महाप्रलय सत्संग 1954 बाबा जय गुरुदेव के प्रवचन #पौराणिककथा
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एक शेतकरी बिब्या
कवितेचे शिर्षक
*महाप्रलय*
कसं लिहावं
या थरथरत्या हातांनी
मन सुन्न झालंय..
कवि_बिभीषण गिरी,जागजी
(उस्मानाबाद)
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shalini jha
यह बाँध जो तोड़े नदिया महाप्रलय आ जाए
सागर न समाए तो फिर उफ़ान किधर बौराए
लहर लहर लहराता सागर , खारेपन में गहराया
दो कूल बँधी नदिया संग मौन #Poetry#Beauty
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METAL
समय का अंत
समय की क्या सीमा है यह किसी को नहीं मालूम
कीस के लिए काम करता है
यह चाहे तो किसी को अमीर & गरीब भी बना सक्ता है
सायद इसका एही #nojotophoto