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Dinesh Sharma Dinesh
N S Yadav GoldMine
शरभंग ऋषि का श्रीराम से मिलन व मुक्ति पाना आइये जानते हैं, उस अद्भुत पल के बारें में !! 💪💪 {Bolo Ji Radhey Radhey} शरभंग ऋषि का श्रीराम से मिलन :- 🌄 शरभंग ऋषि एक महान तपस्वी थे जिन्होंने अपने तपोबल से कई दिव्य लोक प्राप्त कर लिए थे। वे दक्षिण भारत के दंडकारण्य के वनों में रहते थे। तपस्या करते-करते अब वे वृद्धावस्था में पहुँच गये थे। जब उनके शरीर के त्याग का समय निकट आ चुका था तभी उनकी श्रीराम से भेंट हुई थी जिससे उनका जीवन सफल हो गया था। भगवान श्रीराम अत्री मुनि के आश्रम से गये शरभंग मुनि के आश्रम :- 🌄 जब भगवान श्रीराम अपने 14 वर्षों के वनवास में दंडकारण्य के वन में पहुंचे तो वे महर्षि अत्री व माता अनुसूया के आश्रम गए। वहां उनसे भेंट के बाद महर्षि अत्री ने उन्हें बताया कि अब वे आगे जाकर शरभंग ऋषि से मिले क्योंकि उनके जीवन का अंत समय निकट आ गया हैं। इसलिये वे उनकी प्रतीक्षा कर रहे है। महर्षि अत्री से आज्ञा पाकर श्रीराम माता सीता व लक्ष्मण के साथ शरभंग ऋषि के आश्रम के लिए निकल पड़े। शरभंग ऋषि ने देव इंद्र का प्रस्ताव ठुकराया :-🌄 जब भगवान श्रीराम शरभंग ऋषि के आश्रम के मार्ग पर थे तभी देव इंद्र आकाश मार्ग से अपने विमान में शरभंग ऋषि की कुटिया में पहुंचे व उन्हें बताया कि अब उनके प्राण त्यागने का समय आ चुका है। इसलिये वे उनके साथ इंद्र लोक चले किंतु शरभंग ऋषि अपनी दिव्य दृष्टि से प्रभु श्रीराम को अपने आश्रम की ओर आता देख चुके थे। इसलिये उन्होंने देव इंद्र के प्रस्ताव को ठुकरा दिया व कहा कि वे स्वयं अपनी इच्छा से अपने प्राणों को त्याग देंगे। ऋषि शरभंग से यह आदेश पाकर इंद्र वापस अपने धाम को लौट गए. प्रभु श्रीराम व ऋषि शरभंग की भेंट :- 🌄 इसके बाद जब प्रभु श्रीराम ऋषि शरभंग के आश्रम पहुंचे तो मानों एक भक्त का जीवन सफल हो गया। ऋषि शरभंग ने स्वयं भगवान विष्णु का इस पृथ्वी लोक पर मानव रूप में दर्शन कर लिया था जो उनके लिए किसी भी लोक को प्राप्त करने से बेहतर था। श्रीराम के दर्शन के बाद ऋषि शरभंग ने अपनी देह का त्याग कर दिया व प्रभु विष्णु के लोक में चले गए। ©N S Yadav GoldMine #standout शरभंग ऋषि का श्रीराम से मिलन व मुक्ति पाना आइये जानते हैं, उस अद्भुत पल के बारें में !! 💪💪 {Bolo Ji Radhey Radhey} शरभंग ऋषि का श्
Rashmi Hule
मनातील विचारांचे काहूर जणु सागराच्या फेसाळत्या लाटा... परतुन देतात धडका शोधती जणु मुक्तीच्या वाटा... कधी होतात काव्य, कधी वाटे आकाशीच्या तारका,बहरती कधी फुलासम, तर कधी रुते पायी काटा... सुप्रभात माझ्या मित्र आणि मैत्रिणीनों आज अलंकारा मध्ये आपण दुसरा प्रकार बघणार आहोत. तो आहे उत्प्रेक्षा अलंकार. २) उत्प्रेक्षा:- उत्प्रेक्षा
yogesh atmaram ambawale
ओरडते,रागावते,चिडते काही क्षणात पुन्हा प्रेमाने वागते. माझ्या माय वर माझे खूप प्रेम आहे, माझी माय जणू दुधावरची साय आहे. पाहिले नाही कधी भगवंतास ते कसे आहेत पण वाटे मनास, पृथ्वीतलावरील देव म्हणजे माझी माय आहे. सुप्रभात माझ्या मित्र आणि मैत्रिणीनों आज अलंकारा मध्ये आपण दुसरा प्रकार बघणार आहोत. तो आहे उत्प्रेक्षा अलंकार. २) उत्प्रेक्षा:- उत्प्रेक्षा
Jaydeep Yadav
कृपया पुरा पढें 🕯🕯 #अधूरा_ज्ञान_खतरनाक_होता_है। 33 करोड़ नहीं 33 कोटि देवी देवता हैं हिंदू धर्म में ; कोटि = प्रकार । देवभाषा संस्कृत में