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Vikas Gurung
हठ कर बैठा चांद एक दिन, माता से यह बोला, सिलवा दो मां मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोलासनसन चलती हवा रात भर, जाड़े से मरता हूं, ठिठुर-ठिठुरकर किसी तरह यात्रा पूरी करता हूं। You May Like यह जड़ीबूटी से 0 से 60million तक बड़ा देती है शुक्राणुओ की संख्याKulvardhakऔर जानें by Taboola Sponsored Links आसमान का सफ़र और यह मौसम है जाड़े का, न हो अगर तो ला दो कुर्ता ही कोई भाड़े का। बच्चे की सुन बात कहा माता ने, ‘‘अरे सलोने! कुशल करें भगवान, लगें मत तुझको जादू-टोने। जाड़े की तो बात ठीक है, पर मैं तो डरती हूँ, एक नाप में कभी नहीं तुझको देखा करती हूँ। कभी एक अंगुल भर चौड़ा, कभी एक फुट मोटा, बड़ा किसी दिन हो जाता है, और किसी दिन छोटा। घटता-बढ़ता रोज़ किसी दिन ऐसा भी करता है, नहीं किसी की भी आंखों को दिखलाई पड़ता है। अब तू ही ये बता, नाप तेरा किस रोज़ लिवाएं, सी दें एक झिंगोला जो हर रोज बदन में आए। –रामधारी सिंह ‘दिनकर’ यह भी पढ़ें- Children’s Day 2022: ‘अज्ञानता बदलाव से हमेशा…’ आज पढ़ें चाचा नेहरू के अनमोल विचार, बच्चों को भी सुनाएं सबसे पहले आज उठा मैं सबसे पहले! सबसे पहले आज सुनूँगा, हवा सवेरे की चलने पर, हिल, पत्तों का करना ‘हर-हर’ देखूँगा, पूरब में फैले बादल पीले, लाल, सुनहले! आज उठा मैं सबसे पहले! सबसे पहले आज सुनूँगा, चिड़िया का डैने फड़का कर चहक-चहककर उड़ना ‘फर-फर’ देखूँगा, पूरब में फैले बादल पीले, लाल सुनहले! आज उठा मैं सबसे पहले! सबसे पहले आज चुनूँगा, पौधे-पौधे की डाली पर, फूल खिले जो सुंदर-सुंदर देखूँगा, पूरब में फैले बादल पीले लाल, सुनहले  आज उठा मैं सबसे पहले! सबसे पहले आज सुनूँगा, हवा सवेरे की चलने पर, हिल, पत्तों का करना ‘हर-हर’ देखूँगा, पूरब में फैले बादल पीले, लाल, सुनहले! आज उठा मैं सबसे पहले! सबसे कहता आज फिरूँगा, कैसे पहला पत्ता डोला, कैसे पहला पंछी बोला, कैसे कलियों ने मुँह खोला कैसे पूरब ने फैलाए बादल पीले, लाल, सुनहले! आज उठा मैं सबसे पहले! – चंदा मामा चंदा मामा दौड़े आओ, दूध कटोरा भर कर लाओ। उसे प्यार से मुझे पिलाओ, मुझ पर छिड़क चाँदनी जाओ। मैं तैरा मृग-छौना लूँगा, उसके साथ हँसूँ खेलूँगा। उसकी उछल-कूद देखूँगा, उसको चाटूँगा-चूमूँगा। ©Vicky Grg Bal kavita
vaishali
🌧️ पाऊस 🌧️ रिमझीम पावसाने सुगंधीत झाली माती पावसाचा प्रत्येक थेंब वाटे जणू शिंपल्यातील मोती हिरवा शालू नेसून सजली ही धरती आकाशात इंद्रधनुष्य दिसती सुरेख किती पावसाच्या सरीत भिजावेसे वाटते प्रत्येक क्षणी सखे कमी तुझीच भासते विरहाच्या पावसात भिजले हे मन दूर असे जरी तू छळते तुझी आठवण पाऊस # मराठी कविता #
अमोल राजेंद्र उबाळे
कालच पावसात भिजली ती आणि आज तिला बर नाही हे जर का त्याला कळलं ना पाऊसा मग तुझं काही खर नाही ✍️ अमोल उबाळे मराठी कविता पाऊस
Kavi Hari Shanker
मेरी नानी ( बाल कविता ) ओ मेरी मम्मी की मम्मी नानी माँ कहलाती तू अपने हाथों दूध पिलाती रोज मुझे नहलाती तू। भाग दौर में यदि गिर जाऊँ उठा झाड़ सहलाती तू झापड़ मारे झूठ धरा पर बातों में बहलाती तू। जब तक जागूं कहे कहानी नींद में लोरी गाती तू जब भी कोई दुख है घेरे याद बहुत है आती तू। ©Hari Shanker Kumar #meri nani (Bal Kavita)
avinash atkad
#DearZindagi "तु बरसत रहा असाचं, मी भिजत असेल, सोबत 'ती' ही असेल, सोबत मी ही असेल, तुझा पहिला थेंब मी अलगद हातावर टिपेल, तुझ्या चिंब बरसणा-या सरींमध्ये मी न्हावून निघेल, सोबत 'ती' ही असेल, सोबत मी ही असेल, तु बरसत रहा असाचं, मी भिजत असेल, प्रेमाचे गीत जोमाने वाजत असेल, दोन्ही मनाच्या तारा त्यावर गुणगुणत असेल, सोबत 'ती' ही असेल, सोबत मी ही असेल, तु बरसत रहा असाचं, मी भिजत असेल, आमच्या पहिल्या पावसाचा किस्सा असा काही असेल, तो सदैव आमच्या स्मरणात बसेल, सोबत 'ती' ही असेल, सोबत मी ही असेल, तु बरसत रहा असाचं, मी पुन्हा एकदा भिजत असेल... 😘😘 -Gattu- 😘😘😍 (मुंबईत पहिल्या पावसाचे जोरदार आगमन) #पहिला पाऊस , पहिली कविता..