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Shravan Goud
नयी उमंग नयी आशा नवीन चेतना नया उत्साह नया उमंग नया उत्साह के साथ आशाओ के दीप प्रज्वलित करे।
HINDI SAHITYA SAGAR
दिल के दीप प्रज्वलित करके, जाने कहाँ तुम चले गए। सदियों से प्यासी मीन को, बिन जल यूँही छोड़ गए। ©HINDI SAHITYA SAGAR दिल के दीप प्रज्वलित करके जाने कहाँ तुम चले गए। सदियों से प्यासी मीन को बिन जल यूँही छोड़ गए। #लव #Love #Dil #Hindi #hindi_poetry #hind
Anand vishnushali
मां आज भी घर की कर्ताधर्ता हैं। मैं कुछ बन ना सका मां का मन डरता हैं। प्रतिदिन विघ्नहर्ता के समक्ष दीप प्रज्वलित करती हैं, पर मेरी मां ही मेरी सच्ची विघ्नहर्ता हैं । आनंद विष्णुशाली नागदाह ©Anand Dhiman मां आज भी घर की कर्ताधर्ता हैं। मैं कुछ बन ना सका मां का मन डरता हैं। प्रतिदिन विघ्नहर्ता के समक्ष दीप प्रज्वलित करती हैं, पर मेरी मां ही
avialfaaz
☆ गुरू जी * ज्ञान का दीप प्रज्वलित करते हैं गुरु ही जीवन में एक दिशा निर्धारित करते हैं गुरू ही देव का रूप गुरू ही परमात्मा हैं जो निःस्वार्थ अपने शिष्यों को शिक्षा से प्रेरित करते हैं ✍अविनाश दुबे शिक्षक दिवस की हार्दीक शुभेच्छा 💐 ©_avialfaaz_mr_ad_ ज्ञान का दीप प्रज्वलित करते हैं गुरु ही जीवन में एक दिशा निर्धारित करते हैं गुरू ही देव का रूप गुरू ही परमात्मा हैं जो निःस्वार्थ अपने शि
Divyanshu Pathak
सरहदों को हद में रहने दो लाँघने की ज़ुर्रत की तो जड़ से जाओगे। हम वंशज श्री राम और कृष्ण के हैं। तलवार और प्यार दोनों समझते है। सरहद पर दीपावली मनाते देश के प्रधानमंत्री की ये तस्वीर मेरा मन मोह लेती है।उल्लास से उत्फुल्लित हुआ हृदय कह उठता है कि हे भारत की माँटी तुझे
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मनहरण घनाक्षरी :- जन्मदिवस जन्मदिन शुभ घड़ी, खुशी दिल आज बड़ी , प्यारी मेरी गुड़िया को , शुभाषीश दीजिए । भाई के लिए बहना , होती वें सदा गहना , भूल नही जाते भाई , चलो पानी पीजिए । दिन अभी बीता नही , शाम देख हुई नही , दीप प्रज्वलित कर , खुशी मना लीजिए । मिली जो बधाईयाँ है , यही तो दवाईयाँ है , धन्यवाद भी सबका , सुन अदा कीजिए ।। ०३/०८/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :- जन्मदिवस जन्मदिन शुभ घड़ी, खुशी दिल आज बड़ी , प्यारी मेरी गुड़िया को , शुभाषीश दीजिए । भाई के लिए बहना , होती वें सदा गहन
#maxicandragon
Maa शब्द धार है तीखी, जैसे कोई कटार सांसे सीसक रही थी जिनकी तूने उसको दई मार कान में उस दिन जो बोली थी निकले अंगारे जब मुंह खोली थी उसी पल से माँ न बोली थी मांगना था तो दुआ मांगती धन दौलत घर बददुआ ना मांगती सच में तू गर माँ को जानती अष्टलक्षं कुल दीप प्रज्वलित त्रयोवर्ष स्वयं हित करित द्वेष असत्य वृक्ष न फलित #Sadharanmanushya ©#maxicandragon #maa शब्द धार है तीखी, जैसे कोई कटार सांसे सीसक रही थी जिनकी तूने उसको दई मार कान में उस दिन जो बोली थी निकले अंगारे जब मुंह खोली थी उसी
Parul Sharma
माँ प्रेम और ममता का संगम सुधा की रसधार तुम दीप प्रज्वलित है आँगन में उस दीप का प्रकाश तुम। हमारी आह पर हमारी चाह पर करती प्रेम बहाब तुम। मधुवन में आनंद उमंग है उस मधुवन की बहार तुम। गगन में मेघ मेघ में प्रेम प्रेम की फुहार तुम। हमारे संकट के हर छड़ में प्रभु से करती करुण गुहार तुम। ये जीवन तुम्हारा ही दिया इस जीवन सा आधार तुम। तुम ही कंचन तुम ही रत्न जीवन का श्रंगार तुम। तुम ही सूरज तुम ही चंन्द्र हो उदित प्रभात तुम ऐ करुणामयी ममतामयी माता ईश्वर का अवतार तुम पारुल शर्मा #NojotoQuote प्रेम और ममता का संगम सुधा की रसधार तुम दीप प्रज्वलित है आँगन में उस दीप का प्रकाश तुम। हमारी आह पर हमारी चाह पर करती प्रेम बहाब तुम। मधुव
Ravendra
Geetika Chalal
वह स्वयं संपूर्ण संसार है पावन प्रेम-नदी के तट पर, आशाओं की कुटिया में रहे वो। आजीवन हर माह, हर ऋतु में मंगल कामना की जाप करे वो। अनेक प्रतिमाओं को नमन कर, एक ही प्रार्थना सदैव करती है। सुदूर अपने दीप के लिए, हर मंदिर पर दीप प्रज्वलित करती है। ईश्वर ने प्रत्येक युग में, प्रत्येक जीव में बनाया जीवनदात्री इस पात्र को। प्रथम श्वास से प्रथम मार्गदर्शक तक सारथी बनी स्वयं अनादि वो। कोसों दूर बस रहे अपने प्राणों को अब घर के जलते दीप में ढूंढती है। दृष्टि अटकी रहे सदैव, उस प्रकाश में जो वृद्ध आशाओं को सुख देती है। झोली में प्रेम का सागर भरा है। प्रेम रहित हो जाना, ना जाने वो। अविरल ताप में शीतल चंदन बन जाये जो केवल निस्वार्थ प्रेम करना ही जाने वो। वह शक्ति, वह स्नेह मूरत - ' जननी ' है। उत्पत्ति का आधार है। हमने पद - ' माँ ' दिया है किंतु वह स्वयं संपूर्ण संसार है। (गीतिका चलाल) @geetikachalal04 ©Geetika Chalal वह स्वयं संपूर्ण संसार है। by- गीतिका चलाल Geetika Chalal वह स्वयं संपूर्ण संसार है। पावन प्रेम-नदी के तट पर,