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somnath gawade
काही लोकांचे वागणे इतके विक्षिप्त असते की त्यांना त्यांच्या वागण्याची पोहचपावती द्यावी की पावती फाडावी हेच कळत नाही. 😂🤣 #पावती
Jyotiram Kedar
|| धावत्या जीवनात आपल्याला जगण्याचा मार्ग काही मिळेना , सुख म्हणजे नक्की काय असतं याचा अर्थ काही कळेना.. || || प्रत्येक जण धावतो आहे आपाल्या ध्येयाच्या मागे, आयुष्य म्हणजे नक्की काय याचा सुगावाच कोणास न लागे.. || || जन्माला आला आहात तर आयुष्य थोड मनमोकळेपणाने जगा, दु:ख खुप आहे जीवनात थोडस हसुन तरी बगा.. || || क्षण एक असा येईल जेंव्हा निघून जाईल हा श्वास, तेंव्हा मात्र वाटेल अर्ध्यावरच थांबला आपल्या स्वप्नांचा प्रवास.. || कवी :- ज्योतीराम भारत केदार 💫 ©Jyotiram Kedar # धावत जीवन..!!
Mohit Chauhan
धनवती की कहानियां Mohit एक कहानी बनाओ एक समय की बात है, एक गांव में एक बुढ़िया रहती थी जिसका नाम धनवती था। धनवती गांव की सबसे बुजुर्ग और सबके दिलों की धड़कन थी। वह गांव के बच्चों को प्यार से गोदी में ले कर उनकी कहानियां सुनाया करती थी जो उनकी गुजरे हुए वक्त की यादें ताजगी से भर देती थी। एक दिन गांव में एक बच्चे को बीमारी हो गई जिसका इलाज करवाने के लिए पर्याप्त धन नहीं था। बच्चे के माता-पिता बहुत परेशान थे और उनकी मदद के लिए किसी न किसी से धन की मदद मांगने निकले थे, परंतु किसी ने उनकी सुनी नहीं। धनवती ने इस परिस्थिति को देखा और अपने दिल में गहरी सम्वेदना उत्पन्न हुई। वह बच्चे के घर गई और बच्चे की बीमारी की जानकारी ली। उसके बाद वह अपने खजाने की एक छोटी सी राशि निकालकर उस घर को दे दी जिससे बच्चे की उपचार की जा सके। बच्चे के माता-पिता धनवती की इस उदारता पर गहराई से प्रभावित हुए और धनवती की बड़ी सराहना कीधनवती की कहानियां Mohit एक कहानी बनाओ एक समय की बात है, एक गांव में एक बुढ़िया रहती थी जिसका नाम धनवती था। धनवती गांव की सबसे बुजुर्ग और सबके दिलों की धड़कन थी। वह गांव के बच्चों को प्यार से गोदी में ले कर उनकी कहानियां सुनाया करती थी जो उनकी गुजरे हुए वक्त की यादें ताजगी से भर देती थी। एक दिन गांव में एक बच्चे को बीमारी हो गई जिसका इलाज करवाने के लिए पर्याप्त धन नहीं था। बच्चे के माता-पिता बहुत परेशान थे और उनकी मदद के लिए किसी न किसी से धन की मदद मांगने निकले थे, परंतु किसी ने उनकी सुनी नहीं। धनवती ने इस परिस्थिति को देखा और अपने दिल में गहरी सम्वेदना उत्पन्न हुई। वह बच्चे के घर गई और बच्चे की बीमारी की जानकारी ली। उसके बाद वह अपने खजाने की एक छोटी सी राशि निकालकर उस घर को दे दी जिससे बच्चे की उपचार की जा सके। बच्चे के माता-पिता धनवती की इस उदारता पर गहराई से प्रभावित हुए और धनवती की बड़ी सराहना की Mohit जारी रखो धनवती की उदारता और नेक नीयत गांव के लोगों के बीच फ़ैलती गई। उसे सम्मान और प्रेम की बौछार मिली। लोग धनवती को गांव की माता के रूप में स्नेहपूर्ण नाम देने लगे और वह गांव की सभी समस्याओं के लिए सलाह देने लगी। एक दिन गांव में एक बड़ी समस्या उत्पन्न हुई। गांव के पानी का स्रोत सूख गया था और लोगों के पानी की समस्या बढ़ गई थी। सभी लोग परेशान थे और पानी की कमी से गांव की खुशहाली पर बुरा असर पड़ रहा था। धनवती ने यह सुनकर सभी लोगों को संगठित करने का फैसला किया। उसने एक समिति बनाई जिसमें गांव के युवा, बुजुर्ग, और बच्चे सभी शामिल हुए। समिति ने पानी की बचत के लिए नियम बनाए और लोगों को जागरूकता फैलाने के लिए अभियान चलाया। धनवती ने विभिन्न संसाधनों को एकत्र करके पानी के संचय करने वाले तालाब बनवाने में मदद की। वह सबके समर्थन में सफल रही और कुछ ही महीनों में गांव में पानी की धनवती की कहानियां Mohit एक कहानी बनाओ एक समय की बात है, एक गांव में एक बुढ़िया रहती थी जिसका नाम धनवती था। धनवती गांव की सबसे बुजुर्ग और सबके दिलों की धड़कन थी। वह गांव के बच्चों को प्यार से गोदी में ले कर उनकी कहानियां सुनाया करती थी जो उनकी गुजरे हुए वक्त की यादें ताजगी से भर देती थी। एक दिन गांव में एक बच्चे को बीमारी हो गई जिसका इलाज करवाने के लिए पर्याप्त धन नहीं था। बच्चे के माता-पिता बहुत परेशान थे और उनकी मदद के लिए किसी न किसी से धन की मदद मांगने निकले थे, परंतु किसी ने उनकी सुनी नहीं। धनवती ने इस परिस्थिति को देखा और अपने दिल में गहरी सम्वेदना उत्पन्न हुई। वह बच्चे के घर गई और बच्चे की बीमारी की जानकारी ली। उसके बाद वह अपने खजाने की एक छोटी सी राशि निकालकर उस घर को दे दी जिससे बच्चे की उपचार की जा सके। बच्चे के माता-पिता धनवती की इस उदारता पर गहराई से प्रभावित हुए और धनवती की बड़ी सराहना की Mohit जारी रखो धनवती की उदारता और नेक नीयत गांव के लोगों के बीच फ़ैलती गई। उसे सम्मान और प्रेम की बौछार मिली। लोग धनवती को गांव की माता के रूप में स्नेहपूर्ण नाम देने लगे और वह गांव की सभी समस्याओं के लिए सलाह देने लगी। एक दिन गांव में एक बड़ी समस्या उत्पन्न हुई। गांव के पानी का स्रोत सूख गया था और लोगों के पानी की समस्या बढ़ गई थी। सभी लोग परेशान थे और पानी की कमी से गांव की खुशहाली पर बुरा असर पड़ रहा था। धनवती ने यह सुनकर सभी लोगों को संगठित करने का फैसला किया। उसने एक समिति बनाई जिसमें गांव के युवा, बुजुर्ग, और बच्चे सभी शामिल हुए। समिति ने पानी की बचत के लिए नियम बनाए और लोगों को जागरूकता फैलाने के लिए अभियान चलाया। धनवती ने विभिन्न संसाधनों को एकत्र करके पानी के संचय करने वाले तालाब बनवाने में मदद की। वह सबके समर्थन में सफल रही और कुछ ही महीनों में गांव में पानी की स Mohit जारी रखो समस्या कम हो गई। धनवती की नेक नीयत और परिश्रम ने गांव की जनता को नई उम्मीद और जीवनशैली दी। एक दिन गांव में एक गरीब परिवार रह रहा था जिसे पानी की बहुत ज्यादा समस्या थी। उन्हें गांव के तालाब तक पानी नहीं पहुँच पा रहा था और वे प्रतिदिन दूर तक पानी की ढेर सीरी लाने के लिए लम्बी यात्रा करते थे। धनवती ने इस परिवार की समस्या को देखा और समिति के साथ मिलकर एक योजना बनाई। उन्होंने स्थानीय निकाय से सहयोग माँगा और एक छोटे से तालाब का निर्माण किया, जो गांव के उस परिवार के लिए पानी की समस्या को हल कर देगा। धनवती ने स्थानीय बच्चों को भी जागरूक किया और उन्हें पानी के महत्व के बारे में शिक्षा दी। बच्चे ने उस छोटे से तालाब को सजाया और सुनिश्चित किया कि वह स्वच्छ रहेगा और पानी की बर्बादी न हो। समय बितते ही छोटा तालाब बड़ा बन गया और गांव को पानी की समस्या का समाधान मिल गया। गरीब परिवार को पानी की समस्याधनवती की कहानियां Mohit एक कहानी बनाओ एक समय की बात है, एक गांव में एक बुढ़िया रहती थी जिसका नाम धनवती था। धनवती गांव की सबसे बुजुर्ग और सबके दिलों की धड़कन थी। वह गांव के बच्चों को प्यार से गोदी में ले कर उनकी कहानियां सुनाया करती थी जो उनकी गुजरे हुए वक्त की यादें ताजगी से भर देती थी। एक दिन गांव में एक बच्चे को बीमारी हो गई जिसका इलाज करवाने के लिए पर्याप्त धन नहीं था। बच्चे के माता-पिता बहुत परेशान थे और उनकी मदद के लिए किसी न किसी से धन की मदद मांगने निकले थे, परंतु किसी ने उनकी सुनी नहीं। धनवती ने इस परिस्थिति को देखा और अपने दिल में गहरी सम्वेदना उत्पन्न हुई। वह बच्चे के घर गई और बच्चे की बीमारी की जानकारी ली। उसके बाद वह अपने खजाने