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New और्विक त्रिकोण Quotes, Status, Photo, Video

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    PopularLatestVideo

ANILRAJE Shinde

प्रेमाचा त्रिकोण

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amit bhatt

प्रेम में त्रिकोण #लव

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Anamika

त्रिकोणीय लगाव...
 था बहुत गहरा सा,
अंतर्मन जुड़ाव सा..
 चली एक आंधी ऐसे,
 बिखरी जिंदगी जैसे..
शाख से टूटी फिर टहनी,
 तीनों की हुई अलग कहानी..
 भरने में शायद लगे समय,
  गुजरा पल शायद आ मिले..
  शायद समझ जाये तीनों.. 
  जुड़े और बन जाये त्रिकोण..
   


 

  #त्रिकोण 
#गहरालगाव
#तेरेलिये 
#तूलिका

LOL

नयनों में भरकर गणित प्रेम के 
प्रमेय जो तूने मारे हैं
आयत से मैं बन त्रिकोण
इन्हें धीरे-धीरे समझ रहा हूँ..

 #इश्के_गणित #yqdidi #yqbaba #yq #yqlove #त्रिकोण

Krish Vj

यह हमारी prompt है हिंदी में। collab करें इस हैशटैग के साथ #cwकुछकिस्से Font: Sharad76 Regular मुसल्लस:_ त्रिकोण #cascadewriters cartoo #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #cartoonsworld #collabwithcw

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कुछ किस्से रह गए, कुछ मुकम्मल हो गए 
उलझ गए कुछ इस तरह मुसल्लस हो गए  यह हमारी prompt है हिंदी में। collab करें इस हैशटैग के साथ 
#cwकुछकिस्से

Font: Sharad76 Regular

मुसल्लस:_ त्रिकोण 
#cascadewriters #cartoo

Vibhor VashishthaVs

Meri Diary Vs❤❤ मैंने तो समझा था हर एक को, पर मुझे समझने बाला कौन था..... भीतर ही भीतर मैं रोता चिल्लाता रहा, पर बाहर से मैं बिलकुल मौन थ #yourquote #yqbaba #yqdidi #onesidedlove #yqquotes #yourquotebaba #yourquotedidi #vs❤❤

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Meri Diary #Vs❤❤
मैंने तो समझा था हर एक को, 
पर मुझे समझने बाला कौन था.....
भीतर ही भीतर मैं रोता चिल्लाता रहा, 
पर बाहर से मैं बिलकुल मौन था......
गौर था दुनिया का मुस्का पर मेरी पर ,
मेरे भीतर एक ज्वाला का त्रिकोण था......
भीतर एक ज्वाला का त्रिकोण था......
✍️Vibhor vashishtha vs Meri Diary #Vs❤❤
मैंने तो समझा था हर एक को, 
पर मुझे समझने बाला कौन था.....
भीतर ही भीतर मैं रोता चिल्लाता रहा, 
पर बाहर से मैं बिलकुल मौन थ

Prerana Jalgaonkar

मैं कौन हूं...?कोई मुझे बता दे... हैरान हूं मैं.... इन्सान हूं या फिर किसी कपडे का तुकडा जो हमेशा मापकर ही बताया जाए... या फिर गोल, त्रिको

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मैं कौन हूं...?कोई मुझे बता दे...
हैरान हूं मैं....

इन्सान हूं या फिर किसी कपडे का तुकडा 
जो हमेशा मापकर ही बताया जाए...
या फिर गोल, त्रिकोण आकार हूं मैं... 
हैरान हूं मैं ,आखिर कौन हूं मैं...?

हर कोई अलग अलग सभ्य ,असभ्य, शिष्ट,अशिष्ट
परिभाषा का इस्तेमाल करते हैं
हैरान हूं मैं... आखिर कौन हूं मैं...?

कोई तिखा, मिठा,नरम , कुरकुरा, थंडक 
या फिर गरम पदार्थ हूं मैं...या फिर शिकारी के लिए
एक जंगली जानवर हूं मैं...

