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Ashish Singh

अगर आप की बीबी ज्यादा किचकिच करे तोvairalvideotrndingsong❣️❣️instagramshortvideo #Quotes

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Poetry with Avdhesh Kanojia

#Hindi #हिंदी भाषा और व्यवहार ......................... भाषा के अंतर से अंतर व्यवहार में भी दिखता है। विदेशी भाषा में अब तो संस्कार भी ख़ूब #कविता

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भाषा और व्यवहार
.........................

भाषा के अंतर से अंतर
व्यवहार में भी दिखता है।
विदेशी भाषा में अब तो
संस्कार भी ख़ूब बिकता है।।

चाचा चाची मामा मामी सब 
अंकल आंटी हो गए।
पहले होता था रिश्तों का मूल्य
अब कमाया खाया सो गए।।

जहाँ रस हुआ करता था
कहा जाता था रसोई।
अब जहाँ होती है किचकिच
किचन कहते सब कोई।।

जब तक यहाँ बहुत कम थी
चलन में विदेशी भाषा।
संस्कारों का अभाव नहीं था
न फैली थी कोई निराशा।।

चलन ने विदेशी भाषा के
आभासी निकटता बढ़ाई।
पर वास्तविक सम्बन्धों में
इसने दूरियाँ ही बढ़ाई।।

भले ही कुछ तंगी होती थी
पर हृदय तो था धनवान।
तब एक दूजे में दिखते थे
एक दूजे को भगवान।।

✍️अवधेश कनौजिया© #hindi #हिंदी
भाषा और व्यवहार
.........................

भाषा के अंतर से अंतर
व्यवहार में भी दिखता है।
विदेशी भाषा में अब तो
संस्कार भी ख़ूब

Poetry with Avdhesh Kanojia

#हिंदी #हिंदी_कोट्स_शायरी #Hindi #hindipoetry #hindiquotes poetry #poem भाषा और व्यवहार ......................... भाषा के अंतर से अंतर व

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भाषा और व्यवहार
.........................
भाषा के अंतर से अंतर
व्यवहार में भी दिखता है।
विदेशी भाषा में अब तो
संस्कार भी ख़ूब बिकता है।।
चाचा चाची मामा मामी सब 
अंकल आंटी हो गए।
पहले होता था रिश्तों का मूल्य
अब कमाया खाया सो गए।।
जहाँ रस हुआ करता था
कहा जाता था रसोई।
अब जहाँ होती है किचकिच
किचन कहते सब कोई।।
जब तक यहाँ बहुत कम थी
चलन में विदेशी भाषा।
संस्कारों का अभाव नहीं था
न फैली थी कोई निराशा।।
चलन ने विदेशी भाषा के
आभासी निकटता बढ़ाई।
पर वास्तविक सम्बन्धों में
इसने दूरियाँ ही बढ़ाई।।
भले ही कुछ तंगी होती थी
पर हृदय तो था धनवान।
तब एक दूजे में दिखते थे
एक दूजे को भगवान।। #हिंदी #हिंदी_कोट्स_शायरी #hindi #hindipoetry #hindiquotes #poetry #poem 

भाषा और व्यवहार
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भाषा के अंतर से अंतर
व

Satya Prakash Upadhyay

रात के अंधेरे में कौन सी बात दबी है? रात के अंधेरे में हर वो बात दबी है जो ये मन जानना चाहता है, इस एकांत शांत वातावरण में जब पांचों ज्ञानें #Raat #विचार

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रात के अंधेरे में कौन सी बात दबी है?
रात के अंधेरे में हर वो बात दबी है जो ये मन जानना चाहता है, इस एकांत शांत वातावरण में जब पांचों ज्ञानेंद्रियों को तनिक विश्राम मिलता है,तब मन भी अपने स्वभाव को छोड़, भटकने की बजाए किसी एक विषय पर एकाग्र होने लगता है,फिर उसका प्रश्न उत्तर का सिलसिला अनवरत चलता रहता है,इसी बीच में कभी सवालों का हल निकल आता है तो कभी उलझनें और बढ़ने लगतीं हैं।
इसका दूसरा पक्ष इतिहास की तरफ ध्यान ले जाता है,जहां अनेको उदाहरण मिलते हैं कि रात के अंधेरे में कैसे गुप्तचर ने सूचना दे कर, राजा ने भाग कर,विद्रोहियों ने हमला कर,घर के शत्रुओं ने भेद बता कर,लंपटों ने सतीत्व नष्ट कर ,किसी मुल्क को आजाद कर तो किसी को परतंत्र कर पूरे इतिहास को ही पलट कर रख दिया जिसके कारण सदियों तक उसका अच्छा या बुरा असर देखने को मिलता है।
एक आधुनिक पक्ष यह भी है जिसमें दिन भर के किचकिच से शांति पाने के बीच घर पर दंपत्ति अपने भविष्य की योजनायें बनाते हैं,तो कहीं कोई अपने बॉस की खीझ को पारिवारिक हिंसा में तब्दील करने में व्यस्त रहता है।
हर रात के अंधेरे की अपनी-अपनी अलग एक अंतहीन कहानी है। रात के अंधेरे में कौन सी बात दबी है?
रात के अंधेरे में हर वो बात दबी है जो ये मन जानना चाहता है, इस एकांत शांत वातावरण में जब पांचों ज्ञानें

Funny Singh🐼

हम 'मिडिल क्लास फैमिली' वाले भी ना ऑलराउंडर होते हैं। यह जो 'जुगाड़' नामक शब्द है ना! उसे बस हम ही समझ पाते हैं। बात सुई से लेकर मोबाइल या #YourQuoteAndMine #middleclassfamily #atulrathor #funnysingh #collabdone #Hr1200 #1200collabo

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Middel class family हम 'मिडिल क्लास फैमिली' वाले भी ना ऑलराउंडर होते हैं।
यह जो 'जुगाड़' नामक शब्द है ना! उसे बस हम ही समझ पाते हैं। 
बात सुई से लेकर मोबाइल या

यशवंत कुमार

मेरा मन यायावर,! अपनी ही धुन में मस्त, कभी उत्तेजित कभी पस्त कभी यहाँ कभी वहाँ, सदा करता रहता गश्त सोचा कहाँ कभी इसने, कहाँ ले जाती है डगर #meraman #yayawar #wandrer #ghumantoo

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मेरा मन यायावर,!

राजा हैं, रजवाड़े हैं;  मंदिर, मस्जिद, अखाड़े हैं,!
जो गले तक खाए हैं,  वो भी तो मुँह फाड़े हैं,!
मरता याचक एक मुट्ठी को, कोई तो झाँके बाहर,!
मेरा मन यायावर,!!

Read full poem in caption. मेरा मन यायावर,!

अपनी ही धुन में मस्त,  कभी उत्तेजित कभी पस्त
कभी यहाँ कभी वहाँ, सदा करता रहता गश्त
सोचा कहाँ कभी इसने, कहाँ ले जाती है डगर
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