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vibrant.writer
मैंने चीटियों से सीखा है गिरना और गिरकर संभलना सफलताओं का मजा लेना निष्फलताओ से सीखना। मैंने चीटियों से सीखा है गिरना और गिरकर संभलना, सफलताओं का मजा लेना निष्फलताओ से सीखना। #vibrant_writer कलम बोल रही हैं... #pritliladabar
vibrant.writer
{33} सुनो, पते की बात बतलाता हूं..... चलना तुम्हें हर कोई सिखा सकता है, पर कहां रुको यह तय करना खुद ही सीखना है। जीतना तो तुम्हें हर कोई सिखाता है, पर हार कर जीतना अपने आप से ही सीखना है। ताकत गुस्सैल ना बना दे, कायरता नपुंसक ना बना दें, यह हमें अपनी समझदारी से सीखना है। सफलता घमंडी ना बना दे, निष्फलता खुद को न डूबा दे, यह हमें अपनी चेतना से सीखना है। #patekibaat 👈 touch on this and scroll up... ☺️ {33} #सीखना सुनो, पते की बात बतलाता हूं..... चलना तुम्हें हर कोई सिखा सकता है, पर कहां रु
जयश्री_RAM
एक दिन अचानक मेरा हाथ तुम्हारी नर्म नाजुक छाती से लगा...... अनायास था इरादा नहीं था। तुमने कुछ कहा नहीं...। कुछ भी नहीं.. और बहुत देर खामोशी ओढ़ने के बाद सिर झुकाये ही बैठी रहीं ये कुछ पल अनन्तता वाले पल दोनों तरफ की व्याकुलता लिए..... सजा भी नहीं दी कहा भी नहीं शिकायत भी नहीं... अनायास पवित्रता ओढ़ ली मेरे प्रेम की ये प्यार नहीं मोहब्बत नहीं सिर्फ प्रेम था.... ©RAAM UNIJ MAURYA #निश्छलता
Pradyumn awsthi
इस दुनिया मैं जो इंसान नर्म और निर्मल स्वाभाव वाला होता है वही दुनिया में अधिक समय तक रह सकता है लेकिन जो इंसान कठोर और कड़क स्वाभाव वाला होता है वह कम समय तक ही दुनिया मैं रह पाता है इस बात का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हमारे मुंह में जीभ और दांत से समझ लीजिए जीभ नर्म होती है लेकिन दांत कड़क और कठोर होते हैं इसलिए दांत पहले ही मुंह में से गिर जाते हैं ©"pradyuman awasthi" #निर्मलता
Pradyumn awsthi
तन को निर्मल सब करें, मन को निर्मल करें ना कोई । जो मन को निर्मल करें, तो दुःख काहे को होए ©pradyuman awasthi #निर्मलता #lily
raghu rahgir
जाने किस की नज़र लग गई बहारे-चमन में, फूल तो फूल सारे पत्ते भी बिखर गए! इक शख्स मुझसे नाराज़ क्या हुआ, मेरे सारे ख्वाब ,ख्याल, ख़ुलूस भी मर गए!! ©raghu ख़ुलूस- निश्छलता #leaf
Rashmi Vats
निश्छल प्रेम जाने कितने रंगों में रंगा है प्रेम । ,प्रियसी,माँ,बहन, मित्र,अर्धांगिनी,आदि का प्रेम । हर स्वरूप में सुखद अनुभूति देता, और कुछ नही वह है केवल प्रेम। ये जग सूना है बिन प्रेम । गहनता ,निस्वार्थता,निश्छलता से निभता प्रेम । भोग की वस्तु कदापि नही, अंर्तमन से जुड़ा है प्रेम। सरल, सहजता से परिपूर्ण हो प्रेम । कपट , द्वेष, अंहकार के विपरीत है प्रेम। किसी बंधन में बांध के रखना नही, अपितु भावनाओं का जुड़ाव है प्रेम । रश्मि वत्स। मेरठ (उत्तर प्रदेश) ©Rashmi Vats #प्रेम_रचना #प्रेम #निश्चलता #पावन_प्रेम
Kuldeep KumarAUE
प्रयास न करना निर्बलता है ©Kuldeep KumarAUE #Life प्रयास न करना निर्बलता है #kuldeepkumaraue
Prashant Tiwari
जैसे कोई बूंद गगन से, वसुन्धरा पर गिरती है। स्वच्छ और निर्मल होकर वह, चांदी जैसी चमकती है।। यदि वह बूंद गिरे कीचड़ में, उसमे ही मिल जाती है। वही बूंद यदि गिरे कमल पर मोहकता को बढ़ाती है।। आत्मा की निर्मलता Nojoto Nojoto News Nojoto Hindi