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Vansh Kumar
भ्रस्त युग आजकल अखबारों में नकारत्मकता का प्रचार है आजकल चारों ओर बस फैला भ्रस्तआचार है आम आदमी घंटों तक मेहनत का पसीना है बहा रहा और उनकी मेहनत की कमाई को भ्रस्त व्यक्ति है खा रहा । जिन नेताओं को इनपर है काम करने उनको ये याद नही उनको याद दिलाने के लिए न जाने कितनें लोगो ने फ़रियाद की । आजकल किसी फ़िल्म की रिलीज़ , किसी नेता का विडियो ब्रेककिंग न्यूज़ हो गयी किसी बीमारी से आम आदमी की मौत और नौकरी की कमी न जाने कहा फ्यूज हो गयी । वो आदर्श भारत का सपना कही खो गया ये हमारे भारत - वर्ष को क्या हो गया ? भारत में भ्रस्तष्टाचार दूर करने की खाविष है भ्रस्तष्टाचार से लड़ने के लिए चाहिए एक नयी अजमाईस है । मेरी इस कवितआ की विषय वस्तु भ्रस्तष्टाचार है । कविता पसंद आये तो लआइक करे।और अपनी टिप्पणियों को कमेंट बॉक्स में लिखें । हमें आपकी टिप्पणियों
Dipanjan Yuvraaj
कवि राहुल पाल 🔵
Dipanjan Yuvraaj
Agrawal Vinay Vinayak
एक मित्र ने फोन करके डांटा क्यों हर किसी को जवाब देते हो जब वे नहीं समझते, नहीं चाहते? तुम्हारी एक गरिमा है, बनाए रखो "Don't engage" सच है मन, समय, शक्ति खराब होते हैं। पर इसलिए करता हूं कि यथासंभव लोगों की टिप्पणियों, प्रश्नों को सम्मान दूं, संवाद करूं गलत है क्या? बंद कर दूं? एक मित्र ने फोन करके डांटा क्यों हर किसी को जवाब देते हो जब वे नहीं समझते, नहीं चाहते? तुम्हारी एक गरिमा है, बनाए रखो "Don't engage" सच है म
Atul Waghade
कठिनाईयों से भरा हुआ ये महासागर कितना बढा़ हुआ कैसे करें पार भगवान , उस पार जाना असंभव लग रहा यहां। तब जपे सब नाम राम राम.. पत्थर पर लिखे सब नाम राम.. हमारे पिछले लेख के प्रश्न पर जिन सुधि पाठकों ने अपने मत रखे, उन सभी का अभिनंदन। वाक़ई मात्र हमें ही नहीं अपितु अन्य पाठकों को भी टिप्पणियों स
Atul waghade
कठिनाईयों से भरा हुआ ये महासागर कितना बढा़ हुआ कैसे करें पार भगवान , उस पार जाना असंभव लग रहा यहां। तब जपे सब नाम राम राम.. पत्थर पर लिखे सब नाम राम.. हमारे पिछले लेख के प्रश्न पर जिन सुधि पाठकों ने अपने मत रखे, उन सभी का अभिनंदन। वाक़ई मात्र हमें ही नहीं अपितु अन्य पाठकों को भी टिप्पणियों स
Author Munesh sharma 'Nirjhara'
विचलित,अचंभित स्तब्ध प्रभु देख सम्मुख जलराशि अपार किस विधि उनको राह मिले पहुँचे कैसे अब जानकी पास मित्रवर संग खड़े उपाय खोजते किस प्रयत्न मानें सागर महाराज 🌹 हमारे पिछले लेख के प्रश्न पर जिन सुधि पाठकों ने अपने मत रखे, उन सभी का अभिनंदन। वाक़ई मात्र हमें ही नहीं अपितु अन्य पाठकों को भी टिप्पणियों स
Priyanjali
नोजोटो के आकाश में मेरे चार सितारे....!☺️ वो प्रिया है, सबको प्रिय है, मधुर वाणी........, कर्णप्रिय स्वर....., अपनेपन और मीठी सी मुस्कान से.., सबका मन मोह ले जाती है......!!!! सबको पसंद है वो...., सबकी चहेती है........., श्रेष्ठ पाठिका..........! नोजोटो की राजकुमारी कहलाती है........।। वो माणक है, सबकी मन के भाव समझता है...., "खम्माघनी" बोलके सबको चाय पिलाता है.....!! मुस्कान रहती है चेहरे पर सदा मासूमियत बेशुमार है.... लंबे चौड़े टिप्पणियों(comments) से....... प्रोत्साहित कर सबको...........! अपना बना लेता है.............!!!! विवेक हैं वो...............!!!!! श्रेष्ठ श्रोता, परम् मित्र, प्रशंसक भी हैं, आलोचक भी हैं, सबके पोस्ट पर जाते, प्रोत्साहित करते... मानो बुझते दीये के संरक्षक भी हैं....!!! विवेक को समझना आसान नहीं...।। पर समझ जाओगे........ पहले विवेक को तुम समझो, जानो................!! इसलिए विवेक को अपने विवेक से सुनो.......!!!! वो रेखा है, "मंजुलाहृदय" है......, "मंजुला" - सुंदर, मधुर..........., "हृदय" की समन्वय है...........!!!! NCC की कैडेट, उभरती हुई कवियत्री है, विशाल सपने हैं नयनों में, मानो अंकुरित बीज के उत्साह की परिचायक है वो....!!!! ©Priyanjali नोजोटो के आकाश में मेरे चार सितारे....!☺️ वो प्रिया है, सबको प्रिय है, मधुर वाणी........, कर्णप्रिय स्वर....., अपनेपन और मीठी सी मुस्कान से
AB
मेरा मुल्क मेरा ये फ़क़त अदब हिन्दोस्तां जैसे रोशन हो गुलशन गुलफ़ाम,गुलस्तां सरगमों पर सरहदें बनीं हैं ज़फर सी यहाँ मुस्तक़िल हैं रुत- ऋतुएं- रौनकें सब जहाँ मेरे मुल्क में हैं सारे जाति धर्म कुटुंब आबाद सरफ़रोश -ए-क़ल्ब हैं, यहाँ ऐसी है आवाम ज़ू-ए-खूं बहीं हैं , जिस्म-ए-जुनून से ज़िंदा फिर जाके पाया ये ज़न्नत-ए-चमन नायाब जहां महफ़िल-ए-इंकलाब बंधी हैं बज़्म-ओ-नज़्म यहाँ फिर एक शहादत के बाद मिली खूबसूरत सी मोहब्बत हैं यहाँ -@alpana🦋_writeups 72 वें गणतंत्र दिवस की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं, ये वही महापर्व है जिस दिन हमारा संविधान समस्त भारत में पूर्ण रूप से लागु हुआ था, जो कि 26