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vishal patil
Tum se ek shikayat hai मुझे लगा था,तुम्हे मेरी फिकर सबसे ज्यादा है...लेकिन...उस दिन पता चला की समाज तुम्हारे लिए मुझसे पहले आता है.! #NojotoQuote डर इस समाज का.... #समाज #प्यार
Hariom Mishra
कुछ मानव हैं लेकिन वो दानव हैं स्त्रीयों के पैरों में अभी भी बेडियां हैं। ये दानव मासूम- सी कन्याओं का करते बलात्कार हैं ये मानव के रूप में भेड़ियां है। इनका खराब व्यवहार है वो दो -साल के मासूमों को भी नही छोड़ते हैं नया शिकार को खोजते हैं कोई नई खबर मिलने पर नेता लोग विपक्षी पर पार्टी पर आरोप लगाते हैं उस मासूम को इंसाफ नही दिलवाते हैं ऐसे नेताओं और भेड़ियो को जिंदा जला देनी चाहिए अगर मुस्लिम हो तो जिंदा दफना देनी चाहिए संविधान के कानून के कुछ पन्नों को जला देनी चाहिए आज का समाज
abhisri095
#Lohri बुरा ये नही कि,बुरा हो रहा है बुरा तो ये है, सब सामने हो रहा है बुरा कहे भी तो किसको कहे जिसको देखो वो खुद में बुरा हो रहा है #आज का #समाज
Sachin Nauhal
किसान माँ अन्नपूर्णा की संतान है किसान, अन्न जीवन है श्रष्टि का तो भगवान है किसान। महान व्यक्ति वही नही होते जो- सम्मानित होते, कुछ सम्मान के अधिकारी सम्मान से दूर भी होते है।। समान किसान का।।
Suraj Shandilya
समाज का परिवार कही दूर एक जगह पर , छोटा सा परिवार रहता था। जिसमे कुल 4 सदस्य थे माँ पिता, भाई, और बहन। जिसकी आर्थिक हालात उस समय ठीक नही थी। परंतु वे सब आपस मे बहुत ही खुशहाल थे ,एक दूसरे के साथ प्रेम भाव , सभी का आदर करना बखूबी आता और वे सभी बहुत ही मनमोहक ही थे। और परिवार की एक जुटता और प्रेम के सहारे ही वे हर एक कार्य खूब मन लगाकर करते थे। उनमे एक छोटी बच्ची भी थी जो स्वभाव से चंचल थी पर उससे ज्यादा अपने परिवार के मान सम्मान का भी ध्यान रखती थी कही उससे ऐसी भूल ना हो जाये कि परिवार वालो को कहि सर्मसार होना पड़े। जिसके लिए खूब मन लगाकर पढ़ाई करती और साथ ही साथ अपने घर को संभालना भी सिख चुकी थी। सभी परिवार के सदस्य उससे बहुत ही स्नेह करते , और वो एक आदर्श बेटी के रूप में जानी जाती। उसे जरा सा भी चोट लग जाये तो पूरा परिवार रो उठता और जरा सा भी स्वस्थ्य खराब हो तो सभी तरह तरह के नुस्खे बताने में जुट जाते। आज वो बच्ची बड़ी हो गई तथा बहुत ही खूबसूरत है। उसकी खूबसुरती भी इतना कि चांद भी शर्मा जाए पर और आज भी मन लगा कर पढ़ाई करती है परन्तु ना चाहते हुवे भी उसे एक लड़के से प्रेम हो गया। पर अब उसे डर था उसके परिवार वाले उस लड़के को अपनाएंगे की नही? यही कशमकश उसके मन मे हमेशा बना रहता। आखिर बने भी क्यों ना? परिवार वाले समाज को जो मानते थे। समाज के बाहर ये नही करना समाज के बाहर वो नही करना,हमेशा से यही चलता रहता था। जिस सोच की छाप उसके मन मे भी कही घर कर चुका था। पर आज अब वो लड़की उस लड़के को खोई तो वो टूट सकती थी। दिन प्रतिदिन , परत दर परत उन दोनों का रिश्ता और गहरा होता चला गया अब वो बच्ची उस लड़के से बिछड़ने की नही सोच सकती। बहुत ही हिम्मत करके उसने इस बारे में अपने परिवार वालो को बताया। पर सारे सदस्य उसे बस सुनते रहे, और उसकी पढ़ाई छोडवाकर वापस घर ले आये। वो बहुत ही दुखी थी क्यों कि पढ़ाई का भी उसकी जिंदगी में महत्वपूर्ण स्थान था जिसे घर वाले छोड़वा चुके। अब आज के समय उसके परिवार वालो की सोच इतनी बदल चुकी की अब बस उस बच्ची की शादी कर कहि दूर भेज दिया जाए ताकि उस लड़के को भूल सके और समाज मे हमारे परिवार की इज्जत बनी रही। समाज------ बहुत ही गहरी सोच है, ये वो समाज है जो अच्छा भी है और कहि जगह बुरा भी। उस बच्ची के परिवार वाले उसे पढ़ाई छोडवाकर घर ले आये शादी की बजाय करने लगे इनके पीछे ये समाज ही तो था सायद। जो परिवार बचपन से ही खुशहाल था जो अपने बच्ची से बेहद ही प्यार करता था समाज के डर से कही उनका परिवार बदनाम ना हो सोच कर अपनी बच्ची के प्रेम को कुचल दिया। जो परिवार अपनी बच्ची का इतना खयाल रखता था वो आज अपने ही हाथों से अपनी ही बच्ची का समाज से सौदा कर बैठा और भूल गया कि वो हमारी ही बच्ची है।।। और ये सब देख कर महसूस करके उस बच्ची में जो बीत रही थी उसे अब उसके परिवार वाले समझना तक नही चाहते थे। और आज उस बच्ची ने इस घुटन के कारण कुछ ऐसा किया जिससे अब उसका परिवार ज़िन्दगी भर उस सदमे से उभर नही सकता था। फिर आज समाज एक प्यारी सी बच्ची का गला घोंट चुका था। और परिवार वाले अभी भी समाज समाज मे ही थे। काश वो परिवार समाज से ज्यादा अपनी बच्ची से प्रेम करता तो सायद वो खुश होती और सही सलामत होती। #NojotoQuote समाज का परिवार।
Kalpna Tyagi
किलकारी गुंजाने अपने आंगन जान हथेली पर तक खेल जाती है ,, खुशनसीबी से मिल जाता है यह सुख बाद दर्द से गुजर कर भी समाज क्या अपने ही नहीं जीने देते उनको, जो इस मात सुख से भी वंचित रह जाती है,, ©Kalpna Tyagi #MothersDay2021 # समाज का आईना
ASHOK KUMAR POET
वर्तमान क्या है राजनीति ये भी हमें समझनी है। कोन क्या कर रहा है, क्या नहीं कर रहा है। ये भी कवियों का काम, कवि ही तो समाज का दर्पण है #feather समाज का दर्पण