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Ek villain
गणतंत्र दिवस राष्ट्रीय की आराधना का पर्व है भूखंड उस पर रहने वाले लोग वहां की सभ्यता और संस्कृति मिलाकर किसी राष्ट्र का निर्माण करती है परंतु राष्ट्र की वास्तविकता पहचान देश के नागरिकों से होती है जिस देश में नागरिक जागृत होकर देश के लोग सेम का ज्ञान रखते हैं उसी देश की एकता और अखंडता को कभी खतरा नहीं हो सकता गणतंत्र की सफलता के लिए राष्ट्रीय में विवेकपूर्ण जन भागीदारी आवश्यक है जिनमें बच्चे सच्ची राष्ट्रभक्ति हो और जिनके चिंतन कुछ स्वास्थ्य के लिए नहीं बल्कि राष्ट्रीय मंगल के लिए हो इसे राष्ट्रीय की सुप्रो की रक्षा कर बाहर केवल सैनिकों पर नहीं बल्कि सभी नागरिकों पर होता है जब देश का हर नागरिक परिहार होगा तभी सच्चे अर्थ में राष्ट्र की अवधारणा होगी उधर वेद में कहा गया कि वह राष्ट्रीय जागरण आया था धाम रास्ते के लिए सदा जागृत रहे संत स्वामी रामतीर्थ कहते हैं कन्याकुमारी मेरे चरण हिमालय मेरे मस्तिक मेरे के से गंगा निकलती है विद्यांचल मेरे मिला है पूर्व पश्चिम जाएं तथा और मंडल एवं मालवा में संपूर्ण भारत हूं वास्तव में राष्ट्रीय धर्म सबसे बड़ा धर्म है और ईश्वर की सबसे बड़ी उपासना करना हमारे कोई भी कार्य शुरू नहीं होगा तब हम राष्ट्रीय उपासक हो सकते हैं किसी ने श्री अरविंदो से पूछा देशभक्ति कैसे बना जा सकता है तब उन्होंने भारत के मानचित्र की ओर इशारा करते हुए उत्तर दिया यह मानचित्र नहीं साक्षत भारत माता है यदि गांव नगर नदी पर्वत वन उपवन इनका शरीर है तो यहां रहने वाले लोग इनकी जीवन आत्मा इसकी आराधना नवधा भक्ति से होती है राष्ट्रीय इसके अभी वर्धन और उसकी आत्मा को चरित स्थान रखकर भारत रत्न भाव से चलना पड़ता है ©Ek villain # राष्ट्रीय की आराधना #RepublicDay
Ek villain
मेरे पर लता का अर्थ यही है कि जीवन में कैसी परिस्थितियां हैं हमें अपने अंतर्मन को संतुलित रखना चाहिए प्रत्येक दशा में हमें स्वयं को विचलित होने से बचाना चाहिए यह तभी संभव है जब हम केवल कर्म में रुचि रखें एवं कर्म फल की ओर से अपना ध्यान बिल्कुल हटा लें जब तक हम ©Ek villain #girl भगवान की आराधना करें
Ek villain
वसंत पंचमी के दिन वाग्देवी की आराधना हर्षोल्लास से की जाती है यह आराधना पार अपार विद्या की अधिष्ठात्री वेद में भगवती शारदा का वर्णन करते हुए कहा गया है कि प्राणों देवी सरस्वती भारतीय परम चिंतन है सरस्वती के रूप में यह हमारी बुद्धि प्रज्ञा मनोवृति के संरक्षक है हम में जो आचरण और मेघ है उसका आधार भगवती सरस्वती ही है देवी भागवत पुराण के अनुसार माघ शुल्क पक्ष की पंचमी को मां शारदे मानव की डीहा प्रवास कर अपना आशीर्वाद प्राणी मात्र को प्रदान करती है विद्वानों का कहना है कि जो मन सैनिकों के लिए विजयदशमी का है व्यापारिक के लिए लक्ष्मी पूजन का है वही स्थान विद्या आरंभ होते ही उत्सुक बालक बालिका कवि नाटककार का गायकवादी का नित्य एवं समाज के लिए सरस्वती की आराधना उपासना कहां है उसको वाग्देवी शारदा भवानी देवी बागेश्वर भगवती आदि नामों से जानने और पुकारे जाते हैं माता सीता को खोजते खोजते बसंत पंचमी के ही दिन श्री राम और लक्ष्मण माता शबरी के आश्रम में पधारे थे रिद्धि ने अपने पति कामदेव को पुनर्जीवित करने के लिए 40 दिवस कठोर तपस्या की जिससे पद से प्रसन्न होकर महादेव ने बसंत पंचमी के दिन ही रहती के कामदेव को प्रणाम मात्र के मन में आना ग्रुप में सदैव उपस्थित रहने का वरदान देकर आज अमर कर दिया इस दिवस पीले वस्त्र एवं पूर्व का विशेष महत्व होता है यह समृद्ध सूचक और मंगलकारी माना जाता है हल्दी से सरस्वती पूजा एवं उसी का तिलक लगाने का विधान है घरों में पीले व मिठाई के सर के साथ पके चावल खाने का संचरण कुछ राज्यों में देखने को मिलता है इस पवित्र दिवस में सरस्वती पूजा की विधि विधान से करने से अभिव्यक्त फल की प्राप्ति शास्त्रों में वर्णित मिलती है ©Ek villain #वाग्देवी की आराधना माता सरस्वती #proposeday
Parasram Arora
मैं देखता हूँ ज़ब भी धरती को शिखर से और शिखर से धरती को मेरी योग साधना आररम्भ हो जाती है ज़ब भी मैं देखता हूं मन को शरीर से और शरीर को मन से .. और ज़ब शरीर मन से जुड़ने लगता है तब मेरी ध्यान साधना शुरू हो जाती है ज़ब भी मेरे दुख मे सुख की आवक होती है या फिर सुख मे दुख की दस्तक होने लगती है तब मेरी इच्छा स्थित प्रग्यता को साधने की हो जाती है हर पल ज़ब याद "उसकी " बनी रहती हैऔर हर कंण मे "उसकी " उपस्तिथि. महसूस होने लगती है तब ये भक्ति भाव मे की गई प्रार्थना मेरी पुकार बन कर ईश्वर का आवाहन करने लगतीं है ©Parasram Arora आराधना......
Bhumi Saini
सब भूल जाऊ ईश्वर मुझे तेरे सिवाय कुछ याद ना हो... सुबह हो या शाम इन होठों पर बस तेरी आराधना हो... ©Bhumi Saini आराधना