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Urvashi Kapoor
कटीली झाड़ियों पर ठहरी हुई बारिश की बूंदों ने बस यही बताया है.... पत्तों ने साथ छोड़ दिया तो क्या रब ने तुझे मोतियों से सजाया है...! ©Urvashi Kapoor #कटीली झाड़ियों पर ठहरी हुई बारिश की बूंदे.... #darkness
Deepak Aggarwal
वो #जंगलों और #झाड़ियों में सो #जाते हैं ताकि हम #घरों में #आराम से सो #सके। Indian Army 🙏🏼😍 Jai Hind 🇮🇳🇮🇳❤️ Ram Ram s
Vandana
एक नदी को प्रेम हो गया था सूखे निर्जर कटीली झाड़ियों से युक्त मरुस्थल रेत में बड़े-बड़े टीलों से,,,, एक नदी को प्रेम हो गया था सूखे इन निर्जर कटीली झाड़ियों से युक्त मरुस्थल स्थान से वहाँ बहना चाहती थी,,,, वहाँ की प्यास बुझाना चाहती थी,,,, ह
Raj 94myfm
Vandana
आज भी तेरी तस्वीर देख कर धड़कने बढ़ जाया करती हैं आज भी तेरी खामोशी सौ सवाल पूछा करती हैं,,,,, आज भी तेरी तस्वीर देख कर धड़कने बढ़ जाया करती हैं आज भी तेरी खामोशी सौ सवाल पूछा करती हैं,,,, मालूम है तू घिरा है कई परेशानियों में जिंदगी
Vandana
यह तेरा घर यह मेरा घर किसी को देखना हो अगर आकर मांग ले मुझसे मेरी नजर तेरी नजर बचपन में कभी प्रकृति के पास खेलते खेलते जंगल में झाड़ियों में घूमते घूमते पत्तों से घास फूस से छोटी-छोटी टहनियों से घर बना दिया करते थे वह
Nisheeth pandey
अतीत की कटीली पहाड़ों से कर्म पथ का मार्ग फिर उतर आया -चुपचाप समेटे हुए केशरिया प्रकाश सा बचपन से मैंने देखा है पहाड़ों सा दुर्लभ यात्रा कभी चढ़ते कभी उतरते हुए कभी चट्टानों की ठोकर, कभी पेड़ों की छावनी, कभी झाड़ियों की उलझन, कभी रेत में धसना चलना , पर रुका नहीं थमा नहीं , गुजरता रहा , टकराकर शोर करता रहा अपना आवेग खोकर हानिरहित होता रहा , स्वच्छ जल सा होकर प्यासे के अंजुलि में खुद को भरकर पिलाया अमृत जैसा तब भी वो सोचा नहीं जल की शीतलता और महत्व उसकी आकांक्षाओं को पहाड़ों से गिरते जल धार को बस स्वार्थ सिद्धि के इमारतों को खड़े करते रहें मुझे वृक्षों के जंगल गुमराह करते रहें पर स्वम में दृढ़ता संकल्प खंडित हुआ नहीं मानव जीवन में विनाश नहीं सुख सम्पत्ति हेतु संघर्ष तत्पर रहें ..... _ #निशीथ (ˇˍˇ) ©Nisheeth pandey अतीत की कटीली पहाड़ों से कर्म पथ का मार्ग फिर उतर आया -चुपचाप समेटे हुए केशरिया प्रकाश सा बचपन से मैंने देखा है
Pnkj Dixit
#OpenPoetry 🌷नारी 🌷 नारी को पश्चिमी हवा सींच रही है भारतीय संस्कृति का दम भींच रही है । मादक पदार्थों का सेवन कर करके कलयुगी नारी जीवन को खींच रही है ।। मनमर्जी का परिधान पहनकर छोटे-छोटे कपडों मे इठलाती है । आजादी संवैधानिक अधिकार बताकर ,नंगेपन पर रीझ रही है ।। जब से आजादी पायी है घर से बचकर भाग रही है । अंधी चाहत में इतना खोई नंगी होकर नाच रही है ।। माता - पिता का कहना ना माने वात्सल्य ममता को प्यार ना जाने । झाड़ियों क्लबों वाला प्यार ही जाने अंधी चाहत में नारी नीच बन रही है ।। क्या फूहड़पन नग्नता पश्चिमी संस्कृती का साया है । टीवी , मोबाइल , फैशन शो ने बच्चों को भरमाया है । नारी संस्कारों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ा रही है । सिगरेट शराब गुटखे के सेवन से खुद को उड़ा रही है ।। १९/०७/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷नारी 🌷 नारी को पश्चिमी हवा सींच रही है भारतीय संस्कृति का दम भींच रही है । मादक पदार्थों का सेवन कर करके कलयुगी नारी जीवन को खी
Rajeshwari Thendapani
सफलता की राह सफलता का मार्ग सीधा नहीं है, विफलता नामक एक वक्र है, एक लूप जिसे भ्रम कहा जाता है, गति-कूबड़ दोस्तों, लाल बत्ती दुश्मन कहा जाता है