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Farhan Raza Khan
पतछड़ सी ज़िंदगी हो गई है हमारी बस गिरती ही जा रही ।। PATJHAD SI ZINDAGI HO GAI HAI HUMARI BAS GIRTI HI JA RAHI... #NojotoQuote पतछड़ सी ज़िंदगी हो गई है हमारी बस गिरती ही जा रही ।। PATJHAD SI ZINDAGI HO GAI HAI HUMARI BAS GIRTI HI JA RAHI... #badnaamshayar #farhanra
Suchita Pandey
"अभिव्यक्ति - 4" "मौसम" पतछड़-सावन-बसंत-बहार, ऋतू के मौसम चार। "पतछड़" न कोई हर्ष, न उल्लास , न आशा की कोई फूटती कोपल । पतछड़ संग लाते हो तुम, कुंठित सवेरा, सूखी दोपहरी, एकांकीपन की सांझ। "वर्षा-सावन" के ये मनमोहक बादल, लाते हैं बारिश का यह जल। देख मन इन्हें होता प्रफुल्लित, वर्षा न हो तो मन हो जाता है विचलित। "बसंत-बहार"ऋतुओं का राज है,रंगीला मिज़ाज़ है। कुसुम का ताज पहनकर आया ये बसंत-बहार है । पूनम आकाश में, ऊर्जा के प्रकाश में, कविता का मधुमास बनकर, आया बसंत-बहार है । #अभिव्यक्ति_4 #मौसम_वर्णन #pennpopcorn #pnphindi #pnp041020 #pnpabhivyakti4 #yqbaba "अभिव्यक्ति - 4" "मौसम" पतछड़-सावन-बसंत-बहार, ऋतू के म
Nisheeth pandey
तेरे मेरे गुलाब के फूल छू गए जब प्यासे होठ तेरे मेरे सुगन्ध जाने कैसी मन में बस गयी सारा जग तुम्हारी मुस्कान सी लगने लग गयी । नींद में खिले बेला टूटे नींद तो महके चमेली, नाचती पंखों से झरे मालती अंग-अंग छुए जुही जुली पग-पग बहके बाबरा , डगर-डगर गाये भँवरा तुम जब मिले तो मीले इस तरह हमसे जैसे बेसुरी ज़िन्दगी गाने लगे मल्हार । तेरे मेरे गुलाब के फूल... तुम्हारे होंठ मेरे होंठ को चूमने की शैतानियां कर ऐसा मुग्ध कर गई मन को हरी हो गई तन्हा मन की बंजर घाटी खोने की बात न छेड़ों जुदाई की करो न चर्चा याद उसकी मन में हो तो पतछड़ भी लगे बसंत बहार। तेरे मेरे गुलाब के फूल... तुम्हें चाह क्या लिया कि तुम्हें सोच सोच जीने लगा तुम्हें देखने को तरसने लगा जीने की आस तेरी सूरत दिखने लगी तुम जब आयी थी जुड़ा बनाकर हमने चुपके से लगाया गुलाब जुड़े में तुम्हारे , बन गई चित्र की कोई कृति क्या देखूं अब बगीचे में फूल, कैसे फिराउँ हाथ पंखुड़ियों पर सिर्फ तुम्हारे लिये जीने लगा, सिर्फ तुम्हारे लिये मरने लगा । दो गुलाब के फूल.. #निशीथ ©Nisheeth pandey तेरे मेरे गुलाब के फूल छू गए जब प्यासे होठ तेरे मेरे सुगन्ध जाने कैसी मन में बस गयी सारा जग तुम्हारी मुस्कान सी लगने लग गयी । नींद में ख