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ASHVAM
"सूरज" सूरज सर पर है, मेरा आत्म सक्ती... बढ़ाता है मेरा मन भी घुप की ताल पर गुनगुनाता है सूरज को भी देखो केसे नाच रहा है आज निकला हूं में कुछ काम से सूरज सर पर बैठे ऐसे घूमे जैसे सब कुछ जनता है ©Ashvam "सूरज", कविता की यह दूसरी पंक्ति है जो आपके समक्ष है
कवि देवेन्दु 'देव'
नोजोटो पर मेरी दूसरी कविता। #यूँ_तो_सबकुछ_लूट_गया_है
Yuvraj Singh
चलते- चलते ऐ किशोर, तू बन युवा, युवा बनकर उड़ चल।। ऐ युवा, राह के तलाश में मंजिल तक कर सफर।। कर सफर मंजिल तक, राह बने ये तेरा राह में मिले हजारों दर्द ..कष्ट और पीड़ा, पीड़ा भरे जीवन, युवा है ये तेरा।। ऐ युवा, कर मेहनत भरे कार्य और बना.. अनुभव भरा जीवन, जीवन है ये तेरा।। मांग अनुभव, कर हजारों तर्क-वितर्क, मांग अनुभव कर.. हजारों तर्क-वितर्क, बन आत्मनिर्भर, जीवन है ये तेरा।। ©Yuvraj Singh #जीवन की दूसरी पड़ाव#
Yuva kavi Vimal kumar prajapati
कोरोना की दूसरी लहर ........... पल भर में तेरी जिंदगी यूं ही बिखर जाएगी न साथ होंगे अपने तक तब मौत करीब आएगी ले जाएंगे अपने तेरे तेरा इलाज कराने को मगर हॉस्पिटल में तेरी वहां किडनी निकाल ली जाएगी न नसीब होगा वहां गज भर का कपड़ा तक तुझे और हॉस्पिटल से बाहर तेरी पन्नी में लाश आएगी देखना चाहेंगे तुझको पर दर्शन न तेरे कर पायेंगे चाहकर अपने तेरे तेरी मिट्टी को दफ़ना न पाएंगे तेरी मौत का सदमा तेरे मा पिता न सह पाएंगे इस सदमे को लेकर पिता और मा तेरी मर जाएगी पल भर में ......................................................1 This is my request to all friends that stay home and stay safe and used to mask at every place. ©Yuva kavi vimal kumar prajapati कोरोना की दूसरी लहर #COVIDVaccine
vinay vishwasi
कुंडलिया छंद मेहनत सब खूब करें, मिलता न रोजगार। करें भी तो क्या ये अब, पढ़े-लिखे लाचार। पढ़े - लिखे लाचार ,वे दर - दर ही भटकते। बीतती क्या उनपर,अब खुद ही वे समझते। सो रहे माननीय , नहीं हैं उनको फुरसत। फाँक रही है धूल , युवा वर्ग की मेहनत।।२।। कुंडलिया छंद की दूसरी कोशिश #विश्वासी
PRIYA SINHA