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Sudipta Mazumdar
जहां नारी का होता है वास वहां सुखों का होता है आकाश जहां नारी का होता नहीं सम्मान वहां सबका होता है बिनाश नारी जहां वहां लक्ष्मी का निवास जहां नारी नहीं वहां दुखों का है संसार ©Sudipta Mazumdar #यत्र नारी पूज्यंते तत्र रमंते देवा: यत्र तू एता: न पूज्यंते तत्र भवन्ति विनाशा: #standAlone
Amit Sir KUMAR
स्नेह के धागे से बना मजबूत ये बंधन है रिश्तों के बनावटीपन के बीच मजबूत यह समर्पण है निश्चल प्रेम कि सरिता है रिश्तों कि पवित्रता की गीता है राखी कि डोर से जुड़ी भावनाओं का बंधन है बहन के भाई पर विश्वास का दर्पण है भाई का कर्तव्य बोध है रिश्तों का अमृत स्रोत है। ©Amit Sir KUMAR #rakshabandhan स्नेह के धागे से बंधा बंधन है.....
vippy
ज़िंदगी जोहद में है सब्र के क़ाबू में नहीं नब्ज़-ए-हस्ती का लहू कांपते आंसू में नहीं उड़ने खुलने में है निकहत ख़म-ए-गेसू में नहीं जन्नत इक और है जो मर्द के पहलू में नहीं यत्र नारियास्ते पूज्यन्ते तत्र रमन्ते देवता
Parasram Arora
मैं जानता हूँ मेरा जीवन तो बंधक बन चुका है इन आती जाती साँसों का....... और मैं यह भी जान गया हूँ कि ये जीवन. एक अतिथि बन कर जीता रहा इस उपग्रह पर और ये बात अलग है कि नहीं रहा मेरा रिश्ता या संबंध किसीसे और न ही किसी ने मुझे अपना समझा था इसिलए मेरा ह्रदय एक मरुस्थल बन कर रह गया जो आंसुओ की बूंदो क़ो पीकर अपने जीवन क़ो जीवंत रख सका अब तक अब तुम ही बताओ. कैसे लहल्हाएगी खुशियों की फसल इस अतृप्त ह्रदय की मरुभूमि के धरातल पऱ ©Parasram Arora बंधक
Arora PR
मुझमे वो पहले जैसी खुदा क़ो ढूंढ़ने वाली ख्वाहिश अब नहीं बची क्योंकि अब मै जान चुका हुँ कि मेरा रब तो मेरे अदर ही बंधक बना हुआ है वो भी तब से जबसे उसने मुझे इस धरती पर भेजा है ©Arora PR बंधक
Srk writes
एक दिन अपना पत्र मुझ पे नाज़िल हो गया,, 🤎 उस को पढ़ते ही मिरी सारी ख़ताएँ मर गईं ©Srk writes #पत्र,, प्रेम पत्र
Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
एक बार की बात है की केकई मातारसोई में भोजन बना रही थी तो उन्होंने भगवान राम को रसोई में आने के लिए मना कर दिया ताकि उन्हें कोई नुकसान ना पहुंचे और यह कहकर वहां से चली गईअचानक के वहां पर एक कौवा आ पहुंचा उसने भोजन करते हुए भगवान राम की रोटी को छीन लिया और इधर-उधर होने लगा तो भगवान राम उसके पीछे पीछे भागने लगे वह पहले तीनों लोकों में घूम गया लेकिन उसके रक्षा करने वाला कोई ना बचा क्योंकि मारने वाला भी भगवान और बचाने वाला भी भगवान तो तो वह कौवा भगवान राम के चरण में आ गयाऔर वह जो तीर था वह उसकी आंख में लग गया और वह एक आंख से अंधा हो गया तो उसने पूछा भगवान आपकी चरण रज को पाकर तो हर इंसान धन्य हो जाता है और बैकुंठ को चला जाता है और आप की शरण में रहता है तो मैंने तो आपकी रोटी को छुआ था तो आपने मेरे साथ ऐसा क्यों किया तब भगवान राम ने कहा की यह बात सच है लेकिन किसी चीज को छीनना बहुत बुरी बात है पर तुमने यह प्रसाद पाया है तो मैं तुम्हें आशीर्वाद देता हूं की तुम आने वाली घटना को देख सकोगे और तुम जिस घर भी जाकर बैठोगे तो बहुत शुभ सूचक होगा तभी से सारे कोए एक आंख से देखते हैं ताकि सबक याद रहे की गलती करने वाले को सजा अवश्य मिलती है तभी जब के कई माता वहां आई तब भगवान राम का पैर रसोई की देहली के अंदर था तब माता कैकई ने कहा कि तुमने मेरी आज्ञा का उल्लंघन किया है इसलिए तुम्हें सजा जरूर मिलेगी तब भगवान राम ने कहा कि माता आप मुझे सजा दे क्योंकि गलती तो मुझसे हुई है लेकिन ऐसा सुनते माता कैकई ने कहा नहीं मैं तुम्हें सजा नहीं दूंगी तब भगवान राम ने कहा कि माता यह वचन आपके मुंह से निकला है तो आप मुझे कभी ना कभी तो इस बात की सजा तो देनी ही पड़ेगी तो अभी आप ना दे पर भविष्य में कुछ ऐसा होगा तब आपको मुझे यह सजा जरूर देना पड़ेगा यह वचन भगवान राम ने माता केकई से लिया था और वह वचन केकई माता ने 14 वर्ष के वनवास और भरत के राज्य अभिषेक के तौर पर मांगे थे ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma कर्म के बंधन में तो स्वयं भगवान बंधे हुए हैं #NojotoRamleela