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हरि ओम प्रकाश आनंद देव
हिमालयन योग महर्षि स्वामी देव मूर्ति जी महाराज
HP
जो व्यक्ति लोगों को आश्चर्य में डालने वाली करामातें दिखाते हैं वे या तो धूर्त या मूर्ख होते हैं। धूर्त-मूर्ख
Ek villain
भारतीय संस्कृति में हजारों साल पहले भगवान की प्रतिभाओं की एकाग्रता और उनसे सहज संवाद के लिए मूर्ति पूजन की परंपरा का विकास हुआ तब से लेकर आज तक यह परंपरा अटूट और वंचित है यह तब भी अटूट रही जब ईशा के पारंपरिक वर्ष में विश्व के अनेक भागों में एक आवेश बर्बाद पनप रहा और तब भी अटल रही जब ईशा की छठी शताब्दी में इस्लाम का प्रचार हुआ जिस दौर में अपने-अपने एकेश्वरवाद के दम में धर्म युद्ध के रूप में रक्त पास जारी था तब भी भारत में 6 गुण भक्ति और मूर्तियों में अपनी इंस्टा के साक्षात्कार का भाव यथावत रहा आधुनिक युग में जब विश्व भर में एक केशरबाग पर आध्यात्मिकता शोध और बौद्धिक बहस चरम पर पहुंच गई है तब भी यहां पर अधिक संख्या जनता अपनी समृद्धि संस्कृति विरासत से जुड़ी रही सरल हृदय भारतीय जनता मूर्तियों में मौजूद प्राण तत्व से स्वयं के मनन पोषण को जोड़े रखने में सफल रही यहां रामकृष्ण परमहंस जैसे विलक्षण संत हुए जो मां काली की मूर्ति से घंटो बताते थे मां काली को भोगना लगाना उनकी नियमित दीनाचार्य थी भोजन की थाली लेकर मंदिर के गृह में घुसते तो निश्चय नहीं था कि कभी बाहर निकलेंगे 1 दिन उनकी पत्नी शरद उन्हें खोजते हुए मंदिर आ पहुंचे श्रद्धालु जा चुके थे और परमहंस गर्भ गृह के भीतर भोग लगा रहे थे उन्होंने दरवाजे की दरार से अंदर झांका तो वह सब स्तंभ रह गई साक्षत मां काली रामकृष्ण के हाथों से भोजन ग्रहण कर रही थी उस दिन से स्वयं माता शारदा का जीवन बदल गया दरअसल हिंदू को मूर्तियों में प्राण प्रतिष्ठा का विज्ञान हजारों साल पहले से ही ज्ञात रहा इसलिए यह मूर्तियों में प्राण प्रतिष्ठा का विधान अटल श्रद्धा के लिए दृश्य मनोविज्ञान में आज भी हिंदू प्रतिमाओं को जीवित बनाए रखता है ©Ek villain # मूर्ति पूजन की परंपरा #NojotoRamleela
DR. LAVKESH GANDHI
माँ मेरे मन मंदिर में तेरी ही मूर्ति बसती है मेरे रोम-रोम में ममता की मूर्ति बसती है #माँ # #माँ की मूर्ति # #yqman #yqmanzil #
Dosti Ibaadat E Khuda
नहीं अस्तित्व कोई उसका ... है नहीं अगर, आकार कोई!! के मूरत पत्थर की जायज है ... है अगर, भगवान् कोई!! कहना था बस कह दिया ~~~ निशान्त ~~~ मूर्ति