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#Seema.k*_-sailent_*write@
सांसो को तुम काबू में रखना पाओगे, आओ चलो क्या तुम फिर से पेड़ लगाओगे कुछ अपने लिए_ कुछ अपनों के लिए- क्या मिलकर नया प्लेटफार्म बनाओगे! ©seema kapoor पृथ्वी दिवस प्रथ्वी दिवस #EarthDay2021
Mahesh Kopa
पृथ्वी की पुकार ना मै कोई कन्या हूँ, ना किसी की जायदाद हूँ। ना छेड़ मुझे तू इनकी भांँति, कहने को संसार हूँ, पर मै कूड़ादान हूँ। शताब्दी से अधिक न सहती, तुम देते इतना पीढ़ा हो। कहने को संसार हूँ, पर मै कूड़ादान हूँ। इतना कष्ट न दे तु मुझको, ये मेरी सब्र से बाहर है। कहने को संसार हूँ, पर मै कूड़ादान हूँ। गंगा, जमूना-सरस्वती, वन-वृक्ष श्रृंगार मेरी। क्या कहूँ उस अल्पभू-मालिक से, सुनता न मेरी पुकार है। कहने को संसार हूँ, पर मै कूड़ादान हूँ। ना करता तू मेरी परवाह, बनता है अब स्वार्थ क्यों। गर्मी से मै झुलस रही हूँ, अब तो कर श्रृंगार मेरी। कहने को संसार हूँ, पर मै कूड़ादान हूँ। लज्जा मुझको मुझ पर आती, कैसी धरती माता हूँ। मेरे आंगन जन्म लिया तू, आंगन स्वच्छ न रखता क्यूँ। कहने को संसार हूँ, पर मै कूड़ादान हूँ। नोक सूईं की नहीं तू लगता, घमंड की तुझमे आकार नहीं। एक समय ऐसा आयेगा, श्रृंगार स्वयं कर जाऊंगी। कहने को संसार हूँ, पर मै कूड़ादान हूँ। फिर ना कहना तुम मुझसे, धरती कैसी माता है। स्वार्थ न मुझको बनने देना, निःस्वार्थ अब होता जा। तू तो अपना देख रहा है, मै भी वो कर जाऊँगी। कहने को संसार हूँ, पर मै कूड़ादान हूँ। क्रोध अधिक आती है तुझ पर, जैसे तुझसा स्वार्थ नहीं। श्रृंगार तू करता खूद ही, मेरी कोई बिसात नहीं। कहने को संसार हूँ, पर मै कूड़ादान हूँ। ✍️महेश कोपा ©Mahesh Kopa पृथ्वी की पुकार
Mahesh Kopa
गंगा, जमूना-सरस्वती, वन-वृक्ष श्रृंगार मेरी। क्या कहूँ उस अल्पभू-मालिक से, सुनता न मेरी पुकार है। कहने को संसार हूँ, पर मै कूड़ादान हूँ। ©Mahesh Kopa पृथ्वी की पुकार #Earth_Day_2020
Mahesh Kopa
ना करता तू मेरी परवाह, बनता है अब स्वार्थ क्यों। ऊष्मा से मै झुलस रही हूँ, अब तो कर श्रृंगार मेरी। कहने को संसार हूँ, पर मै कूड़ादान हूँ। ©Mahesh Kopa पृथ्वी की पुकार #Earth_Day_2020
Mahesh Kopa
नोक सूईं की नहीं तू लगता, घमंड की तुझमे आकार बड़ी। एक समय ऐसा आयेगा, श्रृंगार स्वयं कर जाऊंगी। कहने को संसार हूँ, पर मै कूड़ादान हूँ। फिर ना कहना तुम मुझसे, धरती कैसी माता है। स्वार्थ न मुझको बनने देना, निःस्वार्थ अब होता जा। तू तो अपना देख रहा है, मै भी वो कर जाऊँगी। कहने को संसार हूँ, पर मै कूड़ादान हूँ। क्रोध अधिक आती है तुझ पर, जैसे तुझसा स्वार्थ नहीं। श्रृंगार तू करता खूद ही, मेरी कोई बिसात नहीं। कहने को संसार हूँ, पर मै कूड़ादान हूँ। ©Mahesh Kopa पृथ्वी की पुकार #Earth
kanta kumawat
जाने जिगर अपनी कलम एक सम्पूर्ण सजीव का प्रथम सुकून प्रकृति वायु और मिट्ठी की महकती हुई खुशबू है। इस धरा पर अपने जन्म के जुगनु चमकते हैं। जो मोत के बाद भी धरती की मिट्टी में हर वक्त झलकते है। कान्ता कुमावत ©kanta kumawat पृथ्वी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
अंकित कुमार''अनुरंजन
हृदय तेरा बहुत बड़ा, जिसमें ये सारी दुनिया समाई । तू तो है मां की जैसी, तेरे गोद में सारी दुनिया समाई।। तभी तू हम सब की पृथ्वी मां कहलाई।। न जाने तेरी रचना किसने गढ़ी, गढ़ाई, अलग अलग तौर तरीके अपनाए फिर भी ये दुनिया जान न पाई। कैसे हुआ जन्म तेरा? आज भी मेरे अंतर्मन में समाई, अलग अलग सबने तेरी गाथा गाई, हम सब है बालक तेरे । तू है हम सब की पृथ्वी माई।। ।।विश्व पृथ्वी दिवस की हार्दिक शुभकामनाए।। ✍️✍️ अंकित कुमार ✍️ ✍️ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 पृथ्वी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
sanjay Chaudhary
“अन्न एवं जल प्रदान करने वाली जगत कल्याणी वसुंधरा को नमन” विश्व पृथ्वी दिवस के खास अवसर पर हम सब मिलकर भावी पीढ़ीयो के लिए वातावरण को प्रदूषण मुक्त करने, अपने आस-पास सफाई रखने एवं धरती को हरी-भरी व सुंदर बनाने का संकल्प लें। “पेड़ लगाओ, धरती बचाओ धरती बचाओ, जीवन बचाओ" ©Sanjay chaudhary विश्व पृथ्वी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं