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Vishw Shanti Sanatan Seva Trust

'महापातकी व्यक्ति भी यदि निमेषमात्र श्रीभगवान्का ध्यान करे तो वह पुनः पवित्र होकर पवित्र करनेवालोंको भी पवित्र कर सकता है।'#प्रेमाभक्तिपथ#सत्यवचन

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vishnu prabhakar singh

मन के अनुकूल निमेष का छूटना यथार्थ है,तो योगी मन भी यथार्थ है;लम्हा आपका है! वो एक लम्हा जो सोचने में गुज़र गया है। #एकलम्हा #Collab #yqdidi #musings #YourQuoteAndMine #miscellaneous #विप्रणु

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वो एक लम्हा
ध्यान भविष्य पर
वर्तमान धुंआ कर देता है,
अंतरंग दुनियां बहुत ख़ुशी देती है!
वो एक लम्हा
ध्यान भविष्य पर
वर्तमान से होकर गुजरता है। मन के अनुकूल निमेष का छूटना यथार्थ है,तो योगी मन भी यथार्थ है;लम्हा आपका है!

वो एक लम्हा
जो सोचने में गुज़र गया है।
#एकलम्हा #collab #yqdidi

Pandey Sunil 🇮🇳

निहारा नित तुम्हारे बाट निर निमेष नयन से, पुकारा है दिल हर पल अन्तर मन की वैन से। करो कुछ तो रहम हम पर निवेदन है हे सुरबाले, स्नेही हूं बचा

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निहारा नित तुम्हारे बाट निर निमेष नयन से,
पुकारा है  दिल हर पल अन्तर मन की वैन से।
करो कुछ तो रहम हम पर निवेदन है हे सुरबाले,
स्नेही हूं बचा लो हमको अब रति के इस जलन से।।
skp@basti 
time pass writting निहारा नित तुम्हारे बाट निर निमेष नयन से,
पुकारा है  दिल हर पल अन्तर मन की वैन से।
करो कुछ तो रहम हम पर निवेदन है हे सुरबाले,
स्नेही हूं बचा

Sarita Shreyasi

आँखों में अनल मुसकाया, उर में अम्बुधि समाए, सुधि किसे पावस या पतझड़, बिन मौसम ही मोती बरसाये। गिन-गिन कर एक-एक स्पंदण, जाने कितने बरस बीताये #hindipoetry #yqdidi

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आँखों में अनल मुसकाया,
उर में अम्बुधि समाए,
सुधि किसे पावस या पतझड़,
बिन मौसम ही मोती बरसाये।
                              गिन-गिन कर एक-एक स्पंदण,
                              जाने कितने बरस बीताये,
                              कच्ची उमर और कल्पना ने,
                              कैसै- कैसै स्वपन दिखाये।
अंजाने एक सूत टूटा,
बाकी सारे रस्म निभाये,
होठों पर कंपित हँसी रख दी,
निमेषकों में नीर छुपाये। आँखों में अनल मुसकाया,
उर में अम्बुधि समाए,
सुधि किसे पावस या पतझड़,
बिन मौसम ही मोती बरसाये।
गिन-गिन कर एक-एक स्पंदण,
जाने कितने बरस बीताये

AB

कियो उपद्रव तारक भारी l देवन सब मिलि तुमहीं जुहारी ll तुरत शडानन आप पठाउ l लव निमेष महं मारी गिराउ ll ll💚ll ॐ नमः शि

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कियो उपद्रव तारक भारी l देवन सब मिलि तुमहीं जुहारी ll
तुरत शडानन आप पठाउ l लव   निमेष महं  मारी गिराउ ll

                   ll💚ll ॐ नमः शि

Poetry with Avdhesh Kanojia

हृदय कमल पर तुम्हारे उन, नैन कटाक्षों का प्रहार करते हैं मन प्रफुल्लित व, लाते हैं नवीन बहार। नाता है तुमसे प्रिये यह, जन्मों जन्मों का और

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प्यार का एहसास -
हृदय कमल पर तुम्हारे उन, नैन कटाक्षों का प्रहार
करते हैं मन प्रफुल्लित व, लाते हैं नवीन बहार।

नाता है तुमसे प्रिये यह, जन्मों जन्मों का और
आगे भी ऐसे बना रहेगा, हम दोनों का प्यार।

क्षण क्षण प्रति निमेष में, अनुभव करता हूँ तुमको
मेरे लिए तो बढ़कर इससे, नहीं है अन्य बहार।

हाँ मैंने पूजा है हरि को, तुमको प्राप्त करने को
सुन लज्जा अनुभव न करो, देखो इधर एक बार।

समय आ जायेगा निकट, जब प्राण निकलने का
मृत्यु में भी बहार होगी, जो दिख जाओ एक बार।


✍️अवधेश कनौजिया© हृदय कमल पर तुम्हारे उन, नैन कटाक्षों का प्रहार
करते हैं मन प्रफुल्लित व, लाते हैं नवीन बहार।

नाता है तुमसे प्रिये यह, जन्मों जन्मों का और
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