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Next Level Astrology
Krishna tripathi
“गाली क्या होती है ?” -क्रोध के समय मुख से निकले शब्द अथवा शब्दों का समूह ……, जिनके उच्चारण के पश्चात् व्यक्ति के हृदय को शान्ति का अनुभव होता है. 👌“गाली क्या होती है ?” -क्रोध के समय मुख से निकले शब्द अथवा शब्दों का समूह ……, जिनके उच्चारण के पश्चात् व्यक्ति के हृदय को शान्ति का अनुभव
Reshma
*#HiddenTruth_In_Gita गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है कि तत्वदर्शी संत की प्राप्ति के पश्चात् उस परमपद परमेश्वर की खोज करनी चाहिए। जहां जा
AK__Alfaaz..
एक,, अंजुली भर,, समय जीवन का,, मृत्यु-पहिए संग,, है निरंतर अग्रसर,, अंतिम पथ,, पर..।। #बोध_रहस्य जन्म के पश्चात् जो जीवन मिलता है वह कुछ क्षणों का ही रहता है.. और वह भी मृत्यु के पहिए पर सवार हो निशिदिन प्रतिपल अपने अंतिम पथ
Vikram Bunty
#Secrets_Of_BhagavadGita गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है कि तत्वदर्शी संत की प्राप्ति के पश्चात् उस परमपद परमेश्वर की खोज करनी चाहिए। जहां
BinTu Galiyon
#GodMorningTuesday नर से फिर पीछे तू पशुवा कीजै, गधा बैल बनाई। छप्पन भोग कहां मन बौरे, कुरड़ी चरने जाई।। कुछ व्यक्ति तो यहाँ तक कह देते हैं
अशेष_शून्य
युद्ध जब तक चल रहा है और जब तक चलता रहेगा तब तक शांति पर लिखे गए वो सारे साहित्य और काल्पनिक कविताएं बेमानी हैं जिनके उतरने के पश्चात् भी कहीं किसी कोने में युद्ध की संभावनाएं शेष हैं। बची रहनी चाहिए शांति की असीम संभावनाएं युद्ध के किसी एक भी उद्घोष में तब जाकर कहीं हम में हम बचे रहेंगे ।। ~©Anjali Rai— % & युद्ध जब तक चल रहा है और जब तक चलता रहेगा तब तक शांति पर लिखे गए वो सारे साहित्य और काल्पनिक कविताएं बेमानी हैं जिनके उतरने के पश्चात् भी क
Pnkj Dixit
Religion ॐ सुप्रभात 💐🕉 यत्कर्म कृत्वा कुर्वंश्च करिष्यंश्च लज्जति । तज्ज्ञेयं विदुषा सर्वं तामसं गुणलक्षम् ।। जो कार्य करते हुए एवं करने के पश्चात् तथा भविष्य मे उसे करने के विचार से ही मनुष्य में लज्जा का भाव उत्पन्न हो , विद्वज्जनों द्वारा उसे तमोगुणी माना जाता है । ।। ॐ वन्दे वेद प्रकाशम् 🚩 जय वैदिक सनातन धर्म संस्कृति🚩 जय हिन्द 🇮🇳 वंदे मातरम् 🇮🇳 🌷👰💓💝 ॐ सुप्रभात 💐🕉 यत्कर्म कृत्वा कुर्वंश्च करिष्यंश्च लज्जति । तज्ज्ञेयं विदुषा सर्वं तामसं गुणलक्षम् ।। जो कार्य करते हुए एवं करने के प
AK__Alfaaz..
मानहुँ जानहुँ तू सुनहुँ कृपाला.., भजमन मोरे प्यारे कृष्ण गोपाला.., मईया धरा जै पड़हिं.., विपत्ति अति बलशाला.., प्रकट भयै बनहुँ प्रभु वाराह.., तबहुँ मोरे गिरधर बाँसुरी वाला.., रूप रखी अनन्त गुण साजा.., अतिविशिष्टा छवि विकराला.., जबहुँ धरै नरसिंह अवतार निराला.., पुत्र विरोचन,पौत्र प्रह्लाद ..बलि भुजबल दानी अतिमहाना.., छीन लीन्हौं जबहुँ बलि.., सिंहासन स्वर्ग स्वयं मनमाना.., भयै इंद्र सहित सब देव.., तबहुँ पू्र्ण विपन्ना,विपत्ति सब जाना.., कीज्हौं अरज तौ सबहुँ.., मोरे कमल नयन अभिरामा.., जानहुँ कै सब दयनीय स्थिति.., मोरे कान्हा.., बनि वामन पधारहुँ बलि धामा.., मोरे नंदलाला.., कर दीन्हौं उद्धार सर्व देवम्.., मोरे जगत कै पालनहारा.., रूप अनुपम पुरूषार्थ पुरूषोत्तम उदारा.., लीन्हौं जनम सिया-रामचंद्र जबहुँ.., तबहुँ भयो दशानन रावण वध अभिमाना.., अवतारी भयै हे कृष्ण मुरारी.., करहुँ संहार जब कंस दुराचारी.., होई गयै कान्हा मेरो तबहुँ चक्र सुदर्शन धारी.., हमने आज अपनी इस रचना मे प्रभु विष्णु के दस अवतारों मे से कुछ अवतारों की संक्षिप्त व्याख्या अपने शब्दों मे करने की कोशिश की है..हो सकता है भा