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HANAMANT YADAV (कवीराज)
आरोग्यम.... अभंग सांडा रे सर्वदा। व्यसनांची संगती। तेने अरोग्य वृद्धी। होतअसे ।। ध्रु।। धूम्रपान सेवन। नरकची जीवन। बलाचेनी हवन। देहामाजी ।।१।। अम्ल भेदी रे जीवा। तंबाखू चूर्ण मावा। स्मशानाचिये गावा । नेतअसे ।।२।। विनवी कविराज। जोडोनिया हे कर। वाचवा देहमंदिर। सर्वदा हे ।।३।। कविराज ८६९८८४५२५३ अरोग्य हेच धन...
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी अंदाज हम जीवन में अपने खुद के लगा लेते है सीमित सोच बनाकर अहंकार की प्रवर्ती बना लेते है कई रहस्य छिपे है ब्रम्हाण्ड में पोषित जीवन काल तक करते है हवा पानी चाँद सूरज जरा गुल हो जाये हाहाकार धरती के प्राणी करते है धन संपदा तो ऊपरी आवरण है भौतिकता के आविष्कार कर खुशहाल जीवन नही कर सकते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #mountain धन संपदा तो ऊपरी आवरण है #nojotohindi
Guruwanshu
कभी शंख तो, कभी थाली बजाली, धन्य है देश मेरा, जिसने दर्द में भी दीवाली मना ली। शुभम करोति कल्याणं, आरोग्यं धन संपदाम्। शत्रु बुद्धि विनाशाय, दीपं ज्योति नमोस्तुते।। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ अतार्थ : शुभ और कल्याण
Ek villain
गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि संसार में दो प्रकार के मनुष्य पाए जाते हैं एक देवी संपदा से संपन्न और दूसरा आसुरी संपदा वाले ब्रह्म दृष्टि से दो समान होते हैं पर इनमें स्वभाव आगत अंतर पाया जाता है देवी संपदा से संपन्न व्यक्ति आप भी अंत करण की शुद्धी स्वाध्याय सरलता सत्य क्रोध त्याग दया आदि गुणों से संपन्न होता है वही सब के हित में सुबह का जीवन समर्पित कर देता है जबकि उसके विपरीत साहित्य विषय भोग और अन्य पूर्वक संचालन की का मान रखने वाले अधूरी स्वभाव वाले होते हैं वह स्वयं के अहित के साथ दूसरों का भी अहित करते हैं जैसे एक आलू भूमि में स्वयं को समर्पित कर अनेक आलू के उत्पाद धन का कारण बनता है जबकि दूसरा सरकार अपने आसपास अन्य लोगों को भी थोड़ा देता है ठीक वैसे ही देवी संपदा वाले व्यक्ति अपने कृत्यों से दूर के अध्ययनों का आधार बनते हैं जबकि असुरी संपत्ति वाले दूसरों के विनाश का कारण बनते हैं ©Ek villain #देवी संपदा #Navraatra
Pushpendra Singh Rajput
तुम्हारी मेहंदी का गाढ़ा रंग चूडियों की खन-खन पायलों की छन-छन महावर के लाल-लाल घेरे बिंदी सिंदूर कुंडल, सब प्रसाधन सौंदर्य के ये तो सब तुम्हारे साथ दहेज में जा चुके थे "किसी और" के हिस्से में मेरे पास तो सिर्फ रह गयी थी तुम्हारी तस्वीरें सूना आँगन कमरे का खालीपन सीढियों पर मौन धारे बैठी उदासी बेरंग सी बगिया और मुझसे लड़ती मेरी अंतरात्मा के,कुछ हिस्से जो अब टूट चुके हैं यही अब मेरी संपदा है यही मेरी विरासत है P. S. Rajput तुम्हारे प्रेम की संपदा #shadesoflife
khushi rani