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Richa Mishra
|| वधू आगमन || वधू के आगमन से ! घर में आती हैं खुशियां खिल जाते हैं आंगन में लगे फूल ...... स्वागत करती हैं ! रंग बिरंगी तितलियां हरियाली युक्त तुलसी मां नए वधू को देती हैं सौ भाग्यवती का आशीर्वाद ! ° पढ़े अनुशीर्षक में ° महक उठता है वह घर जो वर्षों से कर रहा था प्रतीक्षा वधू के आगमन से ! घर का प्रत्येक सदस्य लालायित रहता हैं मिलने को नए वधू से ! यह वधू ला
Richa Mishra
|| वधू आगमन || वधू के आगमन से ! घर में आती हैं खुशियां खिल जाते हैं आंगन में लगे फूल ...... स्वागत करती हैं ! रंग बिरंगी तितलियां हरियाली युक्त तुलसी मां नए वधू को देती हैं सौ भाग्यवती का आशीर्वाद ! ° पढ़े अनुशीर्षक में ° महक उठता है वह घर जो वर्षों से कर रहा था प्रतीक्षा वधू के आगमन से ! घर का प्रत्येक सदस्य लालायित रहता हैं मिलने को नए वधू से ! यह वधू ला
Shree
कभी देखा है.. हर पत्थर धुला है हर पत्ता धुला है हवाएं खुली-खुली दिल का कारवां जवां है बादलों से ढंकी चोटियां या धूप से चटकते पत्थर शीशे पर सरकती बूंदें फूलों से रंगी ये जहां महोगनी के वृक्ष की तरह भुजाएं जोड़े खड़ी शाखाएं प्रेम को लालायित.. धकेलती.. तुम्हारे पास लाती ये कविताएं! ✍🏻 Full poem below कभी देखा है.. हर पत्थर धुला है हर पत्ता धुला है हवाएं खुली-खुली दिल का कारवां जवां है
Shree
अनुत्तरित ख्यालों सा... बहका बहका सवाल हूं, जिस कहानी में भिगोया उसका अल्प प्राश जाल हूं! प्राणों से भी बढ़कर... मैं बहरहाल उन्मुक्त भाव सा लालायित अविवेकी चाल हूं, हर सुहानी शाम ढ़लता, उसी का सूर्योदय प्रयास हूं! मैं मानस मन में मनन मात्र! ∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆ प्राणों से भी बढ़कर... अनुत्तरित ख्यालों सा... बहका बहका सवाल हूं, जिस कहानी में भिगोया उसका अल्
kumaarkikalamse
प्रिय मित्र उम्मीद, सारी दुनिया टिकी है तुम पर, रंक हो या राजा; सबको कर दे बाहर, खुला रहे तुम्हारे लिए दरवाजा। प्रणाम कहूँ तो आदर होगा, गले लगाकर दिखाऊंगा प्यार तुम सबका ध्यान धरो, है सब को तुमसे असीम दुलार। कैसे तुम सबको जीने की, कुछ करने की, हिम्मत देती रहती हो, तुम सब के इतने करीब कैसे रह लेती हो, हाँ इसमे कुछ अपवाद भी हैं जो तुमसे दूरी रखते हैं पर फिर भी तुम उन्हें कभी पराया नहीं करती और एक आस, विश्वास जगाए रखती हो कि घबराना नहीं है, वक़्त बुरा है टल जाएगा..। तुम यह जरूर बताना कि कोई तुमसे कितने समय तक साथ रहता है, किन परिस्थितियों में लोग तुम्हारा साथ और हाथ छोड़ देते हैं। कब तुम हार मान लेती हो और कब तुम उन्हें और मजबूती देती हो, सबका उत्तर जानने को दिल बहुत लालायित है, तुम्हारे पत्र का इंतजार रहेगा, उम्मीद और
Anita Saini
“पृथ्वी” एक चित्ताकर्षक,मोहक अप्सरा की भाँति है। जिसके ब्रह्मांड के ग्रह-उपग्रह व असँख्य तारे “प्रेमी” हैं! “पृथ्वी” एक चित्ताकर्षक,मोहक अप्सरा की भाँति है। जिसके ब्रह्मांड के ग्रह-उपग्रह व असँख्य तारे “प्रेमी” हैं! जो चक्कर लगाते रहते हैं इसके चा
Anil Ray
खुद्दारी लहू बन अंग-अंग में प्रवाहित थी मुझमें.. परन्तु कमबख़्त! भरपेट पेट ही गद्दारी कर बैठा.. ©Anil Ray 🌺"इंसानों इंसानियत से कर लो प्यार"🌺 इंसानों से अधिक रहा इंसानियत से प्यार मानवीय संस्कारों से था सदैव ही खुद्दार। शरीर साध्य नही महज़ साधन
Poetry with Avdhesh Kanojia
प्रस्तुत है हास्य पदक🏅अवधेश के साथ - - - - - - - - - - - - - - बहुत डर के रहते हैं तेरे संग हम (लय : बहुत प्यार तुझको करते हैं हम) बहुत डर के रहते हैं तेरे संग हम। मार डांट सब सह लेते हैं हम। बहुत डर के रहते हैं.... जब भी हुआ है हमला तुम्हारा। बन भीगी बिल्ली मैं ही हूँ हारा।। तेरे आगे पानी भरते हैं हम।। बहुत डर के रहते हैं.... कभी थे विजेता अब हैं पराजित। विजय पाने को हैं अब भी लालायित। शेर कभी बनते थे शेरू हुए हम। बहुत डर के रहते हैं.... (पूरी रचना अनुशीर्षक में) #love #lovequotes #laugh #हास्य_व्यंग्य #poetry #poem #life प्रस्तुत है हास्य पदक🏅अवधेश के साथ - - - - - - - - - - - - - - बहु
Poetry with Avdhesh Kanojia
प्रस्तुत है हास्य पदक🏅अवधेश के साथ - - - - - - - - - - - - - - बहुत डर के रहते हैं तेरे संग हम (लय : बहुत प्यार तुझको करते हैं हम) बहुत डर के रहते हैं तेरे संग हम। मार डांट सब सह लेते हैं हम। बहुत डर के रहते हैं.... जब भी हुआ है हमला तुम्हारा। बन भीगी बिल्ली मैं ही हूँ हारा।। तेरे आगे पानी भरते हैं हम।। बहुत डर के रहते हैं.... कभी थे विजेता अब हैं पराजित। विजय पाने को हैं अब भी लालायित। शेर कभी बनते थे शेरू हुए हम। बहुत डर के रहते हैं.... जब से बनी तुम पत्नी हमारी। तब हैं करते सेवा तुम्हारी। झाड़ू पोछा सब कुछ करते हैं हम। बहुत डर के रहते हैं.... (और नीचे के अंतिम शब्द स्वयं की रक्षा के लिए😁) पर जब भी संकट मुझ पर है आया। तब तब तूने साथ है निभाया। सच्चा प्रेम तुझको करते हैं हम। बहुत डर के रहते हैं तेरे संग हम। मार डांट सब सह लेते हैं हम। बहुत डर के रहते हैं.... ✍️अवधेश कनौजिया© ©Avdhesh Kanojia #husband #wife #Fight #Love #laughter #poem #Poet प्रस्तुत है हास्य पदक🏅अवधेश के साथ - - - - - - - - - - - - - - बहुत डर के रहत