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Tausif Kazi
कम ना आखों प्यादे को, एक दिन वज़ीर वो बन जाएगा, राजा तो कठपुतलिसा बस एक घर ही चल पाएगा। शतरंज #शतरंज #shatranj
आपका अरविंद
शतरंज सी ज़िन्दगी में कौन किसका मोहरा है। इंसान एक है मग़र, क़िरदार सबका दोहरा है।। शतरंज
Ajay Keshari
शतरंज की बिसात पर, मोहरे तरह-तरह के.. हर मोहरे की चाल, होती अज़ब गज़ब है.. मार करे कोई सीधे चल के, कोई ढाई चाल चले.. कोई दाएं बाएं मारे, कोई आड़े-तिरछे.. कोई तो हर ओर से मारे, कोई चलता एक ही चाल.. चाल मगर सब चलते अपने, यही तो है शतरंज बिसात.. कौन बड़ा है कौन है छोटा, सीमाएं नही बांधी है, राजा से प्यादा लड़ जाता, खेल बड़ा रोचक है.. एक एक घर बढ़ते बढ़ते, प्यादा राजा बन जाता है.. चाल पर चलते चाल सभी है, यही तो है शतरंज की चाल.. #अजय57 #शतरंज
vishal raghuvanshi
गैरों पे क्या करूं भरोसा हर दिल में है मैल, अपने अपनों से खेल रहे है शतरंज का खेल ~ Vishal शतरंज
संजय श्रीवास्तव
शह मात का खेल शतरंज मे ही अच्छा है ! वरना जिंदगी मे कहां कभी सच्चा है ! कितनी बार तुमने मुझे मात किया है ! इसी खेल मे तमाम सिपाही घोड़े उंट हाथी यहां तक वजीर जिंदा थे ! मगर वो सब मेरी चाल पर शर्मिंदा थे ! उन्हें पता था मै जीतने के लिये नहीं हारने के लिये चाल चला था ! पर तुम्हारी जीत मे ही तो समाहित थी मेरी जीत ! मेरी हर मात से गहरी हुई थी प्रीत।! जब जब जीत की खुशी तुम्हारे चेहरे पर दमकती थी ! यकीन मानो मेरी भुजायें फड़कती थी ! पर शतरंज जैसी जिंदगी के चाल अजीब होते है ! वही मात देता है जो सबसे करीब होते हैं! इसी डर ने तो मुझे वो चाल चलाया और जिंदगी की शतरंज मे तुम्हें मै जीत कर पाया ! शतरंज
Ajay Keshari
शतरंज की बिसात के, मोहरे सभी हम है यहां.! वो चलता चाल हर, हर चाल पे बढ़ते घर हैं हम.! सह दे कभी मात दे, उलझा दे कभी जिंदगी.! चाल पर ही चाल चल, हर चाल पर दे मात वह.! जीत पर खुशियां मिले, हारे तो आंसू आंख में.! जिंदगी का रंग सब, शतरंज की बिसात पे.! #अजय57 #शतरंज
@Japee Artist
मुझे शतरंज बहुत पसन्द है क्योंकि इसका एक नियम मुझे बहुत ही अच्छा लगता है चाल कोई भी चले मगर.. अपने कभी अपनों को नहीं मारते। शतरंज...
Parasram Arora
जीवन के शतरंज मे मैं हारता रहा सदा वजीरो से लेकिन मासूम प्यादो से पराजय पाकर मैं शर्मसार हुआ हूं मैंने तो हमेशा आदम होने का हक माँगा था आखिर मैं ओकात अपनी कब तक नापता रहू वो लटटू और वो झुनझुना मैंने सहेज कर अब तक संभाल रखा iहै . उन्हे कभी कभी देख कर बचपन अपना दुबारा जी लेता हूं ज़ब भी देख लेता हूं कोई बूढ़ा चेहरा मैं भी आने वाले वक़्त का अंदाज़ लगा लेता हूं कई बार फितरत ने गिराया भी है उठाया भी है मर मर के कर भी फिर से जी लेता हूं ©Parasram Arora शतरंज.....