मैं गई नहीं हूं!
हवाओं में गुंजायमान हूं अभी,
मैं गई नहीं हूं!
सुरों में विद्यमान हूं अभी,
मैं गई नहीं हूं!
हृदय में विराजमान हूं अभी। #कविता#LataMangeshkar
"झींगुर और क्रांतिकारी"-
हर ओर छाता है अंधेरा,
डर का साया पसारने लगता है अपने पैर।
हर आवाज़ को निर्वात में बदलने के,
किए जाते हैं प्रयास।
त #अनुभव#bestadvice