Find the Latest Status about विश्व हिंदी दिवस पर कविता from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos.
चेतन घणावत स.मा.
स्वरचित कविता ©chetan ghunawat विश्व हिंदी दिवस पर स्वरचित कविता
Sharad Kumar Faltu
जैसे माँ का प्यार है हिंदी और पिता का दुलार है हिंदी हिंदी के साथ हम बड़े हुए फ़िरभी हिंदी को भूल रहे है अंग्रेजी को बोलने में हम अपनी शान समझते है और हिंदी में हम बात तक करने से कतरा रहे है हिंदी को छोड़ने से ही हम अपनी संस्कृति को छोड़ रहे है संस्कृति की तो बात ही क्या है नैतिक मूल्य भी भूल रहे है हिंदी हमारी माँ समान है इसको ही पीछे छोड़ रहे है ''फालतू '' अपनी माँ का हम जैसे स्वयं गला घोंट रहे है शरद कुमार फालतू विश्व हिंदी दिवस पर
Sharad Kumar Faltu
जैसे माँ का प्यार है हिंदी और पिता का दुलार है हिंदी हिंदी के साथ हम बड़े हुए और हिंदी को ही भूल रहे हैं अंग्रेजी को बोलने में हम अपनी शान समझ रहे हैं और हिंदी में हम बात तक करने से कतरा रहे हैं हिंदी को छोड़ने से ही हम अपनी संस्कृति को छोड़ रहे हैं संस्कृति की तो बात ही क्या नैतिक मूल्य भी खो रहे हैं हिंदी हमारी माँ समान है इसको ही पीछे छोड़ रहे हैं ''फालतू''अपनी माँ का हम जैसे स्वयं गला घोंट रहे हैं शरद कुमार फालतू विश्व हिंदी दिवस पर
NEERAJ SIINGH
हिंदी प्राणों की तरह हैं गर हम कह ना सकें गर हम समझ ना सकें तो शरीर मृत के समान हैं #neerajwrites विश्व हिंदी दिवस पर
shwati pandey
किचकिचाहट से सिर चकरा रहा मेरा कुछ दिनों से झक्की सा व्यवहार है, कब कहती हूँ किसी से की कोई बैठे सुने मेरी दो - चार कविताएं। कुछ दिनों से लिख नहीं पाई मैं कोई कविता, रात भर सो न सकी उहापोह की स्थिति में, छटपटा रही थीं मरणासन्न अवस्था में कविताएं वो जो कह न पाईं अंतर्दशा अपनी मैं लेट गयी उत्तर से दक्षिण की ओर सिर किये ताकि मिल जाए इन्हें प्राणमुक्ति। आज सुबह से परदे को न जाने क्या दुश्मनी है खिड़की से जो उलझ जा रहा बार-बार, मैंने खिड़की खोल रखी है पूरब ओर ताकि सूरज की मार सहें कुछ देर परदा। बिस्तर पर गिरे पड़े मिले कितने बाल मेरे माँ कहती रही की तेल की मालिश आवश्यक है सिर पर, तभी तो कविताओं ने रात दम तोड़ दिया मैंने उठाया रेड़ी का तेल और ठोंकती रही घण्टों भर सिर पर। -Shwati pandey🌹🌿 विश्व कविता दिवस की शुभकामनाएं🌸 .. #हिंदी #कविता
Instagram id @kavi_neetesh
बेटी बचाओ यह उजालों सी बाहखड़ी बेटियां। देर तक खिल खिलाकर हंसी बेटियां।। दिन की परछाई सी अचानक बढ़ी। ना जाने कब बड़ी हुई बेटियां।। घर की आंगन में चिड़ियों सी चहककरी। देखते ही देखते उड़ी बेटियां।। मौसमों की तरह आती जाती रही। दूर परदेस में जा बसी बेटियां।। छोड़कर परछाई हल्दी भरे हाथ की। सिसकियां सिसकिया लो चली बेटियां।। बेटियां घर में आई हंसी गूंजती। कहकहों की सुबह सी लगी बेटियां।। बेटियां फूल सी बेटियां दूब सी बेटियां शुभ शगुन रोशनी बेटियां ✍️ कवि नीतेश राजकुमार गुप्ता सनातनी ©Instagram id @kavi_neetesh *विश्व विश्व बालिका दिवस पर कविता* : *बेटियां* #बालिकादिवस