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shyam
छम छम करके गिरती बूंदे धरा पर, यह कैसी लाली छाई है, चारों तरफ पानी की चादर, फिर वर्षा ऋतु आई है. वर्षा की बूंदे गिरती मच रहा यह कितना शोर, जंगल में मंगल करते हैं मगन होकर नाचे सारे मोर इंद्रधनुष से लगा सुहावन कितना है बादल, मानो शोभा बढ़ा रही हो अप्सरा के आंखों का काजल. नाले नदियां सब बढ़ गई, पानी की चादर छाई है, चारों तरफ है शोर मच रहा, फिर वर्षा ऋतु आई है. ✍️- श्यामबाबू बर्षा ऋतु आयी है
Shubham shukla
2 Years of Nojoto अम्लीय वर्षा से पाषाण भी चटक जाते है ये तो महज एक दिल है इस पर अम्ल बर्षा क्या पाषाणों से भी गहरी चोटें आई है तो इसको निस्तो नाबूत तो होना ही था..... अम्ल बर्षा पाषाण और दिल
GuptA Aman
"बस" इतना रहमत कर दे खुदा, वह मुझें और मैं उसे भूल जाऊँ 🙏 बस इतना रहमत बर्षा दे मुझपे वह मुझें और मैं उसे भूल जाऊँ
Kishan Gupta
किचन की रानी, तू पसीने से लतपत, पंखा बना, मुझे घुमाये जा रही हो,, चाय कब तक यूँ ही, फीकी पिलाओगी, इलायची के इंतजार में, अदरक पीसे जा रही हो। ~किशन गुप्ता #कविता #कविता #
Awanish Singh
दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। पार जाऊँगा मेरा साहस, कभी हारा नहीं है। जो मिटा अस्तित्व दे, ऐसी कोई धारा नहीं है ।। कौन रोकेगा स्वयं तूफान, थककर रुक गये हैं । हर लहर मेरा किनारा, ध्येय तक बढ़ता रहूँगा।। दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। तोड़ दी अवरोध की सारी, शिलाएँ एक क्षण में । मैं धरा का प्यार मुझको, स्नेह देते सब डगर में।। शीत वर्षा और आतप कर, न पाये क्षीण गति को। बिजलियों की कौंध में भी, पंथ गढ़ता ही रहूँगा।। दीप हूँ जलता रहूँगा । मैं प्रलय की आँधियों से, अंत तक लड़ता रहूँगा ।। ©Awanish Singh (AK Sir) #कविता #कविता
Nidhi Adhyaru
Time change but something remain same . Inspiration change in motivation. 😏 #sad #revenge #waqt #yourquote #yqhindi #YourQuoteAndMine Collaborating with 💕बर्षा भानुप्रकाश 💕 Collaborating with jai
Balu Khaire
भीगी हुई आँखोका मंजर न मिलेगा, घर छोडकर मत जाओ कही घर ना मिलेगा। फिर याद बहुत आएगी जुल्फो की शाम, जब धूप मे साया कोई सर न मिलेगा। आंसू को काभि ओस का कतरा न समझना, ऐसा तुम्हे चाहत का समुदर ना मिलेगा। इस ख्वाब के माहोल मे बे-ख्वाब है आँखे, जब निंद बहुत आएगी बिस्तर ना मिलेगा। ये सोचलो आखरी साया है मोहब्बत, इस दरसे उठोगे तो कोई दर ना मिलेगा ©Balu Khaire कविता कविता #lonely
vijaysinh
writing quotes in hindi मन पीढ़ा से बैचेन हो जाता है, तब जा के क़लम कागज स्याही रोता है। क़लम खुद का नहीं,औरों का दुख रोता हैं। हर पन्ने पर क्रांति की बीज बोता है। दुनिया में सब से ज्यादा दुखी क़लम हैं, हर वक़्त खून के आंसू रोता है, खून रूपांतर चंद लकीरों में होता है। अब लोक उसे अल्फ़ाज़ समजते हैं पर वह अल्फ़ाज़ नहीं लब होते हैं जो क़लम के दिलसे निकले होते है। #कविता #क़लम कविता
AnishaDodke
कविता कवीला वेळ नसतो कवीला काळ नसतो फावल्या वेळात तो कविता लिहीत असतो! कवितेत करियर नाही योग्य आहे पण करियर सोबत कविता करणे हाच छंद आहे! कवितेत आसन नाही ये दुःख आहे पण कवितेचं वेशन आहे हेंच सुख आहे....! रिकाम्या डोक्यात काही तरी सूचन आणि कागदावर मांडण हेच माझं काव्यलिखाण आहे.....! कवयित्री:कु अनिषा दोडके ©AnishaDodke कविता कविता #BookLife