हैरान हूं मैं... आखिर कौन हूं मैं...?
कोई मुझे बताए ...आखिर कौन हूं मैं...???
--प्रेरणा

 मैं कौन हूं...?कोई मुझे बता दे...
हैरान हूं मैं....

इन्सान हूं या फिर किसी कपडे का तुकडा 
जो हमेशा मापकर ही बताया जाए...
या फिर गोल, त्रिको

Prerana Jalgaonkar

मैं कौन हूं...?कोई मुझे बता दे... हैरान हूं मैं.... इन्सान हूं या फिर किसी कपडे का तुकडा जो हमेशा मापकर ही बताया जाए... या फिर गोल, त्रिको

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मैं कौन हूं...?कोई मुझे बता दे...
हैरान हूं मैं....

इन्सान हूं या फिर किसी कपडे का तुकडा 
जो हमेशा मापकर ही बताया जाए...
या फिर गोल, त्रिकोण आकार हूं मैं... 
हैरान हूं मैं ,आखिर कौन हूं मैं...?

हर कोई अलग अलग सभ्य ,असभ्य, शिष्ट,अशिष्ट
परिभाषा का इस्तेमाल करते हैं
हैरान हूं मैं... आखिर कौन हूं मैं...?

कोई तिखा, मिठा,नरम , कुरकुरा, थंडक 
या फिर गरम पदार्थ हूं मैं...या फिर शिकारी के लिए
एक जंगली जानवर हूं मैं...

हैरान हूं मैं... आखिर कौन हूं मैं...?
कोई मुझे बताए ...आखिर कौन हूं मैं...???
--प्रेरणा

 मैं कौन हूं...?कोई मुझे बता दे...
हैरान हूं मैं....

इन्सान हूं या फिर किसी कपडे का तुकडा 
जो हमेशा मापकर ही बताया जाए...
या फिर गोल, त्रिको

Sunita D Prasad

*नदी---* (लघु कविताएँ) १) समुद्र में मिलकर भी नहीं छोड़ पाती नदी..! पर्वतों के प्रति अपना प्रेम..! #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo

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नदी

लघु कविताएँ *नदी---*
(लघु कविताएँ)

१)
समुद्र में मिलकर भी
नहीं छोड़ पाती नदी..!
पर्वतों के प्रति 
अपना प्रेम..!

Anupama Jha

#हाथ #लकीर #रेखा #yqdidi #हिंदीकविता फँसी हूँ हाथ में खींचे लकीरों के गणित में पता नहीं, दो समानान्तर रेखा क्या कहना चाहती है कोने में बना

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फँसी हूँ हाथ में खींचे
लकीरों के गणित में
पता नहीं, दो समानान्तर रेखा
क्या कहना चाहती है
कोने में बना त्रिकोण
क्या समझाना चाहता है
एक सीधी सपाट रेखा भी है
उसे छूती एक वक्र रेखा भी
कुछ काटती,कुछ सितारों सा बनाती
क्या सच मे
करती है बयाँ
ज़िन्दगी के उतार- चढ़ाव
जोड़ -घटाव?
ज़िन्दगी में आते -जाते बदलाव?
ये लकीरें, रिश्तों की
ये लकीरें ज़िन्दगी की
क्यूँकर जुड़ते टूटने को
होते विभक्त, गुणित होते कभी
क्या दर्शन समझा जाते?
समीकरण ज़िन्दगी का सारा
क्या सच मे
इस छोटी सी हथेली में समा जाते?
कभी समझ नहीं आया हिसाब
ज़िन्दगी का,दिल का
या इस छोटी सी हथेली में
फैले गहरी लकीरों का !
जहाँ जुड़कर भी सब
घटता, बढ़ता रहता है
कुछ नया बनता
कुछ पुराना मिटता रहता है
और भाग का भागफल
तकदीर के नाम,होता है!! #हाथ #लकीर #रेखा #yqdidi #हिंदीकविता 

फँसी हूँ हाथ में खींचे
लकीरों के गणित में
पता नहीं, दो समानान्तर रेखा
क्या कहना चाहती है
कोने में बना
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