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ARVIND KUMAR KASHYAP
जंगल - जंगल विविध स्थानों पर भ्रमण करते हुए राम ने दक्षिण भारत के पंचवटी नामक स्थान पर पर्णकुटी बनाकर रहने लगे। एकदिन एक सुंदर स्त्री राम प्रभु के पास आई और बोली -" है अति सुन्दर युवक! तुम कौन हो? मैं लंकापति रावण की बहन शूर्पणखा हूं। मैं तुमसे विवाह करना चाहती हूं।" उसकी बात सुनकर राम प्रभु ने सीता जी के तरफ इशारा करके कहा -" मैं तो विवाहित हूं। यहां वन में पत्नी के साथ रहता हूं।मेरा भाई जो वहां बैठा है ,वह अकेला है। तुम निःसंकोच उससे अपनी मन की बात कहो।" शूर्पणखा लक्ष्मण के पास पहूंची और विवाह का प्रस्ताव उनके साथ भी रखा। लक्ष्मण ने शूर्पणखा से कहा कि स्वामी के रहते एक दास अपना विवाह कैसे कर सकता है।वह तो दास है अपने भैया के सेवा में समर्पित है। लक्ष्मण की बात सुनकर शूर्पणखा को क्रोध आ गया।वह अपने असली राक्षसी रुप में आकर सीता पर झपटी तो लक्ष्मण ने कटार से उसकी नाक काट डाली। शूर्पणखा रोती- कलपती अपने भाईयों कर और दूषण के पास पहूंची तथा उनसे अपनी व्यथा - कथा सुनाई।इसपर खर- दूषण एक भारी दैत्य सेना लेकर आए।पर राम - लक्ष्मण ने उन सभी को यमलोक पहुंचा दिया। ©ARVIND KUMAR KASHYAP #lonelynight रावण की बहन शूर्पणखा की विवाह प्रस्ताव
abhisri095
लूट ली गई है आबरू अब बस दफ़नाना बाकि है राम को तो कबका निबटा आये कहने को दशहरा मनाना बाकि है... #आज का रावण#कलयुगी रावण..
Dharaggn
स्वयं की बुराइयों को अपनी श्रेष्ठता समझना ही अंदर के रावण की पहचान है। अंदर का रावण
रफीक किशनगढी
हर साल दशहरा का प्रतीक खड़ा कर देते हैं। रावण की हर बात बढ़ा-चढ़ा कर देते हैं। राम का तो क़द वही रखते हैं रफ़ीक़। पर रावण का क़द हर साल बड़ा कर देते हैं। रावण का क़द।
✍️kumar ramesh💘
अरे ओ.. रावण जलाने वालो.. कभी मन का रावण भी जला लो ।। रावण जैसे तो हम बन नही सकते,, बहन बेटी की इज़्ज़त की रखवाली ,हम कर नही सकते ।। दुसरो की बहन बेटियों को देखकर,, उनपर हम गंदे वाक्यांश है कसते ।। अरे ओ ..राम का दिखावा करने वालों.. कभी रावण के भी शिष्टाचार अपना लो ।। परस्त्री का अपहरण करके भी,, उसने उसको स्पर्श तक नही किया ।। अपनी बहन की इज़्ज़त जाने के बदले में,, अपने पूरे कुटुंब का नाश करवा लिया ।। अरे ओ.. रावण पर कीचड़ उछालने वालो.. कभी खुद को भी रावण बना लो ।। अरे ओ.. रावण जलाने वालो.. कभी मन का रावण भी जला लो ।। मन का रावण
Vivek Singh rajawat
"रावण संवाद" कह दो राम से रावण पुनः वापस आया हैं, तब एक था,अब हर घर मे छाया हैं, मर के भी पुनः दशानन आया हैं, इस कलियुग में तुझे समझाने आया हैं, सतयुग में होंगे तुम मर्यादा परुषोत्तम राम, कलियुग में काल सौगंध न होगा अब विराम, कह दो राम से रावण पुनः वापस आया हैं, तेरे शर से आघात हुआ, मृत्यु को मैं प्राप्त हुआ, फिर पुनः कलियुग में भयंकर मैं व्याप्त हुआ, कहीं पुत्र बन अपने माँ-बाप को सताया, तो कहीं पति बन पत्नी पर जोर जताया, तब एक अपहरण कर मृत्यु को पाया, अब अनगिनत अपहरण कर भी जोर दिखाया, कह दो राम से रावण पुनः वापस आया हैं, छल कपट का ये कलयुगी सम्राज्य बनाया, इस बार कोई विभीषण न होगा, जिसने मेरा भेद बताया, मृत्यु के भय को भी भयंकर भयभीत किया, लंकापति की उपाधि से खुद को पुनः मनोनीत किया, अबकी जो ये नाश बढेगा चाह कर भी तू न रोक सकेगा, तेरे शर में वो शक्ति नही जो मुझको तू रोक सकेगा, कह दो राम से रावण पुनः वापस आया हैं, तब तू वास्तविक था,तेरे सत्य पुरुषत्व से मैं घबराया, अब तेरे भेष में अज्ञानी मनुष्य ने खुद को राम बतलाया, मैं जल रहा फिर भी असमंजस में सोच रहा था, मैं मेरा जलता शरीर तुझे ही इस कलियुग में खोज रहा था, कह दो राम से रावण पुनः वापस आया हैं, तब एक था अब हर घर मे छाया हैं। धन्यवाद। विवेक सिंह राजावत। रावण का संवाद
Ganesh Din Pal
रावण- मैं तो कब का मर गया! बच्चा - आपको हर साल यह लोग क्यों मारते हैं? रावण- बेटा ये इंसान है। इन्हें गड़े मुर्दे उखाड़ना पसंद है। ©Ganesh Din Pal #रावण का वक्तव्य