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Ran parmar
"आपणी शान" फूल री सुगंध सुहावणी माने घणी निरावलीं लागे इण धोरा धरती रे शोभा निरावलीं लागे दुखियों -सखियों री आण राजस्थानी मरुधरा माथे सुआवणी लागे मेमाणा री आवण जोधाणा बतावे राजस्थानी पगड़ी सतरंगी लहरियो लहरावे पावणा इण धरती माथे जिणरौ बाढाणौ तिलक सजावे थार री मावडी़ थासू बिण रहियौ न जावे इण माटी् रो जो तिलक सजावे वो योध्दो मान बण जावे मरूधरा री गाथा घीणी निरालीं लागे अरे इण माटी् में तो हीरा - मोती उपजें आ निरावलीं गाथा रण सूणावें मरूधरा री गाथा अजब निरावलीं लागें By poet- Ran parmar आपणी शान #dawn
Pinky Sinwar"Masum"
अब बे गऴियां, बे गुआड़, बे गाम कठै हैं, जिकी पींपळा निचै लागती बे चौपाल कठै हैं। कठै गेया बे मेळ-जोळ, बे पूराणती रीत कठै हैं, पेली आळी दिवाऴी होळी, गंवरा गा गीत कठै हैं, बो पेली बरगो भाईचारो, बो मान सम्मान कठै हैं, अब बे गऴियां, बे गुआड़, बे गाम कठै हैं। गुम गया दिखै सींगळा बादी बिलौणा आळा, अब आवै ई कठै हैं गळियां मं खिलौणा आळा, समान सागै देंता रूंगो झूंगो, बे दूकान कठै हैं, अब बे गऴियां, बे गुआड़, बे गाम कठै हैं। सिर पर चकै लैजता बे भाता आळी परात कठै हैं, बाखळ में होतां बीस बीस मांचा बे रात कठै हैं, हां माऊ आळी कहाणीया मं हो बो ज्ञान कठै हैं, अब बे गऴियां, बे गुआड़, बे गाम कठै हैं। सै बदळ गया आजकाल बे खाणा बाणा कठै हैं, गांता खेतां मं रामधनिया अब बिस्या गाणा कठै हैं, हारां मं सीजती बा राबड़ी, बो धान कठै हैं, अब बे गऴियां, बे गुआड़, बे गाम कठै हैं। आथण खेतां ऊं आंता ऊंठ गाडा कोनी दैख्या, अब लोगां ग मना मं प्रेम भाव गाढ़ा कोनी दैख्या, घर घर चौधरी होग्या बे मूंछा आळा प्रधान कठै हैं, अब बे गऴियां, बे गुआड़, बे गाम कठै हैं। आधुनिकता रो दौर हैं बिकास देख्यौ हैं मासूम, आपगी बोली, संस्कृति रो विनाश देख्यौ हैं मासूम, जामणू ई अंग्रेजी सिखा दयौ टाबर न, अरे अब आपणी मां बोली बागड़ी रो ध्यान कठै हैं, अब बे गऴियां, बे गुआड़, बे गाम कठै हैं, अब बे गऴियां, बे गुआड़, बे गाम कठै हैं॥ *पिंकी सिंवर मासूम* 🙏🙏🙏💐💐💐 ©Pinky Sinwar"Masum" *आपणी बोली आपणो माण* #lockdown2021
Anita Saini
पोथी पढ्यां आँक आवैं पोथी पढ्यां जाण पावै आपणां देस दुनिया नै पोथी ज्ञान बढ़ावै बुद्धि बढ़ावै पोथी पढ्यां पण्डत कोणी कहावै पोथी री सिकस्या संस्कार कोणी देवै चोखी पोथी पढ्यां आछी सीख आवै पोथी पढ्यां आँक आवैं पोथी पढ्यां जाण पावै आपणां देस दुनिया नै पोथी ज्ञान बढ़ावै बुद्धि बढ़ावै पोथी पढ्यां पण्डत कोणी कहावै पोथी री सिकस्या सं
Shubham Bhardwaj
पोथी पढ़कर देख लो,न होगा कल्याण। मर्म समझ में आ गया तो मिल जायेंगे भगवान।। मिल जायेंगे भगवान, धर्म की बात निराली । मन से भजकर देख लो,धर्म बनेगा निज प्राण।। ©Shubham Bhardwaj #पोथी #पढ़ #पढ़कर #देख #लो #नही #होगा
Tuttu Alam
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ पंडित भया ना कोय ढाई आखर प्रेम का पढ़ें से पंडित होय ©SARFRAJ ALAM पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ #kabirdas #KabirDasKeDohe