान अब मुझपर चलाऔ, 
और मुझे जलाकर फिर साल भर के लिए सो जाओ।

©फक्कड़ मिज़ाज अनपढ़ कवि सिन्टु तिवारी #रावण का रुदन(व्यथा) #nojotoapp #nojotohindi #nojotonews
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile