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Parasram Arora
जब कभी मेरा मन होगा रोने को मै चला आऊंगा तुम्हारे निकट और तुम्हारे आँचल मे दुबक जाऊंगा जहाँ तुम्हारा धड़कता हुआ जीवंत ह्रदय मुझे सांत्वना का ताप देकर मेरी बर्फीली ठोस संवेदनाओ को तरलता दे सकेगा तब शायद जीवन मेरा स्वछंद गति से बह पायेगा स्वछंदता.........
Parasram Arora
मेरी उड़ाने प्रतिबंदित नहीं है मेरे पंखो को पूरा हक है जहाँ चाहे मुझे उड़ा ले जाय मऊ आज़ाद ख्याल स्वछंद परिंदा हूँ न मुझे कोई बंधन पसंद है न मै किसी की आज़ादी को बांधना पसंद करता हूँ स्वछंदता.........
Parasram Arora
क्यों न इस प्रेम को...... बांध कर रखा लू द्वार दरवाज़े बंद कर दू ये प्रेम का झोंका यु व्यर्थ निकल न जाए हथकडिया डाल दू या बेड़िया पहना दू या फिर तालो मे जड़ दू ये प्रेम ब मुश्किल तो आया हैँ कितना पुकारा तब कहीं आया हैँ पर ये न कभी पुकारने से आया और ये न कभी रोकने से रूक पायेगा ये आता हैँ अपने से तो अपने से ही जाएगा हवा का झोंका हैँ प्रेम कब आया कब गया पता कहा चल पाता हैँ प्रेम की स्वछंदता
rj_rohit
ये गीत है मन का मीत मेरे कोई बिन मतलब का शोर नहीं, हम अपनी धुन के हैं मस्ताने हम पर किसी का जोर नहीं हम चुप बैठे हैं जग के कोलाहल में मगर बाजुएं कमजोर नहीं, हो तानाशाही किसी के हक पर ये हरगिज हमें मंजूर नहीं, सबको दे दे न्याय हमेशा ये दुनिया का दस्तूर नहीं, जो अपनी सोचे औरों के ऊपर हम इतने भी मगरूर नहीं, छाए हैं बादल नभ में लेकिन हुए अभी घनघोर नहीं, ये गीत है मन का मीत मेरे कोई बिन मतलब का शोर नहीं, कोई बिना मतलब का शोर नहीं।। -rj_rohit #Silence #rj_series #स्वछन्द
Sunita D Prasad
#उसने कहा- ९ उसने कहा, "यही प्रेम है..।" मैंने.. मान लिया..। उसने कहा, "प्रेम एक बंधन है..।" मैंने बँधना.. स्वीकार लिया। उसने कहा, "पर,प्रेम में.. स्वछंदता भी आवश्यक है।" मैंने.. अपने पंख खोल दिए। --सुनीता डी प्रसाद💐 #उसने कहा-९ उसने कहा, "यही प्रेम है..।" मैंने.. मान लिया..। उसने कहा,
LJ
NEERAJ SIINGH
नीरज , तुम और तुम्हारे लेख किसी मैथुन से कम नहीं , जरूरी नही सिर्फ शारीरिक मैथुन ही हो वो छड़िक है , पर विचारों का मैथुन , जो शब्दो का मैथुन , और भावों का मैथुन , भी तो आखिर विचारों का आदान प्रदान हुआ ना , क्या जरूरी है ,कोई तन छुए तो कोई छूता है ,नही जो मन को छूता हैं वह छूता है अपने पवित्र विचारों से जो , एक नई सोच , एक नए विचार ,एक नए समाज को जन्म दें ,वो जो केवल प्रेम ही प्रेम और शांति का पर्याय बने , वो ही नीरज (लेख है) जो प्रेम को उभार के रख दें और मन मे समा जाए — % & #neerajwrites (18+ content on image पर लेख के भावों की स्वतंत्रता के लिए और संस्कृति को समझने के लिए लिखना जरूरी है ) किसी के भावों को ठेस प
Suman meaun
Abhishek Mishra
वो सागर की एक छोटी सी बूँद कितनी प्यासी सी रहती अथाह समुद्र में विचरण कर आती मीठे पानी को फिर भी तरस जाती वो गुलाब के साथ खिला हुआ काँटा कि