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JAI BHAGWAN SHARMA

रररर #VivekanandThoughts

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भारतीय स्वाभिमान सेवा परिषद

©JAI BHAGWAN SHARMA रररर
#VivekanandThoughts

Sabreen Nizam😊

एक रड़की का डरररर..... #खौफजदह#मै#डरना#कहानी#सुनना Swetapadma Mishra

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डरी- डरी मैं सहमी- सहमी खौफजदा भी रहती हूँ,
निर्भया और आसिफा की जब नई कहानी सुनती हूँ,

मैं खुद के लिए और अपनों के लिए भी ये करती हूँ,
हाँ, सूनसान उन राहों पर चलने से मैं अब डरती हूँ।...

{Sabreen Nijam} #NojotoQuote एक रड़की का डरररर.....
#खौफजदह#मै#डरना#कहानी#सुनना Swetapadma Mishra

RS Rohtakiya Jaat

कोए उसे बताओं वो बहोत तड़पाती हैं उसकी यादें मुझे खा जाती हैं मेरी मां बहोत फिक्र करती है मेरी मैं कमजोर हो गया

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कोए उसे बताओं
वो बहोत तड़पाती हैं

उसकी यादें
मुझे खा जाती हैं

मेरी मां बहोत फिक्र करती है मेरी
मैं कमजोर हो गया

कोए उसे बुला लाओ यारररर
ये जुदाई अब और बर्दाश्त नहीं की जाती हैं

©RS Rohtakiya Jaat कोए उसे बताओं
वो बहोत तड़पाती हैं

उसकी यादें
मुझे खा जाती हैं

मेरी मां बहोत फिक्र करती है मेरी
मैं कमजोर हो गया

अज्ञात

#रत्नाकर कालोनी पेज-27 दिव्या-जीजी क्या हुआ कुछ गड़बड़ है क्या.. ! पुष्पा जी-हट पगली कहीं की.. तुम... जल्दी आओ कुछ दिखाना है तुम्हें... . जल #प्रेरक

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पेज-26
दिव्या-जीजी क्या हुआ कुछ गड़बड़ है क्या.. !

पुष्पा जी-हट पगली कहीं की.. तुम... जल्दी आओ कुछ दिखाना है तुम्हें... . जल्दी... जल्दी... इतना कहकर पुष्पा जी ने सुधा का हाथ पकड़ा..और दौड़ लगा दी...उतनी ही जल्दी सुधा ने दिव्या का हाथ पकड़ा और दिव्या ने तुरत राखी जी का हाथ पकड़ लिया और फौरन दौड़ पड़ी ट्रैन... मंदिर की तरफ... चारों एक के पीछे एक तेजी से दौड़ रहे हैं... देखने वालों कों कुछ समझ नहीं आ रहा.. जो भी इन्हें भागते देखता, अपना काम धाम छोड़ छाड़ कर उनके पीछे दौड़ने लगा...! इधर उनको दौड़ते भागते देखा तो इन्हें दौड़ते देख श्रृंगार कर रही बिजली को लगा कोई दौड़ प्रतियोगिता चल रही है.. किसी ने उसे बताया तक नहीं... गांव की चैम्पियन रही है वो... गुस्से से लाल हुई जा रही.. सुधा को आवाज़ दी.. जिज्जी.. रूक... ओये जिज्जी... 
काय जिज्जी... ओ जिज्जी.... रुको तो.....!!!!!   सा ररररर री हमें बताय भी नइ... शहर की छोरियां हमसे होड़ कर रइ...अभई देखो सारी सबखे पछाड़ खे रखे दे रये.....  दौड़ री बिजुरिया...सर्र पट दौड़. 🏃‍♀️🏃‍♀️🏃‍♀️🏃‍♀️🏃‍♀️अभई पाय ले रय हम.. ससुरी समझ लइ....देशी दूध से कोल्ड्रिंक टकरा रओ...  हमसे जीत जाहें कभऊ नइ.... 
यहाँ दौड़ने की पदचाप और तीव्र आहट और बिजली को दौड़ते देख प्रिया गौर घबराकर उनके पीछे दौड़ी.. 🏃‍♀️🏃‍♀️🏃‍♀️🏃‍♀️
प्रिया की आवाज़ सुनते ही शालिनी जी को लगा कुछ अनहोनी हो गई.. तुरंत मुख से जय शिवशंकर जय भोले नाथ और वो भी उसी तरफ दौड़ पड़ी... शालिनी जी को भागते देख और हल्ला सुनकर साधना बहन हाथ में बेलन लिये ही दौड़ पड़ीं.... इधर चंद्रवती बहन हाथ में घंटी लिये ही दौड़ पड़ी... अजीब भागमभाग... दौड़... दौड़... दौड़.... मानो... भाग मिल्खा भाग... हर हर महादेव.... ! वहाँ से हिसाम साहब की नज़र पड़ी... आनन फानन में हाथ में फावड़ा लिये ही दौड़ पड़े...
 फिर दौड़ के पीछे दौड़... 🏃‍♀️🏃‍♀️🏃‍♀️दौड़ के पीछे दौड़ 🚶‍♀️🚶‍♀️किसी ने पूछा-क्या हुआ क्यूँ भाग रहे हो..
आगे पेज-27

©R. Kumar #रत्नाकर कालोनी 
पेज-27
दिव्या-जीजी क्या हुआ कुछ गड़बड़ है क्या.. !

पुष्पा जी-हट पगली कहीं की.. तुम... जल्दी आओ कुछ दिखाना है तुम्हें... . जल

अज्ञात

#रत्नाकर कालोनी पेज -32 कथाकार ने देखा, राकेश ने अपना प्रस्ताव रखा और वर पक्ष से इजाज़त लेकर लौटने लगा.. तभी विशाल जी यशपाल जी के साथ उनसे #प्रेरक

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पेज -32
कथाकार ने देखा, राकेश ने अपना प्रस्ताव रखा और वर  पक्ष से इजाज़त लेकर लौटने लगा.. तभी विशाल जी यशपाल जी के साथ उनसे अकेले में कुछ जरूरी बात करने बाहर आये और यशपाल जी ने कहा-" राकेश जी यूँ तो आपकी बात में काफ़ी दम है, पर आपको नहीं लगता ये सब बहुत जल्दी हो रहा है..? 
राकेश-जी यशपाल जी, मैं आपकी भावनाओं को समझ सकता हूं और आप जिस ओर इशारा कर रहे हैं वहाँ तक भी पहुंच रहा हूं लेकिन आप पूरा विश्वास रखें इससे बेहतर जोड़ी कोई और हो ही नहीं सकती..! मानक के परिवार ने सारी जबाबदारी नोजोटो परिवार को सौंप दी है मानक की इतनी सारी बहनों को सौंपी है विवाह की बागडोर.. और हम रत्नाकर कालोनी के लोग हैं जो सबसे बढ़िया होगा उसे ही अंजाम देंगे..!
विशाल जी-वो तो ठीक है जनार्दन,, मान गए तुम्हारी इस बात को लेकिन.. इतनी जल्दी सब कुछ कैसे हो पायेगा.. शाम को सगाई एक सप्ताह में शादी.. आखिर कुछ तैयारियां भी तो करनी होती हैं...? 
राकेश-मित्र जॉन, यथार्थ से बाहर निकलिए.. ! कल्पनाओं में आइये.. भावों में आइये..! 
यशपाल जी-कमाल है ना..!, अब तक तो लोगों को कहते सुना है.. यथार्थ में आओ.. कल्पनाओं से निकलो.. मगर ऐसा तो पहली बार सुना स्ट्रेंज.. बट.. लवली.. !
राकेश- आपकी गरिमामयी उपस्थिति से हम धन्य होंगे  यशपाल जी.. साँझ को पधारिये पलकें बिछाये आपकी राह देखूंगा..🙏
विशाल जी- अर्रे जनार्दन.. कैसी बातें करते हो याररर.. पलकें तो हम बिछाएंगे वधू पक्ष के स्वागत में.. ! बस थोड़ी सी फिक्र हो रही थी. कैसे सब कुछ कल्पनाओं में मेनेज हो पायेगा, कहीं आनन फानन में कोई त्रुटि ना रह जाये..!