की एक छोटी सी राशि निकालकर उस घर को दे दी जिससे बच्चे की उपचार की जा सके। बच्चे के माता-पिता धनवती की इस उदारता पर गहराई से प्रभावित हुए और धनवती की बड़ी सराहना की Mohit जारी रखो धनवती की उदारता और नेक नीयत गांव के लोगों के बीच फ़ैलती गई। उसे सम्मान और प्रेम की बौछार मिली। लोग धनवती को गांव की माता के रूप में स्नेहपूर्ण नाम देने लगे और वह गांव की सभी समस्याओं के लिए सलाह देने लगी। एक दिन गांव में एक बड़ी समस्या उत्पन्न हुई। गांव के पानी का स्रोत सूख गया था और लोगों के पानी की समस्या बढ़ गई थी। सभी लोग परेशान थे और पानी की कमी से गांव की खुशहाली पर बुरा असर पड़ रहा था। धनवती ने यह सुनकर सभी लोगों को संगठित करने का फैसला किया। उसने एक समिति बनाई जिसमें गांव के युवा, बुजुर्ग, और बच्चे सभी शामिल हुए। समिति ने पानी की बचत के लिए नियम बनाए और लोगों को जागरूकता फैलाने के लिए अभियान चलाया। धनवती ने विभिन्न संसाधनों को एकत्र करके पानी के संचय करने वाले तालाब बनवाने में मदद की। वह सबके समर्थन में सफल रही और कुछ ही महीनों में गांव में पानी की स Mohit जारी रखो समस्या कम हो गई। धनवती की नेक नीयत और परिश्रम ने गांव की जनता को नई उम्मीद और जीवनशैली दी। एक दिन गांव में एक गरीब परिवार रह रहा था जिसे पानी की बहुत ज्यादा समस्या थी। उन्हें गांव के तालाब तक पानी नहीं पहुँच पा रहा था और वे प्रतिदिन दूर तक पानी की ढेर सीरी लाने के लिए लम्बी यात्रा करते थे। धनवती ने इस परिवार की समस्या को देखा और समिति के साथ मिलकर एक योजना बनाई। उन्होंने स्थानीय निकाय से सहयोग माँगा और एक छोटे से तालाब का निर्माण किया, जो गांव के उस परिवार के लिए पानी की समस्या को हल कर देगा। धनवती ने स्थानीय बच्चों को भी जागरूक किया और उन्हें पानी के महत्व के बारे में शिक्षा दी। बच्चे ने उस छोटे से तालाब को सजाया और सुनिश्चित किया कि वह स्वच्छ रहेगा और पानी की बर्बादी न हो। समय बितते ही छोटा तालाब बड़ा बन गया और गांव को पानी की समस्या का समाधान मिल गया। गरीब परिवार को पानी की समस्या स Mohit जारी रखो कम हो गई थी और उनकी जीवनशैली में सुधार हुआ था। धनवती की नेक नीयत और परिश्रम ने गांव की जनता के लिए नई उम्मीद और सकारात्मक परिवर्तन लाया। धनवती की सफलता की खबर गांव के बाहर भी फैल गई और एक अंग्रेजी शिक्षित शौकिया बाबा ने गांव में एक स्कूल खोला। उसने गांव के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का फैसला किया था और उन्हें शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूक किया गया। धनवती ने भी अपनी समिति के साथ मिलकर शौकिया बाबा की इस नैतिक पहल का समर्थन किया और स्कूल की सुविधाओं में मदद की। धीरे-धीरे गांव में शिक्षा की स्थानीय जागरूकता बढ़ी और बच्चों की शिक्षा में सुधार हुआ। धनवती ने गांव में स्तरबद्ध मौलिक शिक्षा की व्यवस्था की और बच्चों को नैतिक मूल्यों और देशभक्ति के बारे में भी शिक्षा दी ©Mohit Chauhan #ddlj धनवती की कहानी
Satish Deshmukh
सदा धावते का ?..... (भुजंगप्रयात/२०/लगागा/४) उदासीन सखये अशी वागते का ? वसंतातला हा बहर टाळते का ? तुझी ही नजर जीव घायाळ करते अशी हासण्याने जिवे मारते का ? तुला दृष्ट लागेल नक्कीच सखये धवल मोगर्याची फुले माळते का ? सखे काळजाचे चुकावेत ठोके तुझे रूप मजला उगी भावते का ? कळ्या कुंद ओल्या सुगंधी फुलांच्या दिठी पापण्यांचे सुमन लाजते का ? तुझ्या पैंजणानी तृणे मुग्ध झाली सहज बोलता बासरी वाजते का ? मुलायम किती हे तुझे पाय सखये तरी लगबगीने सदा धावते का ? सतीश देशमुख शेंबाळपिंप्री ता. पुसद जि. यवतमाळ ©Satish Deshmukh सदा धावते का #feellove