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Rajendra Prasad Pandey Kavi
"अशांति" मतभेद उभरते आपस में, हम झगड़ा करते फिरते हैं। चाह रहे शांति लेकिन, हालात और बिगड़ते हैं। क्रोध में होती बर्बादी, निशान तन -धन दिखते हैं। अमन खोजते इधर उधर, अंदर में नफ़रत रखते हैं। हम वैर भाव के मंशा से, खुद हंसी दिल्लगी करते हैं। अपने को पाक समझ करके, गैरों पर उंगली करते हैं। गैरों को नाचीज़ समझ, जज़्बात खेलते रहते हैं। जो हृदय भाव से भरना था। पत्थर रखकर हम रहते हैं। राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय कर्वी, चित्रकूट (उत्तर प्रदेश) अशांति
Parasram Arora
शांति परमात्मा के निकट पहुच जाने का नाम हैँ और अशांति परमात्मा की तरफ पीठ करके चलने क़ा नाम हैँ ©Parasram Arora शांति vs अशांति
Parasram Arora
पश्चिम भी अशांत हैं. पूराब भी लेकिन पश्चिम क़ी अशांति अलग हैं पूरब क़ी अशांति से पूरब क़ी अशांति एक गरीब क़ी अशांति हैं पश्चिम क़ी अशांति एक अमीर क़ी अशांति हैं गरीब क़ी अशांति क्या सोचती क्या मांगती हैं गरीब क़ी अशांति से मटेरियलीज़्म भौतिकवाद.पैदा होता हैं पश्चिम के अमीर क़ी अशांति से आध्यातमवाद पैदा होता हैं ©Parasram Arora अशांति के दो रूप
अज्ञानी
अशांति से शांति हम चाहते हैं शांति अशांति के द्वारा। चाहते भी हैं मोहब्बत जताना देके नफरत को बढ़ावा। एक चींटी की हिम्मत देखकर, हम भी हिम्मती बन जाते है, गरीबों को मारकर, अमीरों से मरकर हिम्मत का करते हैं दिखाबा। सहारा भी देते हैं उन्हें करके उन्हे बेसहारा फिर भी कहते हैं हम बने इंसान पर इंसानियत को नकारा #इंसानियत #अशांति #शांति #बेसहारा #yqdidi #yqbaba
Pallavi Mishra
आज के हालात पर एक ग़ज़ल... नफ़रत की आग जलने लगी तेरे शह्र में ये बात आज खलने लगी तेरे शह्र में जो आश्ना थे कल मिरे सब गुम कहाँ हुए हिजरत की चाह पलने लगी तेरे शह्र में मरने का मारने का ये क्या दौर आ गया जीने की आस टलने लगी तेरे शह्र में मेरा यहाँ से ठोर-ठिकाना उजड़ गया आँधी अजीब चलने लगी तेरे शह्र में क़ुदरत ख़फ़ा हुई न कहीं लाए ज़लज़ला करवट ज़मीं बदलने लगी तेरे शह्र में काली घटा की क़ैद में वो कब तलक रहे अब चाँदनी मचलने लगी तेरे शह्र में हर दिल में कौन भरने लगा दुश्मनी 'शिखा' शफ़क़त भी हाथ मलने लगी तेरे शह्र में ©Pallavi Mishra #नफ़रत#युद्व#war#अशांति #तबाही#विनाश
Ek villain
देश के कई पूर्वोत्तर राज्यों के बीच अपनी सीमा विवाद लंबे समय से जारी है विवाद हो रहे असम और मेघालय राज्य के आठ से 84 किलोमीटर की सीमा में कुछ 12 स्थान विवादित है जिनमें से 6 गांव का समझौता हो गया जिन क्षेत्रों का समझौता हुआ है उस हिसाब से देखा जाए तो लगभग 70% सी महिला का विवाद मुक्त हो गया इस गृह मंत्री ने उम्मीद जताई है कि शेष छह स्थानों का विवाद में जल्दी सुलझ जाएगा गृह मंत्री अमित शाह के पद संभालने के बाद पूर्व राज्य में कई विवाद के स्थाई समाधान निकालने की जरूरत थी तेजी इससे पहले अगस्त 2019 में तेरी बुद्धि में नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा एनएलएफटी के साथ समझौता पर हस्ताक्षर किए गए इसके बाद 23 जनवरी 2020 को ब्रू रिंग शरणार्थियों के लिए दो 23 वर्ष पुराने विवाद को समाप्त करने के लिए समझौता किया गया इसके 4 दिन बाद 27 जनवरी 2020 को इंग्लैंड के 50 वर्ष पूरे विवाद को खत्म करने में सफलता हासिल 4 दिसंबर 2021 को कार्विंग समुद्र देने में कार्य क्षेत्र में चल रहा विवाद समाप्त हो गया है ©Ek villain #अशांति की राह पर अग्रसर पूर्वोत्तर #VantinesDay
Nilesh kushwaha
भगवान शांति छोड़ अशांति का हथियार बन गया ईस कदर जो पूरा देश,धर्मवाद से बीमार बन गया। #NojotoQuote #भगवान शांति छोड़ अशांति का हथियार बन गया
NEERAJ SIINGH
क्या पुरुष वहशी है ये आरोप उसपर हमेशा लगते आये है कि सेक्स के लिए वो वहशी है जबकि ऐसा नही है वो भी सिर्फ प्रेम और शांति ही चाहता है नही मिली तो उद्विग्न होगया , और स्त्री सिर्फ प्रेम चाहती हैं क्योंकि शांति वो खुद है वही अगर अशांति हो गई तो सब कुछ अशांति हो गया ना , अब वो क्या चाहती है वो कहेगी नही और घुमाती रहेगी और इतना घुमाएगी की पुरूष की धनिया बो जाएगी तरह तरह की प्रताड़ना देगी आप समझ भी नही पाओगे , फिर कहेगी ये सबका दोषी पुरुष है जबकि इसकी दोषी अशांति है तो अशांति फैलाई क्यों , जब रायता फैल गया तो समेटे कौन पुरूष क्योंकि उसके पास कोई चारा नही है तो बेचारा कहता है शांत रहो शांत रहो , पर नही वो तो अशांति फैला रही है ना कैसे शांत होगी पर कभी बैठो समझो तो समझेगी बड़ी देर बाद ,पता नही क्यो ? अब स्त्रियाँ लड़ने ना आ जाना 😂😂😂 #neerajwrites अशांति तो मत फैलाओ कम से कम
Sanket Rastogi
: किसी भी प्रकार की चिंता करना, मन को अशांत रखना और व्यर्थ के भय को पालते रहने से मृत्यु आसपास ही मंडराने लगती है। मौत तो सभी को आनी है फिर चिंता किस बात की। कोई पहले मरेगा और कोई बाद में। चिंता का मुख्य कारण मोह है। जेलखान, दावाखाना या पागलखाना वह व्यक्ति जाता है जिसने धर्मसम्मत या संयमित जीवन नहीं जिया। बहुत महात्वाकांशी है या जिसने धन और शक्ति के आधार पर रिश्ते बना रखे हैं या जिसे अपनी संपत्ति की सुरक्षा की चिंता है। चिंत्तामुक्त जीवन सबसे बड़ी दौलत है। भय से हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। ©Sanket Rastogi चिंता, भय और अशांति है मृत्यु का द्वार #story