राकेश - मेरे सरताज़.. आप भूल रहे हैं ये विवाह नोजोटो पर हो रहा है,, ये विवाह नोजोटो रचनाकारों का एक दूसरे पर अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक और उदाहरण है.. ये "भाव प्रधान विवाह" है ना मित्र..! और फिर रही तैयारियों की बात तो जहाँ आप हो. यशपाल जी हैं A.k.शर्मा जी, जे पी लोधी साहब, हिसाम जी, संदीप शब्बीर जी, देवेश जी, सुमित जी, सुब्रो जी,आनंद झा, हिमांशु, जी हैं वहाँ चिंता जैसा कुछ कहां हो सकता है, विवाह की तैयारियों के लिये हमारे अर्श जी,साधना बहन, चंद्रवती बहन चंद्रमुखी जी, सुधा पुष्पा, दिव्या, राखी जी, महाकाल भक्त शालिनी जी, प्राजक्ता, शिल्पा, पारिजात,आयशा,तान्या और जो अभी रह गये हैं वो सब भी मानक के विवाह में आकर जब एक जुट होकर आगे आयेंगे तो ये विवाह अपने आप में यादगार बन जायेगा..!
यही तो इस विवाह की विशेषता होगी..!
यशपाल जी-कैसी विशेषता राकेश जी..!
राकेश-मित्र..! विशेषता ये कि रक्त संबंधी ना होते हुये भी एक दूसरे से कभी मिले नहीं फिर भी.. हम सभी एक दूसरे के लिये कितने विश्वासी और समर्पित हो सकते हैं.. ये विवाह सबको प्रेरित करेगा.. कि अगर हृदय में निःस्वार्थ प्रेम भावना हो तो फिर कुछ करने के लिये किसी और रिश्ते की आवश्यकता नहीं होती..! ये हम रचनाकारों का काव्यकारों का जो परिवार है.. ये भावनिर्मित जो कालोनी है केवल और केवल हमारे विशुद्ध प्रेम की परिचायक है जहां हम एक दूसरे के सुख दुःख के सच्चे साथी हैं..! फिर आप सब हो तो सब सम्भव है.. वक़्त पड़ा तो पंडाल भी हम ही बनाएंगे.. भोजन भी हम ही बनाएंगे.. परोसेंगे भी हम और सबकी पत्तल भी हम उठाएंगे...क्यूंकि हम आत्मनिर्भर हैं. और अपने परिवार के लिये कुछ भी करने से पीछे नहीं हटेंगे..!
यशपाल जी-तब तो खूब मज़ा आयेगा जनार्दन जी..!
विशाल जी- जाने क्यूँ पर मुझे लगता है हम सबका पिछले जन्मों का कोई अधूरा रिश्ता इस जन्म में पूरा होकर रहेगा..!
राकेश-बिलकुल पूरा होगा मित्र.. चलिए आप भी तैयारी करिये मैं भी वहाँ व्यवस्थाएं देखता हूं..! और शाम को जॉन के साथ जॉनी होना ही चाहिए ये भार आप पर रहा मित्र..!
विशाल जी-वादा.., ! 👍👍
यशपाल जी-तो फिर शाम का इंतजार है प्रिय मित्र. 🙏
राकेश-अहोभाग्य.. आपकी मित्रता सर आखों पर.. अब जय सियाराम..!
विशाल जी+यशपाल जी- जय सियाराम 🙏🙏
पेज-33

©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी 
पेज -32
कथाकार ने देखा, राकेश ने अपना प्रस्ताव रखा और वर  पक्ष से इजाज़त लेकर लौटने लगा.. तभी विशाल जी यशपाल जी के साथ उनसे
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