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mangalviras

माया की मोह माया #कामुकता

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Dilipkashyap

#मोह माया #कॉमेडी

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Sab Moh Maya Hai  ये ल़डकियों के काले काले बाल
लड़कों को फंसाने के हैं जाल
इनका मुस्कुराना, इनका हाथ मिलाना
सब दिखावा है
और इनके बातों को ध्यान में लाना सब मोह माया है #मोह माया

mahesh

मोह माया #विचार

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सच्चा वही है, जो बिछड़ कर रोया है। किसी ने कुछ नहीं खोया है, बाकी सब मोह माया है।

©mahesh मोह माया

abhisri095

#मोह-माया

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कहा जा रहे हो
किसको समझा रहे हो
सब मोह-माया है
तुम अब बता रहे हो...

देखो! बाप-बाप होता है
बेटा-बेटा
खामखा-ही ,रिश्तों को उलझा रहे हो

वक़्त बुरा चल रहा है
कहा भी था मैंने,
देखो, तुम अब 
सुते-जा रहे हो। #मोह-माया

Ritu Singh

मोह - माया 1

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रिश्तों में दरार जो अपने मोबाइल की 5 % बैटरी ना दे सका,
वो तुझे अपनी ज़िन्दगी देगा ?
 सब मोह - माया है ।😇 मोह - माया 1

BEWAFADIL

#missingyou मोह माया #कविता

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मैं लोगों के साथ खुशियां  बांटता  हूं कहीं  लोग मेरी तरह उदास न हो जाएं !

©BEWAFADIL #missingyou मोह माया

Mamta kumari

मोह माया । #solotraveller

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दुनियां में अकेले आया
दुनिया के भीड़ में खुद को अकेले पाया
तो नाम मात्र के हैं रिश्ते नाते
और मोह माया । मोह माया ।

#solotraveller

k s bnna

सब मोह माया

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*इस जीवन का पैसा* 
 *अगले जन्म में काम नहीं आता*
     *मगर इस जीवन का पुण्य*
*जन्मो  जन्म तक काम आता है*

           KD bnna सब मोह माया

Ravi Pratap pal

मोह और माया #कविता

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मोह और माया (कविता)
ये कैसी प्रीत की डोर है,कैसी लोगो की काया है
इससे चलते है दूर कहीं,यह सब तो मोह माया है
जिस धरा पर मानव ने अपना आशियाना सजाया है
उसी के नीचे खुदा ने भी एक शमशान बनाया है
यह भोग विलाश की लिप्सा तो बस आनंद्भूती की माया है
एक वेद रिचा को पढ़कर देखो इसने सबका सार छिपाया है
मानव का बस वही है जो कर्म के बदले पाया है
बाकी सब तो खफा है और पराया है
यह कौन किसका है किसी ने जान पाया है
यह तो बस एक बोध है जिसे हमने निभाया है
हमें नहीं पता अाज हमारा है या कल हमारा है 
जीवन है जब तक जिले बाकी सब तो अंधियारा है
ये कैसा बड़कपन है कैसी ये अत्याचारी है
मिट्टी में पले बढ़े हो मिट्टी है तेरी यारी है। 

ये कैसी सोच है लालच की कैसी लोगो की इच्छा है
आज ये सब तेरा है कल दूसरे का हिस्सा है
ये सांस तो एक फूल है ये तन एक क्यारी है
जब तक सिचन जारी है तब तक ही फूलवारी है
चार दिन की चांदनी है फिर सूरज का तपन है
पोशाक का कैसा गर्व यही तो सबका कफ़न है
ये कैसी प्रीत की डोर है कैसी लोगो की काया है
इससे चलते है दूर कहीं यह सब तो मोह मया है
BY RAVI PRATAP PAL मोह और माया
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