निहारा नित तुम्हारे बाट निर निमेष नयन से,
पुकारा है दिल हर पल अन्तर मन की वैन से।
करो कुछ तो रहम हम पर निवेदन है हे सुरबाले,
स्नेही हूं बचा
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Sarita Shreyasi
आँखों में अनल मुसकाया,
उर में अम्बुधि समाए,
सुधि किसे पावस या पतझड़,
बिन मौसम ही मोती बरसाये।
गिन-गिन कर एक-एक स्पंदण,
जाने कितने बरस बीताये #hindipoetry#yqdidi
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AB
कियो उपद्रव तारक भारी l देवन सब मिलि तुमहीं जुहारी ll
तुरत शडानन आप पठाउ l लव निमेष महं मारी गिराउ ll
ll💚ll ॐ नमः शि
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Poetry with Avdhesh Kanojia
हृदय कमल पर तुम्हारे उन, नैन कटाक्षों का प्रहार
करते हैं मन प्रफुल्लित व, लाते हैं नवीन बहार।
नाता है तुमसे प्रिये यह, जन्मों जन्मों का और