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Munna Kumar
विष क्या है ? आज का समाज? अमृत क्या है? किसी के मीठे दो बोल? कष्ट क्या है? किसी से कोई इच्छा रखना? तकलीफ क्या है? कोई बात जहन में होना पर कह न पाना? सवाल अधिक है जिंदगी के मुक्ति क्या है? जवाब मृत्यु नही।जीवन भी एक मुक्ति है। जैसे जिनी है खुद के हाथ में है उससे बरी मुक्ति और कुछ नही।। ©Munna Kumar #woshaam #समाज #कविता #विचार
Pushpendra Maurya
कविताएं समाज की रचना करती हैं कविताओं में जीती हैं जिंदगियां कविताओं में प्रेम होना चाहिए कविताओं में स्नेह होना चाहिए कविताओं में होने चाहिए वे मानवीय गुण जो जरूरी है इंसान के लिए इसलिए कविताएं लिखी जाती रहनी चाहिए कविताएं इंसान के सुख की कविताएं दुख की कविताएं वेदना की कविताएं शोक की कविताएं चेतना की कविताएं जिनमें सामाजिक मूल्यबोध हो कविताएं जो नैतिकता सिखाएं कविताएं जो इंसान बनाएं कविताएं लिखी जाती रहनी चाहिएं। ©Pushpendra Maurya #कविता #विचार #समाज #AWritersStory
नीता चौधरी
झंडा मायूस है। आज फैराया झंडा मैंने, वो थोडा मायूस है। देख अपने देश की हालत, वो भी थोडा , गंभीर है। बलात्कार, भ्रष्टाचार मंहगाई,बेरोजगारी और मची है ,चित्कार। पूंजीवाद की धूम मची है गरीब है लाचार। अधिकार सबने जान लिए कर्तव्य से है , नादान। बना आज संविधान तो.... कहा गयी सबकी शान। बस झंडा भी कह गया ऊचा लहराना ही क्या मेरी शान है। झंडा भी आज,मायूस है----नीता चौधरी © #कविता,#समाज और संस्कृति #RepublicDay
SurajKumar
शब्द और व्यवहार ही मनुष्य की असली पहचान है; चेहरे और हैसियत का क्या है आज है कल नहीं है.. ©SurajKumar #Ambitions #विचार #समाज #संस्कृति #कविता
नीता चौधरी
विदेशों में पहचानी जाऊ, वहा मै सम्मान,भी पाऊ। फिर क्यो ?अपने ही देश में मैं बस बोलने भर की,रह पाऊं। सदियो से मैं , प्रतिकार सहू राष्ट्रभाषा होकर भी , मैं मातृभाषा भी ना रह पाऊं। बेरोजगारी की जड से मैं नौकरी से,वंचित हो जाऊं फिर कैसे मैं,विश्व हिंदी दिवस की शुभकामनाएं पाऊ?----नीता चौधरी © #कविता,#समाज और संस्कृति,# #worldhindiday
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