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Ajay Kumar Mishra
चाहे तुम जितना मेरे बारे में गलत अफ़वाह फैला लो। चाहे जितनी गालियां दे लो,चाहे जितना हमें नीचा लो। यह तुम्हारी फितरत है,यह तुम्हारी नीयत है जितना करना है कर लो। क्योंकि तेरी जितनी ऊंचाई है,उससे लाखों गुना मेरे दिल की गहराई है। तू खुद को वामन भगवान समझ बैठा है;लेकिन तुम्हें पता नही कि वो भी राजा बलि से भीख मांग बैठा है। आज काजल की कोठरी में बैठकर, तू सफेद परिधान पहन बैठा है। चल दिखाता हूं काली कोठरी की हालत, जिसमें तेरी काली करतूतों की हिसाब लिखा बैठा हूं। ©Ajay Kumar Mishra काजल की कोठरी
sr ku
हमरे लिए महाकाल ही सब कुछ है बाकि सब कुछ मोह माया हा जय महा काल का भगत है बही महा काल
Ek villain
यूक्रेन ने पूरी दुनिया को यह बता दिया कि कभी भी किसी भी दूसरे को हल्के में लेने की भूल नहीं करनी चाहिए संघर्ष के आपाधापी कई बार विदूषक कोहिना एक बनाकर उभार देती है विदूषक की एक विशेषता यह होती है कि बौद्धिक अहंकार उनके पास नहीं पट पट आता है इसलिए वीर्य ले लो कि उन्हें गंभीरता से लेते हैं कहा जाता है कि विदूषक को सात खून माफ होते हैं पता नहीं क्यों किसी ने कहा था कि अनेक वाले कल का विचार अकीविदु सखी होगा इतिहास इस बात का गवाह है कि कोई भी राज दरबार कभी विदूषक वाहिनी नहीं रहा है राज दरबार में विदूषक का विशेष स्थान हुआ करता है पुराने दिनों में लाइसेंस प्राप्त विदूषक भी हुआ करते थे कई किस्म के लोकतंत्र में समय का चक्र कुछ ऐसे चला कि जनता ने राज्यों की कमान भी उनके हाथ में थाम ली मजेदार बात यह है कि आम जनता विदूषक पर ज्यादा भरोसा करने लगी राजनीति में प्रवेश करते ही विदूषक भी कुछ ज्यादा ही सजा दी हो गए हैं यह कहे कि संजय आदि होने का सफल अभियान करने लगे हैं दरअसल विदूषक भी एक कलाकार होते हैं और यदि कलाकार संजय आधी हो जाए तो कुछ लोग ऐसा कर गुजारा है जो बड़े से बड़े शोमैन के बस का नहीं होता वैसे तो विद्युत शक्कर राजनीतिक में एक लंबा इतिहास है किंतु इन दिनों राजनीति में जितनी भी तेजी से उन्हें सफलता मिल रही है उतनी तो शायद कभी किसी ने सोचा भी नहीं होगी जितने चर्चित में राजनीति के मंच पर हो रहे हैं उतने चर्चित पहले कभी शायद ही किसी मंच पर हुआ करते होंगे प्रजातंत्र की खूबसूरती देखिए कि राजनीतिक में आते ही एक विदूषक भी कितने ताकतवर हो जाता है कि वह खेतों में खड़ी फसल को उजाड़ कर अरोरा तो रातों से जंग के मैदान में ता बिल करवा सकता है ©Ek villain #विदूषक का पुनरुत्थान काल #selfhate
Satyesh Shukla
सोचा तो बहुत कुछ, हुआ एक भी नहीं, बदले उच्च शिखर गिरा गर्त में कहीं, लगाए आश सभी, हुआ पात्र हसीं का कहीं, खेला था सभी काल का, पर दिखाए असर सभी, देता नहीं दोष मै, थी कमी मुझमे सभी ©Satyesh Shukla काल का वर्चस्व ✍️✍️